मुबारक साल गिरह-
हेमा मालिनी हिन्दी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री एवं मथुरा लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद हैं (भारतीय जनता पार्टी की) । वे बॉलीवुड की उन गिनी चुनी अभिनेत्रियों में शामिल हैं, जिनमें सौंदर्य और अभिनय का अनूठा संगम देखने को मिलता है। इस प्रसिद्ध अभिनेत्री और नृत्यांगना ने लगभग चार दशक के कैरियर में कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया। करियर के शुरूआती दौर में उन्हें वह दिन भी देखना पडा था, जब एक निर्माता-निर्देशक ने उन्हें यहां तक कह दिया था कि उनमें स्टार अपील नहीं है। ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी ने जब फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा ही था तब तमिल निर्देशक श््रीधर ने उन्हें अपनी फिल्म में काम देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनमें स्टार अपील नहीं है।
इनकी सुंदरता और अदाओं के कारण इन्हें बॉलीवुड की ड्रीम गर्ल कहा जाने लगा। सिनेमा जगत से लेकर संसद तक और नृत्य समारोहों के मंच से लेकर छोटे पर्दे तक हेमा मालिनी हर जगह अपनी आकर्षक उपस्थिति से दर्शकों का ध्यानाकर्षण करती रही हैं। अनुभवी, खूबसूरत और प्रतिभाशाली हेमा मालिनी भारतीय कला-जगत की अमूल्य धरोहर हैं।
हेमा मालिनी का जन्म 16 अक्टूबर 1948 को अम्मनकुड़ी तमिलनाडु में हुआ था। फिल्में हो या निजी जीवन दर्शकों की जिज्ञासा हमेशा ही उन्हें लेकर बनी रही है। हेमा मालिनी का बचपन तमिलनाडु के विभिन्न शहरों में बीता। हेमा के पिता वी. एस. आर. चक्रवर्ती तमिल फिल्मों के निर्माता थे। फिल्मी परिवेश में पली-बढ़ी हेमा मालिनी ने चेन्नई के आंध्र महिला सभा से अपनी पढ़ाई पूरी की। रूपहले पर्दे पर हेमा ने पहली बार एक नर्तकी के रूप में पदार्पण किया। तेलुगू फिल्म पांडव वनवासम में हेमा ने एक नृत्य में पहली बार बड़े पर्दे पर अपनी झलक दिखाई, पर दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माता-निर्देशकों को वे प्रभावित करने में असफल रहीं। इस तरह चार वर्षों के संघर्ष के बाद भी हेमा मालिनी को दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय की पारी शुरुआत करने का अवसर नहीं मिल पाया। सहकलाकार जीतेंद्र और संजीव कुमार के साथ प्रेम-प्रसंग की अफवाहों के बीच हेमा मालिनी ने हिंदी फिल्मों के हीमैन की उपाधि से संबोधित किए जाने वाले अभिनेता धर्मेन्द्र से विवाह किया। कई फिल्मों में सह-कलाकार रह चुके धर्मेन्द्र के साथ अपने प्रेमसंबंध के प्रति समर्पण का प्रमाण देकर हेमा ने उनकी दूसरी पत्नी बनना स्वीकार किया।
जब धर्मेद्र ने हेमा मालिनी के साथ सात फेरे लिए, तब तक दोनों एक साथ एक दर्जन से भी अधिक फिल्मों में काम कर चुके थे। उस समय धर्मेद्र न केवल विवाहित थे, बल्कि उनकी बेटी की भी शादी हो चुकी थी। बड़े बेटे सनी देओल फिल्मों में आने की तैयारी कर रहे थे। ऐसे में हेमा मालिनी से शादी करने का फैसला करना जरूर बड़ा मुश्किल रहा होगा, लेकिन दोनों ने यह फैसला कर ही लिया। धर्मेद्र-हेमा की पहली मुलाकात ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म आसमान महल के प्रीमियर पर हुई थी। हेमा तब एकदम नई थीं। बस एक फिल्म सपनों का सौदागर रिलीज होकर फ्लॉप हो चुकी थी, लेकिन धर्मेद्र के नाम के साथ कई सफल फिल्में जुड़ी हुई थीं। परिचय कराए जाने पर दोनों ने हैलो किया। कोई खास बातचीत नहीं हुई, लेकिन मन ही मन दोनों एक-दूसरे से प्रभावित हुए। हेमा धर्मेद्र के व्यक्तित्व से और धर्मेद्र हेमा के खूबसूरत चेहरे से।
जब हेमा को धर्मेद्र के साथ शराफत और तुम हंसी मैं जवां में काम करने का अवसर मिला, तब तक धर्मेद्र पचास फिल्मों का सफर तय कर चुके थे। इन दोनों फिल्मों में एक गंभीर थी और एक कॉमेडी। इनकी शूटिंग के दौरान हेमा-धर्मेद्र एक दूसरे के काफी निकट आए, लेकिन हेमा ने अपने चारों ओर एक लक्ष्मणरेखा खींच रखी थी। शायद यही वजह थी कि तब धर्मेद्र ने अपने एक मित्र से कहा था, मद्रासन एक फ्रिज जैसी ठंडी है। धर्मेद्र-हेमा की साथ वाली दोनों फिल्में हिट हो गई और जोड़ी चल निकली। दोनों को साथ-साथ फिल्में मिलने लगीं। शूटिंग के दौरान दोस्ती ने प्यार का रूप ले लिया। हेमा को धर्मेद्र ने मक्की की रोटी और सरसों का साग खिलाया, तो हेमा ने उपमा डोसा की आदत लगा दी। कुछ ही समय में धर्मेद्र हेमा के परिवार से इतने घुल मिल गए कि हेमा की मां जया और पिता चक्रवर्ती अक्सर उन्हें डिनर पर बुलाने लगे। हेमा धर्मेद्र की मुलाकातें फिल्मों की शूटिंग के दौरान होती थीं। जब साथ साथ शूटिंग नहीं होती, तो दोनों हेमा के बंगले पर मिलते। फिल्म मां की शूटिंग दक्षिण भारत में हुई। आउटडोर के लिए वाइल्ड लाइफ सैंचुरी में जाना पड़ा। वहां बने बंगलों में ठहराना पड़ा। इसी शूटिंग के बीच दोनों ने शादी की। मुंबई लौटकर जब हेमा ने मम्मी जया को अपना इरादा बताया, तो वे खासी नाराज हुई, क्योंकि तब हेमा का हाथ मांगने वालों की कमी नहीं थी। इस बॉलीवुड में जीतेंद्र और संजीव कुमार जैसे कुंवारे और सफल हीरो हेमा से शादी करने को उत्सुक थे। मां को संजीव दामाद के रूप में पसंद थे।
जया चक्रवर्ती को बेटी को समझाने में चार साल निकल गए। उन्होंने दोनों को दूर करने के जितने प्रयास किए, दोनों का प्यार उतना ही गहरा होता गया। यहां तक कि हेमा ने धर्मेद्र की यह शर्त भी मान ली कि शादी करने के लिए वे न तो पत्नी प्रकाश को छोड़ेंगे और न बच्चे और परिवार को। प्रेम दीवानी हेमा ने यह शर्त भी मान ली। उनका मानना था, प्यार केवल एक बार होता है और प्यार में प्रेयसी और प्रेमी एक दूसरे को उनकी कमियों के साथ अपनाते हैं। हेमा ने ऐसा ही कर दिखाया। फिल्म दिल का हीरा की शूटिंग के दौरान उन्होंने अपने दिल के हीरे को हमेशा-हमेशा के लिए अपना लेने का फैसला किया। आखिर में वह दिन भी आ गया जब ड्रीम गर्ल ने हिंदी फिल्मों के हीमैन के गले में वरमाला डाल दी। इस उत्सव के लिए हेमा का बंगला परंपरागत ढंग से सजाया गया था। विवाह को विधि विधान से कराने के लिए चेन्नई से कुल पुरोहित विशेष रूप से बुलाए गए थे। दूल्हा धर्मेद्र न तो बारात लेकर आए और न घोड़े पर सवार हुए। दूल्हे राजा के साथ कोई बैंडबाजा भी नहीं था, लेकिन दुल्हन के बंगले पर कर्नाटक संगीत गूंज रहा था। पुरोहितों ने पूरे विधि-विधान से विवाह संपन्न कराया। विवाह होने के बाद जो मेहमान आए थे। उन्हें परंपरा के अनुसार केले के पत्ते पर भोजन कराया गया। उपमा, चावल, रसम और सांभर परोसे गए। इस तरह हेमा-धर्मेद्र की शादी हो गई। दो बेटियों एशा और अहाना के व्यक्तित्व को मातृत्व की छांव में संवारने के साथ ही हेमा मालिनी राजनीतिक परिदृश्य में भी सक्रिय रहीं। अभिनेत्री, निर्मात्री, निर्देशिका और सांसद होने के साथ ही हेमा मालिनी अंतरराष्ट्रीय स्तर की शास्त्रीय नृत्यांगना भी हैं। लुप्त हो रही नृत्य शैली मोहिनीअट्टम के अस्तित्व को बनाए रखने में हेमा मालिनी का योगदान उल्लेखनीय है। हेमा की खघ्ूबसूरती और नृत्य कला ने हिंदी फिल्मों के शोमैन राजकपूर को प्रभावित किया। राजकपूर ने उन्हें अपनी फिल्म सपनो का सौदागर में अभिनय का अवसर दिया। सपनों का सौदागर की नायिका के रूप में हिंदी फिल्मों को उसकी ड्रीम गर्ल की पहली झलक मिली। धीरे-धीरे हेमा मालिनी का सम्मोहन हिंदी फिल्मी दर्शकों के सर चढ़कर बोलने लगा और उनका नाम शीर्ष अभिनेत्री की सूची में सबसे ऊपर शुमार हो गयीं। लगभग तीन दशक तक हेमा मालिनी के अभिनय और आकर्षण का जादू तत्कालिक अभिनेत्रियों पर हावी रहा।ं हेमा मालिनी के लंबे फिल्मी सफर की उल्लेखनीय फिल्में हैं हिंदी फिल्मी दर्शकों ने हेमा मालिनी के अभिनय के हर रंग देखे हैं। दिल एक आशना के निर्देशन और निर्माण की जिम्मेदारी निभाकर हेमा मालिनी ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने लंबे अनुभव को रचनात्मक मोड़ दिया। राजा जानी 1972 सीता और गीता सीता, गीता (दोहरी भूमिका) 1974 प्रेम नगर अमीर गरीब 1975 धर्मात्मा खुशबू शोले 1976 चरस 1977 ड्रीमगर्ल 1978 त्रिशूल 1979 मीरा 1980 दो और दो पांचद बर्निग ट्रेन 1981 ज्योति क्रांति 1982 रजिया सुल्तान 2003 बागबान ।हिन्दी सिनेमा और कला जगत में योगदान के लिए उन्हें भारत सरकार ने उन्हें वर्ष 2000 पद्मश्री की प्रतिष्ठित उपाधि से भी सम्मानित किया गया। उन्हें 1973 में “सीता और गीता” के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। इसके अतिरिक्त 1999 में उन्हें फिल्मफेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी मिल चुका है। वह राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी की सांसद भी रह चुकी हैं और उनका ज्यादातर वक्त सामाजिक कार्यो में बीतता है।एजेन्सी।