स्वप्निल संसार,लखनऊ समाजवादी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुन्देलखण्ड की त्रासदी को कुछ लोग राजनीतिक मुद्दा बनाने में लगे हैं। जबकि यह एक मानवीय और संवेदनशील विषय है क्योंकि बुन्देलखण्ड का संकट आज का नही, काफी पुराना है। केन्द्र और राज्य की सरकारें इसके प्रति उपेक्षापूर्ण व्यहार करती रही है। केवल मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के मुख्यमंत्रित्वकाल में समाजवादी सरकारों ने ही वहाँ की समस्याओं के समाधान के लिए कदम उठाए हैं। जनता की तकलीफों पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकना अनुचित, अवांछनीय और अनैतिक है।
जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे तब बुन्देलखण्ड में बड़ी संख्या में तालाब खोदे गए और कुँओं का जीर्णोद्धार किया गया। अखिलेश यादव के नेतृत्व में समाजवादी सरकार ने बुन्देलखण्ड पर विशेष से ध्यान दिया और बजट में समुचित धनराशि के प्राविधान किये। वे इस क्षेत्र के सूखे से पीड़ित किसानों के हाल जानने के लिए स्वयं अप्रैल में दो बार बुन्देलखण्ड का दौरा कर आए हैं और उन्होंने समाजवादी राहत सामग्री के पैकेट भी खुद बाँटे हैं। वहाँ सौर उर्जा प्लांट भी स्थापित किया गया है। बुन्देलखण्ड की गरीबी और बेकारी दूर करने के उपाय किये गये हैं।
मुख्यमंत्री ने सूखे से पीड़ित बुन्देलखण्ड के किसानों को तत्काल राहत देने के लिए केन्द्र सरकार से 1230 करोड़ रुपये की मांग की है। इस क्षेत्र में पीने के पानी के लिए केन्द्र से 10 हजार टैंकरो की माँग की गई है। केन्द्र सरकार इस पर चुप है। बुन्देलखण्ड में पानी की समस्या नही है, वहाँ तालाबों में पानी है, समस्या पेयजल गाँव-गाँव पहुँचाने की है। इसके लिए टैंकर चाहिए। केन्द्र सरकार पानी की ट्रेन भिजवाने का नाटक कर रही है।
प्रदेश में अपने संसाधनो से सूखाग्रस्त लगभग दर्जन जिलों में 92 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है। इसमें 402 टैंकर बुन्देलखण्ड में लगाए जा रहे हैं। बुन्देलखण्ड के झाँसी में 47, ललितपुर में 34, बाँदा में 152, महोबा में 62 और चित्रकूट में 92 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर बुन्देलखण्ड के सूखा प्रभावित क्षेत्रों में पीड़ित परिवारों को आटा-दाल के साथ चावल और चीनी मुफ्त देने का फैसला किया गया है। सूखा प्रभावितों को एक किलो चीनी, एक किलो नमक, 200 ग्राम हल्दी, 10 किलो चावल अतिरिक्त मिलेगा। अभी तक 10 किलो आटा, 25 किलो आलू, 5 किलो चने की दाल, 01 किलो सरसों का तेल, 01 किलो पराग का देषी घी तथा एक किलो दूध का सूखा पाउडर बाँटा जा रहा है।
बुन्देलखण्ड में पषुओं को भूसा उपलब्ध कराने में और मनरेगा के अन्तर्गत 150 रोजगार दिवसों से लाभार्थियों को लाभान्वित कराने के आदेश हैं। बुन्देलखण्ड के सातों जनपदों में इसके लिए 01 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। इसके अतिरिक्त समाजवादी पंेशन योजना का लाभ भी शत प्रतिशत पात्र व्यक्तियों को दिये जाने के निर्देश हैं। पेयजल जल हेतु ट्यूबवेल रिबोर कराये जा रहे हैं।
सच तो यह है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसी भी संकट का राजनीतिक लाभ लेने के पक्ष में नही हैं। वे समस्या के हल के लिए लगातार अधिकारियों के संपर्क में रहते हैं और महोबा, ललितपुर बाँदा और चित्रकूट की अपनी यात्राओं में उन्होंने हालात की सही जानकारी के लिए जनता से सीधा संवाद किया था। उन्हें सूखा पीड़ित किसानों की चिंता है और वे भरसक कोशिश कर रहे हैं कि एक भी व्यक्ति भूखा न रहे। उन्होंने घोषणा की है कि जब तक बुन्देलखण्ड में सूखा संकट रहेगा समाजवादी राहत सामग्री के पैकेट बराबर बाँटे जाते रहेंगे। लोकतंत्र में विपक्ष इस पर राजनीति करे तो यह जन भावना का अपमान करना होगा।