मुबारक साल गिरह
सलीम खान शुक्रवार को वो अपना 81वां जन्मदिन मनाने रहे हैं। सलीम खान के जीवन की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। उनके तीन बेटे और दो बेटियां हैं। इनमें सलमान सबसे बड़े हैं उसके बाद अरबाज, सोहेल और अलविरा हैं। सलीम खान और हेलेन ने एक बच्ची को गोद लिया जिसका नाम अर्पिता खान है। आइए जानते हैं कैसा रहा सलीम खान की जिंदगी का सफर..
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सलीम खान का जन्म 24-11-1935 को इंदौर में हुआ था। करीब 150 साल पहले उनके पूर्वज अफगानिस्तान से आकर भारत में बस गए थे। सलीम के पिता पुलिस में थे इसलिए घर में सख्त माहौल था। घर का हर सदस्य बहुत ही सलीके से रहता था। सलीम खान बहुत छोटे थे तभी उनके माता-पिता का निधन हो गया। जब सलीम थोड़े बड़े हुए तो उन्होंने हीरो बनने का सोची।
इसके बाद सलीम खान मुंबई आ गए। सलीम खान जब मुंबई आए थे तो उनकी आंखों में भी हीरो बनने के सपने पल रहे थे। अभी सलीम का करियर शुरू भी नहीं हुआ था। तभी 1964 में उन्हें एक ब्राह्मण लड़की सुशीला चरक से प्यार हो गया। सलीम ने सुशीला से शादी भी कर ली। शादी के बाद सुशीला ने अपना नाम बदलकर सलमा रख लिया। शादी के बाद सलीम की जिंदगी में ट्विस्ट आया।
एक शादी में डायरेक्टर के. अमरनाथ की नजर सलीम खान पर पड़ी। उन्हें सलीम की कद-काठी और चेहरा-मोहरा हीरो वाला लगा। अमरनाथ उनके पास गए और उन्हें तुरंत अपने ऑफिस में बुलाया। अमरनाथ ने सलीम को 400 रुपए सैलरी पर नौकरी पर रख लिया। शुरुआत में सलीम को छोटे-मोटे रोल मिले। इसलिए वो लोगों की नजरों में नहीं चढ़ पाए।
अभी सलीम की शादी को ज्यादा समय नहीं हुआ था। तभी उनकी मुलाकात हेलेन से हुई। सलीम हेलेन को पसंद करने लगे और उन्हें उनसे प्यार हो गया। दोनों के रिश्ते को कोई कबूल करने को तैयार नहीं था। सलीम की पत्नी सलमा भी इस रिश्ते के खिलाफ थीं। उनके बच्चे भी मां की तरफ ही थे। इसके बावजूद 1981 में सलीम खान ने हेलेन से शादी कर ली और अपने रिश्ते को एक नाम दिया।जबकि आज सलीम दो बार प्यार में पड़ने की स्थिति से बचने की सलाह देते हैं।
सलीम के करिअर उस समय चरम पर पहुंचा जब उनकी मुलाकात जावेद अख्तर से हुई। जावेद उस जमाने के क्लैपर ब्वॉय थे। जावेद सलीम के पक्के दोस्त बन गए और उन्होंने सलीम को लेखक बनने की सलाह दी। उनकी सलाह पर सलीम ने अभिनय छोड़ दिया और लेखक/निर्देशक अबरार अलवी के सहायक बन गए। वहीं जावेद कैफी आजमी के असिस्टेंट बन गए।
कैफी और अलवी पड़ोसी थे। अक्सर दोनों की मुलाकात होती रहती थी। इन्हीं के सपोर्ट से सलीम-जावेद की जोड़ी बनी और फिल्म ‘हाथी मेरे साथी’ की दमदार स्क्रिप्ट लिखी। ये फिल्म सुपर हिट रही और इसके बाद इस जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद सीता और गीता, यादों की बारात, जंजीर, मजबूर, हाथ की सफाई, दीवार, शोले, चाचा-भतीजा, त्रिशूल, डॉन, काला पत्थार, दोस्ताना, शान, क्रांति, शक्ति और मिस्टर इंडिया जैसी फिल्में इनकी कलम के जादू ये हमेशा के लिए यादगार बन गईं।
सलीम-जावेद की जोड़ी करीब 24 फिल्मों में एक साथ काम किया। इसके बाद ये जोड़ी अलग हो गई। भारतीय सिनेमा के इतिहास में ये जोड़ी सबसे कामयाब रही। अब उनके बेटे सलमान खान सफलता की चरम पर हैं। सलमान भले ही फिल्म इंडस्ट्री के दबंग माने जाते हों लेकिन घर पर सलीम खान के आगे किसी की नहीं चलती। बदलते दौर में सलीम ने आज भी अपने परिवार को जोड़कर रखा है। उनका परिवार इंडस्ट्री के लिए एक मिसाल है। इतने बड़े स्टार होने के बावजूद सलमान आज भी अपने पिता के घर में ही रहते हैं। सलीम के घर में हिंदू और मुस्लिम त्योहार एक जैसे ही मनाए जाते हैं। ईद और दीवाली दोनों मौकों पर जश्न होता है।