राकेश अचल । नये साल का चेहरा खून- आलूदा नजर आया। आतंकियों ने साढ़े तीन साल पहले खंडित किए गए जम्मू कश्मीर में 04 निरपराध लोगों की हत्या कर दी।मरने वाले सभी हिन्दू थे। सवाल ये है कि जब एक सूबे को इलाज के नाम पर तीन टुकड़ों में बांट दिया गया है, फिर ये सब कैसे हो रहा है? क्या इसके लिए मौजूदा सरकार के बजाय पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जिम्मेदार हैं ? जम्मू कश्मीर में अक्तूबर 1947 को धारा 370 लगाई गई थी और इसे 5 अगस्त 2019 को हटाकर एक क्रांतिकारी कदम उठाने का ढिंढोरा पीटा गया था। यकीनन मौजूदा भाजपा सरकार का ये क्रांतिकारी कदम था किन्तु राज्य में क्रांति हो नहीं सकी। सूबे में तीन साल चार महीने से लोकतंत्र स्थगित है। सरकार लगातार सूबे की जनता के धैर्य की परीक्षा ले रही है। भारत के मुकुट मणि कहे और माने जाने वाले जम्मू कश्मीर में 72 साल बाद सब कुछ बदलने के लिए कदम तो बढ़ा दिया था लेकिन अब सरकार ठिठकी खड़ी है। केन्द्र शासित विखंडित जम्मू कश्मीर में राज्यपाल राज कर रहे हैं।राज क्या कर रहे हैं, केंद्र के हुक्म की तामील कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास करने के लिए कुछ है नहीं।जो करना है मोदी -शाह की जोड़ी को करना है और दुर्भाग्य से ये जोड़ी कुछ कर नहीं पा रही है। बिखंडित राज्य में जो पहले हो रहा था सो अब भी हो रहा है।जम्मू-कश्मीर के राजौरी और श्रीनगर के जदीबल इलाके में रविवार देर शाम आतंकियों ने हमला किया है।आतंकवादियों ने राजौरी में हिंदू परिवारों पर फायरिंग कर दी। जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। साथ ही 7 लोग घायल हो गए हैं। जानकारी मिलते ही सुरक्षाकर्मियों ने घायलों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया है। साथ ही पूरे इलाके की घेराबंदी कर आतंकियों की तलाश शुरू कर दी है। जानकारी के मुताबिक आतंकियों ने ये गोलीबारी राजौरी के धनगरी इलाके में की है। घटना के विरोध में स्थानीय लोगों ने सोमवार को बंद बुलाया है।
पुलिस ने बताया कि करीब 7:15 बजे हायर सेकेंड्री स्कूल, डांगरी के पास गोलीबारी की घटना हुई। जिसमें एक महिला और एक बच्चे समेत एक हिंदू परिवार के 7 लोग घायल हो गए। बाद में सतीश सहित 4 लोगों ने दम तोड़ दिया, जबकि अन्य का इलाज जीएमसी राजौरी में चल रहा है। घटना अपर डांगरी गांव की है. करीब 50 मीटर की दूरी पर अलग-अलग तीन घरों में फायरिंग की गई। राजौरी के अस्पतल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. महमूद ने बताया कि घायलों का इलाज किया जा रहा है। पुलिस और जिला प्रशासन मौके पर पहुंच गया है। घायलों के शरीर पर गोलियों के कई निशान पाए गए हैं।
अपनी नाकामी छिपाने के लिए केंद्र आंकड़े देता है कि वैष्णो देवी के मंदिर में 91 लाख लोगों ने दर्शन कर कीर्तिमान बनाया। पर्यटन बढ़ा,172 आतंकी मारे गए,17 गिरफ्तार किए गए। सरकार सूबे में वचनानुसार लोकतंत्र बहाल नहीं कर रही। विधानसभा चुनाव नहीं करा रही। केवल आंकड़े गिनाती है कि धारा 370 हटने के बाद इस साल, आतंकवादी संगठनों में 100 नई भर्तियों के साथ पिछले वर्ष की तुलना में इस आंकड़े में 37 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। अधिकतम आतंकी (74) लश्कर में शामिल हुए हैं. कुल भर्ती में से 65 आतंकवादी मुठभेड़ में मार दिए गए, 17 गिरफ्तार हुए जबकि 18 आतंकवादी अभी भी सक्रिय हैं।
दरअसल सरकार सूबे की जनता के सब्र का इम्तिहान ले रही है,उसका सूबे में लोकतंत्र बहाली का कोई इरादा नहीं है। सरकार भूल रही है कि सब्र के बांध सीमेंट कांक्रीट से नहीं बनते। उनकी बुनियाद में जजबात होते हैं,और जब जज्बातों से बना बांध टूटता है तो सब कुछ तहस-नहस हो जाता है,सरकार जम्मू कश्मीर को भुलाकर दूसरे राज्यों के विधानसभा चुनावों में उलझी रहती है। कांग्रेस विहीन भारत बनाने में मिली नाकामी ने सरकार को हताश कर दिया है। सरकार की तमाम नाकामियों का खमियाजा जम्मू कश्मीर की निर्दोष जनता को भुगतना पड़ रहा है। दुर्भाग्य ये है कि सूबे के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन राष्ट्रव्यापी मुद्दा नहीं है।अब देखना है कि भारत जोड़ो यात्रा से इस आहत सूबे को कोई राहत मिलती है या नहीं ? आतंक के साये में जी रहे जम्मू कश्मीर के लोगों के लिए नया साल शुभ हो। उसके लोकतांत्रिक अधिकार बहाल हों।यही कामना है।