प्रधानमंत्री जन धन योजना को अपने अब तक के कार्यकाल की सबसे बड़ी सफलता बताते आए हैं लेकिन हकीकत कुछ अलग ही है। खबरों के अनुसार प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी ‘जन धन’ योजना बैंकों के लिए मुसीबत बनती जा रही है।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के दबाव में जीरो बैलेंस पर खुले इन खातों को एक्टिव रखने के लिए बैंकों की तरफ से खुद पैसे डाले जा रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बैंक के अधिकारियों का यह कहना है कि बाकायदा हर खाता धारक के नाम एक-एक रुपये के वाउचर काटे गए हैं। इस खर्च को रोजमर्रा के चाय – पानी के खर्च में समायोजित किया जा रहा है। बैंक अधिकारियों का कहना है,‘ जन धन योजना के तहत खाते तो खोले गए लेकिन एक भी पैसा जमा नहीं हुआ।खातों को एक्टिव रखने का दबाव बैंकों पर इस कदर है कि अपनी जेब से पैसे डालकर जीरो बैलेंस का मुहर हटाया जा रहा है।’
दो लाख रुपये की बीमा और पांच हजार रुपये के ओवर ड्राफ्ट के लालच में पूरे देश में 11 करोड़ से ज्यादा जन धन खाते खुल चुके हैं। इनमें से चार करोड़ से ज्यादा खातों में एक भी पैसे नहीं हैं।