मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में नौगांव तहसील देश की पहला स्मार्ट सिटी थी जिसे अंग्रेजों ने बनाया था। लेकिन नौगांव का आजादी के बाद तेजी से विकास नहीं हुआ जिससे यह शहर सिमटकर रहा गया। यह शहर ब्रिटिश शासनकाल के समय में aविध्य क्षेत्र की राजधानी थी। नगर की स्थापना 1842 में जैतपुर के महाराज पारीक्षित को हराने के लिए अंग्रेजों ने जैतपुर से 25 किलोमीटर की दूरी अपने सैनिकों के साथ तंबू लगाकर छावनी बनाई थी। इसके बाद महाराज पारीक्षित को घेरने की रणनीति तैयार कर 12 फनी तोप से कैथासदर की छावनी को ध्वस्त कर दिया था। तभी से नौगांव अंग्रेजों की छावनी बन गया। सैनिकों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए यहां पर भारत के कोने कोने से व्यापारी बुलाए गए। जिससे ब्रिटिश सैनिकों को दूध उपलब्ध कराने के लिए ग्वाल, टेलर, कपड़ा व्यापारी, मोची सहित अन्य समाज के लोगों को यहां बसाया गया। जिससे नौगांव को अब भी छावनी के नाम जाना जाता है। नौगांव एक सुंदर शहर बसाया गया था। जिसमें 192 चौराहे जो आपस में एक दूसरी सड़क को मिलाते हैं। नौगांव को एक समय मिनी चंडीगड़ के नाम से भी जाना जाता था।
रियासत कालीन प्रमुख इमारतों का अब क्या उपयोग रियासत कालीन समय का गवर्मेंट प्रेस कार्यालय में वर्तमान में बालिका हरिजन छात्रावास संचालित किया जा रहा है। सचिवालय में प्राइमरी स्कूल, सर्जन ऑफिस वर्तमान में टीबी अस्पताल बन चुका है। वहीं उस समय का सिंचाई विभाग मुख्यालय व चीफ कंजर्वेटर फॉरेस्ट का भवन वर्तमान में सिविल अस्पताल बन चुका है। हाईकोर्ट भवन वर्तमान में अदालत भवन, आरटीओ कार्यालय भवन वर्तमान में सेलटैक्स ऑफिस, डीआईजी निवास का भवन अब केनाल कोठी हो गई। वहीं सेकेट्री आवास वर्तमान में यातायात चौकी हो चुकी है, शिक्षा विभाग का भवन वर्तमान में ग्राम विकास सहकारी समिति,1869 में बना गया पुराना आर्मी चर्च आज भी है। यह आर्मी के अंडर में है। रेस्ट हाउस, पोलिटिकल एजेंट का बंगला, क्लब भवन, पॉलिटेक्निक कॉलेज भी है। बंदीगृह (पुरानी जेल) में अभी भी कालकोठरी व कैदियों की बेरिंग के नमूने मिलते हैं। नगर की धूप घड़ी जीटीसी स्कूल के प्रांगण में इतिहास बयां कर रही है।
देश की आजादी के बाद नौगांव को 15 अगस्त 1947 में विंध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में नवाजा गया था। जिसके पहले मुख्यमंत्री चरखारी के कामता प्रसाद सक्सेना को बनाया गया था और एक वर्ष तक नगर विंध्य प्रदेश की राजधानी रहा। नगर में सभी प्रकार के ट्रेनिंग सेंटर थे। लेकिन वर्तमान में तहसील में सिमट कर रह गया है। 180 वर्ष पहले भरत देश की पहली स्मार्ट सिटी था नौगांव जिसकी परिकल्पना ब्रिटेन में की गई थी। तब ब्रिटेन के इंजीनियरों ने भारत का सर्वे किया था। इसके बाद नौगांव को स्मार्ट सिटी के लिए चुना और ब्रिटेन में ही नक्शा तैयार किया गया। फिर नामी ठेकेदारों को नगर को स्मार्ट सिटी बनाने का ठेका दिया गया। जहां नगर अंग्रेजों के शासन काल में स्मार्ट सिटी हुआ करता था आज नगर के बड़े कार्यालय, प्रदेश, संभाग और जिले में शिफ्ट हो गए हैं। 36 रियासतें आती थी बुंदेलखंड में नगर का इतिहास 1842 से लेकर 1932 तक ब्रिटिश कालीन कंजुमेंट हुआ करता था। इसमें पॉलिटिकल एजेंडा बैठता था। जिसके अंडर में बुंदेलखंड की 36 रियासतों पर शासन चलाया जाता था। जिसमें पन्ना, अजयगढ़, सरीला, चरखारी, बिजावर, छतरपुर, लुगासी, गर्रोली, अलीपुरा, नैगुवां, कौहनियां, खनियाधाना, दतिया, समथर, कदौरा, बेरीकपुरा, जिगनी, बिजना, दुरबई, बंकापहाड़ी, टोडीफतेहपुर, ओरछा, गौरिहार, नागौद, जसो, सुहावल, मैहर, कोठी, बरोंधा, पालदेव, पहरा, तराओ, भैसोदा, कामता रजोल की रियासतें बिटिश हुकूमत के नौगांव में रह रहे पोलिटिकल एजेंड के माध्यम से चलाई जाती थीं। इन रियासतों के राजाओं को रुकने के लिए नगर में ३६ हाउस और 36 बंगले भी बनवाए गए थे। जो नगर का इतिहास बयां कर रहे है। ये बंगले भी देखरेख के अभाव में ध्वस्त हो गए।
नाथूराम ब्रिटिश हुकूमत में थे सप्लायर नगर के बस स्टैंड के पीछे स्थापना कार्यक्रम के आयोजक दिनेश सेन के पिता नाथूराम सेन ने बताया कि अंग्रेजी हुकूमत के समय में वह जेल में खाद्य सामग्री की सप्लायर थे। उस समय शासन कड़ा था। नगर में स्थित पॉलिटेक्निक कॉलेज कैंपस में बनी जेल में अंग्रेज अपराधियों को खुले में फांसी घर में लटकाते थे। जेल के अंदर बनी काल कोठरी में कैदियों को सजा दी जाती थी।
नौगांव झांसी, सतना, श्रीनगर, बलदेवगढ़ और महाराजपुर जैसे अन्य केंद्रों से सड़क मार्ग से भलीभांती जुड़ा है। नौगांव एक महत्त्वपूर्ण नागरिक केंद्र तथा सैनिक छावनी है। नौगांव अंग्रेज़ों के शासनकाल में बुंदेलखंड एजेंसी का ब्रिटिश मुख्यालय भी था। नौगांव एक प्रमुख कृषि वितरण केंद्र है और नौगांव रसायन व औषधि संयंत्र यथा एक शराब कारख़ाना स्थित है। नौगांव नगर में एक अस्पताल, सरकारी पॉलीटेक्निक संस्थान, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालय और अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए एक महाविद्यालय स्थित है। और साथ ही यहाँ अब गवर्मेंट इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गया है।एजेन्सी।