प्यार एक ऐसा शब्द है जिसमें दो आत्माएं एक होती है और वो जमाने की परवाह किए बगैर सिर्फ अपने प्यार में डूबे रहते है। फिर ना उन्हें खाने की चिंता, ना सोने की और ना किसी और काम की सुध रहती है वे सिर्फ आंख बंद करके प्यार करते है। वैसे आपने कई प्रेमियों की कहानियां सुनी होगी जिनकी दुनिया मिसाल दिया करती है, और प्यार के कसमें वादें उन्हें ही याद करके खाए जाते है। लेकिन दुनिया में कई लोग ऐेसे भी जो इस आशिकी से परेशान है खास तौर पर आशिको के घरवालें। जी हां अगर आज के युग में आशिकी से किसी को परेशानी है तो वो है घरवाले। और से अपने बच्चें के सर से इस आशिकी के भूत को उतारने के लिए कई जतन करते है। लेकिन अब उनकी परेशानी दूर हो चुकी है क्योकि आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारें में बताने जा रहें है जहां अच्छे-अच्छों की आशिकी का भूत उतारा जाता है !!
आइए, जानते है इस अनोखे मंदिर के बारें में
वो कहते हैं ना कि एक बार प्यार का भूत सवार हो जाए तो उसका पीछा ये आसानी से नहीं छोड़ता। दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो इस तरह के प्यार-मोहब्बत वाले फेर में पड़ जाते हैं। इस इश्क का रोग एक बार जिसे लगे या तो वो उभरता है या डूबता है।
ऐसे में इस समस्या से निजात पाने के लिए एक ऐसी जगह है जहां इस रोग का इलाज होता हैए और इसके लिए किसी डॉक्टर या दवाई की जरूरत नहीं होती। आशिकों से तो हम नहीं पूछ पाए मगर यूपी के सहारनपुर बेहट रोड पर स्थित इस हनुमान के मंदिर से कई परिवार खुश होकर जा चुके हैं।
वैसे तो मान्यता है कि बजरंग बली बहुतों के बिगड़े काम बनाते हैं मगर वे नौजवानों के सिर से आशिकी का भूत भी उतारते हैं, ये हमें हाल ही में पता लगा। बेहट रोड पर हनुमान जी के बाल स्वरूप श्री बालाजी महाराज का मंदिर है। मंगलवार और शनिवार को यहां खास पूजा की जाती है।
बताया जाता है कि मंदिर में परिवार के सदस्य ऐसे युवक और युवतियों को लाते हैं, जिनके सिर पर प्यार का भूत सवार होता है। और जो आशिकी के कारण अपने परिवार को परेशान करते रहते है। आशिकी से परेशान घरवालें इस अनोखें मंदिर पर उन आशिको का भूत उतारने जाते है।
बालाजी के इस मंदिर की स्थापना करीब 8 साल हुई थी। यहां पर बालाजी महाराज श्रीराम के साथ-साथ अपनी सहयोगी शक्ति श्री काल भैरव और श्री प्रेतराज सरकार के साथ विराजमान हैं। लोग कहते हैं कि तीनों शक्तियां अपने भक्त का परम कल्याण कर रही हैं।
कहा जाता है कि मंदिर में माता-पिता अपने बच्चों के सिर से आशिकी का भूत उतारने के लिए उन्हें यहां लेकर आते हैं। सिर्फ आशिकी ही नहीं अन्य प्रकार की परेशानियों से परेशान लोग भी यहां आकर माथा टेकते हैं और उनकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
मंदिर के संस्थापक अतुल जोशी महाराज यहां हर शनिवार और मंगलवार को एक विशेष प्रकार की पूजा करते हैं। अतुल जोशी ही युवक-युवतियों की समस्या के समाधान के लिए परिजनों से पूजा करवाते हैं। और आशिकी का भूत जिन बच्चों पर रहता है उनके सर से ये भूत उतारने का काम करते है।
जिस समय यह पूजा होती है, उस समय केवल संबंधित युवक और युवती के परिजन ही होते हैं। अतुल जोशी परिजनों को कुछ उपाय भी बताते हैं। उनका मानना है कि इन उपायों को करने के बाद समस्या हल हो जाती है। और यही आस्था लोगो को उस और खींच कर आती है। इस मंदिर में मंगलवार और शनिवार को खास भीड रहती है और वो भी आशिकी से परेशान परिवार वालों की
वैसे कुछ भी हो, लेकिन हमें लगता है कि एक-आध ऐसे जिद्दी आशिक तो होते ही होंगे जिनके आगे बजरंग बली भी हार मान लेते हों। जो अपनी आशिकी के लिए सुसाइड तक करने के लिए तैयार रहते है। इस तरह की आशिकी वालों से भगवान भी कोसो दूर रहते होंगे।