स्मृति शेष। उर्दू की महान लेखिका और पद्मश्री से सम्मानित इस्मत चुग़ताई का जन्म 21 अगस्त, 1915 को हुआ था । मशहूर लेखिका को ‘इस्मत आपा’ के नाम से भी जाना जाता है. वे उर्दू साहित्... Read more
जयंती पर विशेष – गौरा पंत ‘शिवानी’ हिन्दी की सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थीं। हिंदी साहित्य जगत में शिवानी ऐसी शख्सियत रहीं जिनकी हिंदी, संस्कृत, गुजराती, बंगाली, उर्दू तथा अंग्रेजी पर अच्छ... Read more
दुनिया में आज जिस समाजवाद की बात की जाती है उसको 5000 वर्ष पूर्व ही महाराजा अग्रसेन ने सार्थक कर दिखाया था। महाराजा अग्रसेन को समाजवाद का सच्चा प्रणेता कहा जाता है। महाराजा अग्रसेन ने तंत्री... Read more
सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’ हिन्दी कविता के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद क... Read more
कामिनी राय प्रमुख बंगाली कवि, सामाजिक कार्यकर्ता और नारीवादी महिला थीं। वे ब्रिटिश भारत में स्नातक करने वाली पहली महिला थीं।कामिनी राय का जन्म 12 अक्टूबर 1864 को बंगाल के बसंदा गाँव में हुआ... Read more
स्मृति शेष। पं. श्रद्धाराम शर्मा लोकप्रिय आरती ओम जय जगदीश हरे के रचयिता हैं। इस आरती की रचना उन्होंने 1870 में की थी। वे सनातन धर्म प्रचारक, ज्योतिषी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, संगीतज्ञ त... Read more
कामिनी राय प्रमुख बंगाली कवि, सामाजिक कार्यकर्ता और नारीवादी महिला थीं। वे ब्रिटिश भारत में स्नातक करने वाली पहली महिला थीं।कामिनी राय का जन्म 12 अक्टूबर 1864 को बंगाल के बसंदा गाँव में हुआ... Read more
जयंती पर विशेष- रामधारी सिंह दिनकर हिन्दी के प्रमुख लेखक. कवि, निबंधकार थे, राष्ट्र कवि दिनकर आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में स्थापित हैं। बिहार प्रांत के बेगुसराय जिले का स... Read more
पुण्य तिथि पर विशेष। चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ हिन्दी साहित्य के प्रख्यात साहित्यकार थे। तब पंजाब अब हिमाचल प्रदेश के गुलेर गाँव के वासी ज्योतिर्विद महामहोपाध्याय पंडित शिवराम शास... Read more
(13 नवंबर 1917 – 11 सितंबर 1964) जगदीश्वर चतुर्वेदी। नामवर सिंह निर्विवाद रूप से सबसे बड़े आलोचक हैं। लेकिन आलोचना में मुक्तिबोध की छाया का भी स्पर्श क्यों नहीं कर पाए ? मुक्ति... Read more