गुरु गोबिन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवम्बर 1675 को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। 1699 में बैसाखी क... Read more
गुरू राम दास, सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 30 अगस्त 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब ‘पंचम् नानक’ गुरू राम... Read more
गुरू राम दास, सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 30 अगस्त 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब ‘पंचम् नानक’ गुरू राम... Read more
स्वप्निल संसार। पांचवें सिख गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी को शहीदों के सरताज कहा जाता है। आप शांति के पुंज, मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी तथा अपने युग के... Read more
स्वप्निल संसार। पांचवें सिख गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी को शहीदों के सरताज कहा जाता है। आप शांति के पुंज, मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी तथा अपने युग के... Read more
गुरु गोबिन्द सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। उनके पिता गुरू तेग बहादुर की मृत्यु के उपरान्त 11 नवम्बर 1675 को वे गुरू बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक नेता थे। 1699 में बैसाखी क... Read more
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गुरू राम दास, सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 30 अगस्त 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब ‘पंचम् नानक’ गुरू राम... Read more
गुरू राम दास, सिखों के गुरु थे और उन्हें गुरु की उपाधि 30 अगस्त 1574 को दी गयी थी। उन दिनों जब विदेशी आक्रमणकारी एक शहर के बाद दूसरा शहर तबाह कर रहे थे, तब ‘पंचम् नानक’ गुरू राम... Read more