संजोग वॉल्टर। फेडरिक इ विल्सन जो पहाड़ी विल्सन और राजा विल्सन के नाम से मशहूर थे जो ईस्ट इंडिया कंपनी में कर्मचारी थे। 1841 में हरसिल की घाटियों में पहुंच गए। तब उनके रहने के लिए उच्च वर्ण के पास कोई जगह नहीं थी। उन्हें वो जगह इशारे से दिखाई गयी जो दलितों की बस्ती थी। यह वो लोग थे जो सालों से बाबा केदारनाथ की डोली उठाते है। फेडरिक इ विल्सन स्थानीय लोगों के साथ वह शीघ्र ही घुल-मिल गए और गढ़वाली बोली भी सीख ली। उन्होंने अपने रहने के लिए यहां बंगला भी बनाया। निकट के मुखबा ग्राम कि एक लड़की से उन्होंने विवाह भी किया। फेडरिक विल्सन ने यहां पर इंग्लैंड से सेब के पौधे मंगावाकर लगाए जो खूब फले-फूले। आज भी यहां सेब की प्रजाति विल्सन के नाम से प्रसिद्ध है। फेडरिक इ विल्सन हिमाचल के रास्ते पैदल हरसिल पहुंचे थे । उन्होंने यहां खूबसूरत बंगला बनाया, जिसे लोग विल्सन हाउस के नाम से जानते थे। जो बाद में अग्निकांड की भेंट चढ़ गया था वहीं अब यहां वन विभाग का गेस्ट हाऊस बनाया गया है। 2013 की आपदा में इस बंगले को कोई नुकसान नहीं हुआ था। फेडरिक इ विल्सन ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को स्लीपर सप्लाई किये जो उन दिनों रेलवे ट्रैक में लगने थे। बड़े बड़े स्लीपर को नदियों में बहा दिया जाता था जो मैदानों तक आ जाते थे। हट वुड से हरिद्वार फिर लक्सर रेलवे स्टेशन तक बैलगाड़ियों स्लीपर पहुँचाया जाता था। स्लीपर सप्लाई का दूसरा सिरा “वुड गोडाउन” में था जो अब काठ गोदाम कह लाता है।
1914 मे हरसिल में फेडरिक इ विल्सन ने मुकामी लोगों से रामलीला का मंचन करवाया और खुश होकर समिति को 100 स्वर्ण मुद्राएं इनाम में दी। आज भी यहाँ रामलीला होती है। फेडरिक इ विल्सन के बेटों ने पहाड़ों में होटल बनाये उनके बनाये आज भी ज़िंदा है। चार्लीविला होटल बनाया था यह होटल अब लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी मसूरी की शक्ल में हैं ।
कहा जाता है फेडरिक इ विल्सन ने चॉंदी का जूता इज़ाद किया था फेडरिक इ विल्सन ने,जो भी अधिकारी यहाँ आता था फेडरिक इ विल्सन उसके साइज का चॉंदी का जूता उसे पहना कर फिर खिला पिला कर नीचे रवाना कर देते थे। टिहरी नरेश को जब यह पता चला तो वो नाराज हुए पर फेडरिक इ विल्सन ने टिहरी नरेश को नजराना देकर घाटी में देवदार और चीड़ के जंगलों का सफाया किया और जंगली जानवरों का अंधाधुंध शिकार भी किया था।
भारत तिब्बत की सीमा पर बना डाक खाना भी धरोहर है ,हरसिल आने वाले डाक खाने के सामने खड़े होकर सेल्फी ज़रूर लेते हैं। हरसिल को फेडरिक इ विल्सन के बाद राज कपूर ने मशहूर को किया था , राम तेरी गंगा मैली को 50% यही फिल्माया गया था । राम तेरी गंगा मैली में कई बार यह डाक खाना दिखाया था। गंगा फिल्म की नायिका चिठ्ठी के लिए यहाँ आती थी। राम तेरी गंगा मैली में हरसिल की खूबसूरती दिखाई गयी थी। यहीं के झरने में राम तेरी गंगा मैली की नायिका मन्दाकिनी नहाने के लिए गाना गाते हुए जाते दिखाया गया है। मुकामी लोग इस झरने को मन्दाकिनी झरना कहते हैं । हरसिल ठण्ड बहुत थी मन्दाकिनी झरने में नहाने के लिए तैयार नहीं हुई। मन्दाकिनी झरने में नहा रही है यह सीन राज कपूर ने अपने पूनावाले फार्म हाउस में फिल्माया गया था। राज कपूर साहब एडीटर भी कमाल के थे पता नहीं चला हरसिल और पूनावाले फार्म हाउस में फर्क ।