संजोग वॉल्टर,लखनऊ। 28 सितम्बर को रैबीज दिवस था-सूबे के सभी सरकारी अस्पतालों में वैक्सीन की सुविधा मौजूद है,पर रैबीज बाधित मरीज कही भी भर्ती नहीं किये जाते हैं तीमारदारों को समझा बुझा कर बैरंग वापस भेज दिया जाता है की यह रैबीज बाधित मरीज बचेगा नहीं लखनऊ नहीं बल्कि सुदूर ज़िलों से रैबीज बाधित मरीज को लेकर जब उनके तीमारदार लोहिया चिकित्सालय या बलरामपुर चिकित्सालय आते है इलाज़ की आशा मे तो उन्हें संक्रामक रोग चिकित्सालय भेज दिया जाता है जब वे संक्रामक रोग चिकित्सालय आते है जो अब बंद हो चुका है तीमारदार यहाँ से वापस अपने मरीज के साथ वापस चले जाते है, कभी सूबे के एकलौते संक्रामक रोग चिकित्सालय में रैबीज बाधित मरीज भर्ती किये थे,एक अलग से वार्ड था यहाँ पर।
यह बात और है रैबीज का कोई तोड़ नहीं है रैबीज के इतिहास में सिर्फ एक ही के बचने का उल्लेख है,लुइ पॉस्चर के बाद कोई रैबीज की नयी वैक्सीन भी नहीं बना सका।
संक्रामक रोग चिकित्सालय को मायावती सरकार ने मेडिकल यूनिवर्सिटी को दान कर दिया, चिकित्सालय छोड़कर सभी पुराने घर तोड़ कर मलबा बेच दिया गया पुरानी एम्बुलेन्स भी कबाड़ी ले गए,मरीजों ने भी इस चिकित्सालय से आखें भर ली, मेडिकल यूनिवर्सिटी ने चिकित्सालय प्रागंण में स्टाफ क्वाटर बनवा दिये है.