राकेश अचल । दुनिया में ‘भूख’ सबसे बड़ा अभिशाप है। ‘भूख’ दुनिया में गरीबी का बाप है। दुनिया की तीसरी शक्ति तथा विश्वगुरु बनने की और तेजी से बढ़ रहा भारत वैश्विक भूख तालिका में लगातार नीचे खिसकता जा रहा है। इस वैश्विक भूख तालिका में 107 वीं पायदान पर खड़े हैं।ये शर्म का विषय है या गौरव का ये आप तय कर सकते हैं । दुनिया में हर पल भूख से एक व्यक्ति की मौत हो जाती है। हर घंटे 3600 लोगों की मौत भूख से होती है। 86400 लोगों की मौत भूख से होती है। हर साल 3,15,3600 लोगों की मौत भूख से होती है। दुनिया में 58 फीसदी मौते भूख की वजह से होती है। दुनिया के 121 छोटे -बड़े देशों की इस तालिका में भूख का अपना पैमाना है। इस पैमाने को आप मानें या न मानें,ये आपके ऊपर है,लेकिन इस तालिका में जिन देशों को शामिल किया जाता है उनमें भारत सबसे बड़ा देश है। आज इस देश के मौजूदा नेतृत्व की उपलब्धि है कि भारत इस भूख तालिका में खिसक कर 107 वे नंबर पर आ गया है । जाहिर है कि भारत विश्वगुरु बनने का माद्दा रखता है, इसलिए भूख के मामले में भी लगातार,साल -दर -साल नए कीर्तिमान बना रहा है। नीतिया देश को और भुख्खड़ बना रहीं हैं। 2014 में जिस तालिका में 55 वे स्थान पर थे,उसी तालिका में पिछले साल स्थान 101 वां था। साल अपना ही कीर्तिमान भंग करते हुए 107 वां स्थान हासिल किया है।भारत अपनी जांघ उघाड़कर भले न दिखाए लेकिन ऐसी तालिकाएं लगातार भारत की असलियत उजागर कर रहीं हैं ।इस बारे में या तो अपनी नाकामी को मान लेना चाहिए या फिर दुनिया के सामने खड़े होकर इस तालिका को चुनौती देना चाहिए।
भारत का विश्वगुरु होना मुमकिन है कि दुनिया को सुहा न रहा हो इसलिए भारत के दुश्मन भूख की तालिका बनाने वालों को रिश्वत देकर भारत की रैंकिंग को लगातार खराब कर आ रहे हों ! लेकिन ऐसा एक बार हो सकता है,दो बार हो सकता है।हर बार तो नहीं हो सकता ? भारत ने भाजपा की अगुवाई में देश में भूख की खेती करने के मामले में कांग्रेस को मीलों पीछे छोड़ दिया है।भाजपा बीते अनेक वर्षों से 80 करोड़ भूखे लोगों को मुफ्त का अन्न दे रहा है लेकिन भूख है कि कम होने या समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रही।
भारत गर्व कर सकता है कि ग्लोबल हंगर इंडेक्स में उससे भी नीचे 15 देश हैं,लेकिन ये वे देश हैं जो भारत के किसी भी राज्य से भी छोटे हैं।जिन 15 देशों की स्थिति ही भारत से बदतर है इनमें पापुआ न्यू गिनी (102), अफगानिस्तान (103), नाइजीरिया (103), कांगो (105), मोजाम्बिक (106), सिएरा लियोन (106), तिमोर-लेस्ते (108), हैती (109), लाइबेरिया (110)), मेडागास्कर (111), कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (112), चाड (113), मध्य अफ्रीकी गणराज्य (114), यमन (115) और सोमालिया (116) के नाम शामिल हैं।
भूख की वैश्विक तालिका पर राजनीति नहीं होना चाहिए लेकिन दुर्भाग्य है कि होने लगी है. सत्तारूढ़ दल और उसका मीडिया मोर्चा इस तालिका के आंकड़ों को झूठ बताने में लग गया है और विपक्ष का तो काम ही है सरकार के लत्ते लेना है ,मै इस सियासत के खिलाफ हूँ। मुझे अपने देश के प्रधानमंत्री की क्षमता पर कोई संदेह नहीं है। वे जहां हैं ,वहां सब कुछ मुमकिन है। वे हैं तो भूख है,वे न होते तो मुमकिन है कि इस भूख तालिका में नीचे होते।इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभारी होना चाहिए,कि इस तालिका में भारत से भी नीचे 15 देश हैं ।
दुनिया में हर साल भूख,गरीबी,ख़ुशी जैसे विषयों की तालिकाएं जारी की जाती हैं। इन तालिकाओं में भारत जैसे विशाल देश कि हमेशा नीचे और नीचे रखा जाता है इसलिए अब हमारा भरोसा इस तरह की तालिकाओं से उठता जा रहा है। इन तालिकाओं के आधार पर सरकार के कामकाज की समीक्षा नहीं करना चाहिए।अब एक तालिका विश्व के श्रेष्ठ विश्व विद्यालयों की भी आयी थी। भारत का एक भी विश्विद्यालय शामिल नहीं है। इसमें क्षोभ की कोई बात ही नहीं है। सर्वश्रेष्ठ विश्व विद्यालय तो आततायी शताब्दियों पहले जलाकर राख कर चुके हैं।
पिछले साल की ही तो बात है, भारत इस वैश्विक भूख तालिका में अपने पड़ौसी पाकिस्तान ,नेपाल और बांग्लादेश से भी पिछड़ गए थे,अरे भाई पिछड़े नहीं थे।भारत ने तो बड़े भाई के नाते जीता हुआ खेल हारा था ताकि छोटे भाई खुश हो सकें।.2020 में भारत इस तालिका में 94 वे स्थान पर थे ..यानि भारत ने इस सूची में लगातार गिरने का मन बना लिया है. हम अपनी रैंकिंग सुधरने के लिए कटिबद्ध हैं ही नहीं. हों भी तो कैसे ? आखिर हमारी सरकार को चौबीसों घंटे ‘ इलेक्शन मोड ‘ में जो रहना पड़ता है. अब सरकार चुनाव लड़े या भुख्खड़ तालिका में अपनी रैंकिंग सुधरने की कोशिश करे ?
विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में छठवें नंबर पर खड़े भारत को भूख की सूची में 107 वे स्थान पर खड़ा देखकर क्षोभ होता है .आप इस सूची को दरकिनार कीजिये.आप भारत की जीडीपी देखिये। हमारी जीडीपी 8 फीसदी से जयदा है फिर भी ये भूख है कि मरने का नाम ही नहीं लेती.कभी-कभी तो लगता है कि जैसे इस भूख ने विश्वगुरु भारत को बदनाम करने की सुपारी ले ली है।