स्वप्निल संसार। देश में जब लोक सभा या विधान सभा के चुनाव होते हैं तो कई दिलचस्प आंकड़े सामने आते है 1957 से लेकर 1997 केंद्र में कांगेस की सरकार रही गुजरात की वलसाड लोक सभा उसके के पास रही.रही। 1977 केंद्र में जनता पार्टी सत्ता में तो वलसाड सीट भी जनता पार्टी के साथ चली गयी 1989 में जनता दल ने यह सीट हासिल की और केंद्र न में जनता दल की सरकार बनी ,1996-98-99 में यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में गयी थी केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी। 2004-2009 में यह सीट कांग्रेस के हिस्से में आयी और केंद्रे , में कांग्रेस की सरकार बनी। 2014 में इस सीट को भारतीय जनता पार्टी ने हासिल किया और केंद्र में अपनी सरकार बनाई।
और अब ज़िक्र उत्तर प्रदेश की उस सीट का जो हमेशा से सत्ताधारी दल के खाते में जाती है। 2009 में हुए परिसीमन से पहले तक यह सीट जयसिंहपुर के नाम से जानी जाती थी और अब यह सदर
(सुल्तानपुर )विधान सभा के नाम से जानी जाती ह्नै। 1969 से 1974 इस सीट पर जीत का परचम कांग्रेस ने लहराया। 1977 जनता पार्टी के प्रत्याशी मकबूल हुसैन खान ने जीत हासिल की और सूबे में जनता पार्टी की सरकार बनी । 1980 और 1985 में यह सीट फिर कांग्रेस ने हासिल की। 1989 में जनता दल को जीत मिली और सूबे जनता दल की सरकार बनी।
1991 यह सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में आई और पार्टी ने पहली बार सूबे की सत्ता अपने पर हासिल की । 1993 में यह सीट समाजवादी पार्टी के हिस्से में आयी। 1996-2002 और 2007 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी के खाते में गई थी। 2009 में परिसीमन हुआ सीट का नाम बदल गया पर सीट से जुड़ा मिथ उसके साथ ही रह गया, 2012 में समाजवादी पार्टी ने यहाँ से जीत हासिल की और सूबे में पहली बार समाजवादी पार्टी ने अपने दम पूरे बहुमत की सरकार बनाई। अब सामने है 2017 क्या यह सीट इस बार भी अपने मिथ को कायम रखने में कामयाब होगी या नहीं इसका फैसला होगा 11 मार्च 2017 को ।