लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव राजेंद्र चौधरी ने कहा है कि प्रदेश में इन दिनों चारों तरफ निवेशकों के शीर्ष सम्मेलन का बड़ा हो-हल्ला है। कुछ ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जैसे उत्तर प्रदेश का काया पलट होने जा रहा है। बड़े-बड़े उद्योगपतियों को बुलावा भेजा गया हैं उनके स्वागत में पूरे शहर का सौंदर्यीकरण के नाम पर रंगाई पुताई चल रही हैं लेकिन इस शीर्ष सम्मेलन में सिर्फ प्रस्तावों के कागज ही बंटने है। निवेशक समझौते के कागजों पर हस्ताक्षर करके चले जाएंगे। नौजवानों को रोटी-रोजगार मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। भाजपा वादे बांटती रही है, उसमें कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। अगर कानून-व्यवस्था में सुधार नहीं होगा तो कोई क्यों राज्य में निवेश करेगा?
सच तो यह है कि भाजपा के पास जनता को देने के लिए कुछ भी नहीं है। उसके तमाम प्रस्ताव श्री राज्यपाल जी के अभिभाषण में संकलित करके रख दिए गए हैं। अभी पिछले प्रस्तावों को ही जमींन पर नहीं उतारा जा सका, नए प्रस्तावों की तो चर्चा ही व्यर्थ है। किसान, नौजवान, व्यापारी, महिलाएं और अल्पसंख्यक सभी परेशान हैं। महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। व्यापारी नए इंस्पेक्टर राज से प्रताड़ित हैं।
भाजपा जनता को राहत देने के बजाय उन्हें परेशान करने में यकीन करती है। समाजवादी सरकार ने गरीबों को पेंशन दी थी उसे बंद कर दिया गया। साहित्य, संस्कृति, कला और पत्रकारिता के क्षेत्र की विभूतियों को अखिलेश जी ने जो पेंशन दी थी उसे भी भाजपा ने सत्ता में आते ही रोक दिया। गरीबों को आवास मिलने बंद हो गए। स्कूलों में बच्चों को न तो जाड़े में स्वेटर-मोजे मिल पाए नहीं समय से उन्हें पाठ्य पुस्तकें मिलने वाली हैं। भाजपा जनहित के काम करने के बजाय लाउडस्पीकर और बारात में डीजे बजाने के कानूनों का पालन कराने में लग गई है। जीएसटी के बहाने व्यापारी संस्थानों पर छापेमारी शुरू कर दी गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव का कहना है कि यदि नीयत ठीक हो तो कानून व्यवस्था के हालात में सुधार वर्तमान कानूनों से ही हो सकता है। यूपीकोका जैसे कानून तो जनता की आवाज को दबाने के लिए है। भाजपा नेतृत्व को यह समझ लेना चाहिए कि उसकी नीतियों की पोल जनता में खुलती जा रही है। लोगों में गहरा आक्रोश है। इसका जवाब भाजपाईयों को ही देना होगा।