लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नई सरकार आने के साथ ही लखनऊ जोकि अपने जायके के लिए जाना जाता है, उसे अब मुश्किल का दौर देखना पड़ रहा है। शनिवार को लखनऊ के 5000 मांस विक्रेताओं के हड़ताल पर जाने से मीट मिलना मुश्किल हो गया है। इससे पहले लखनऊ के मशहूर टुंडे कबाब और मुबीन को भी मीट की कमी के चलते अपनी दुकान एक दिन के लिए बंद करनी पड़ी थी।
लाइसेंस धारक हड़ताल में शामिल नहीं
लखनऊ के मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति ने इस हड़ताल को प्रदेशभर में करने की चेतावनी दी है। वहीं मुर्गा व्यापार मंडल कानपुर ने पहले ही इस हड़ताल में शामिल होने की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही नोएडा, गाजियाबाद में सड़क किनारे लगने वाली दुकानें रातोरात गायब हो गई है, हालांकि जिन दुकानदारों को लाइसेंस हासिल है उन्होंने इस हड़ताल में नहीं शामिल होने का फैसला लिया है।
बरेली में 60 दुकानें जिन्हें लाइसेंस हासिल है वह शुक्रवार को भी खुली रही जबकि पुलिस के डर से अवैध दुकानदारों ने अपनी दुकानें नहीं खोली। वहीं आगरा में मटन और चिकन की कमी देखने को मिल रही है। लखनऊ के मुर्गा मंडी समिति और मीट मुर्गा व्यापार कल्याण समिति ने बैठक के बाद हड़ताल पर जाने का फैसला लिया है, एमएमएमस के तहत तकरीबन 500 थोक विक्रेता आते हैं जो 5000 दुकानदारों को मीट सप्लाई करते हैं, जिसमें रेस्टोरेंट, होटल और छोटी दुकानें भी शामिल हैं। वहीं एमएमवीकेएस भी 600 डीलरों को मीट सप्लाई करता है।
रोजी-रोटी की दिक्कतें
एलएमएमएस के प्रतिनिधि संजय सक्सेना ने बताया कि लाइसेंस के लिए कई डीलरों ने आवेदन किया है लेकिन 2010 से आजतक इन आवेदनों पर कोई सुनवाई नहीं हुई है। हम मजबूरन बिना लाइसेंस के मीट बेच रहे हैं, क्योंकि लखनऊ नगर निगम हमें लाइसेंस नहीं दे रहा है, हमारा वैध व्यापार अवैध हो गया है, ऐसे में जिस तरह से मौजूदा सरकार कदम उठा रही है उससे हमारी रोजी-रोटी पर दिक्कतें आ रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना नहीं होने देंगे
वहीं नगर निगम के अधिकारी एके राव का कहना है कि 602 में से 340 आवेदकों के लाइसेंस को फिर से जारी किया गया है जबकि तकरीबन 130 के लाइसेंस को रद्द किया गया है, क्योंकि ये सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को अवहेलना कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार कत्लखाने धार्मिक और शैक्षणिक संस्थान के बगल में नहीं होंगे। इनके अलावा सभी के लाइसेंस को जारी कर दिया गया है।