एफआरडीआई विधेयक में बदलाव
दिवालियेपन का झांसा देकर देश की अर्थ व्यवस्था को जर्जर करने वालों पर शिकंजा कसना अब जरूरी हो गया है। बित्त मंत्री अरूण जेटली इसी लिए एफआरडीआई विधेयक में बदलाव करने जा रहे हैं। सरकार फाइनेंशियल रिजॉल्यूशन एंड डिपॉजिट इंश्योरेंस (एफआरडीआई) विधेयक, 2017 के उन प्रावधानों में बदलाव कर सकती है जिन्हें लेकर चिंता जतायी गयी है। माना जा रहा है कि केंद्र इस अहम विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में विचार के लिए रखेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गत दिनों को इसका संकेत दिया। यह विधेयक बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य वित्तीय संस्थानों के दिवालियेपन के मामले सुलझाने के लिए लाया गया है। हालांकि इसके कुछ प्रावधानों को लेकर बैंकों के जमाकर्ताओं ने चिंता प्रकट की है। असल में इस विधेयक में रिजर्व बैंक की सब्सिडियरी डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) को खत्म करने प्रावधान है। डीआईसीजीसी ही वह संस्था है जो किसी बैंक के फेल होने पर उसमें जमा एक लाख रुपये तक की राशि के भुगतान का आश्वासन बीमा के जरिये देती है। ऐसे में इस विधेयक के प्रावधानों में अभी यह स्पष्ट नहीं है कि जमाकर्ताओं की बचत को किस प्रकार से सुरक्षित रखा जाएगा।
वित्त मंत्री जेटली से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह विधेयक अभी ड्राफ्टिंग की प्रक्रिया में है। अभी संसदीय समिति अपनी सिफारिशें देगी और उसके बाद कैबिनेट के पास वापस आएगा। कैबिनेट इन सिफारिशों को जनता की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक करेगी। इस तरह इसमें आवश्यकता होने पर कई सुधार होंगे। जीएसटी और नोटबंदी के अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि स्वाभाविक है कि जब संरचनात्मक बदलाव आते हैं तो कुछ समय के लिए अर्थव्यवस्था में भी उसका एक असर नजर आता है। नोटबंदी का असर एक या दो तिमाही में था। संरचनात्मक सुधारों का लाभ मध्यावधि या दीर्घावधि में रहता है। जीएसटी और नोटबंदी के चुनावों पर असर के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा कि नोटबंदी के बाद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव हुए। इन दोनों चुनावों में भाजपा को एक प्रकार से तीन चौथाई बहुमत मिला जो अप्रत्याशित था। इसलिए जिन लोगों का यह आकलन था कि नोटबंदी का बहुत असर पड़ने वाला है लेकिन जितने भी व्यापारिक हब थे, वहां भाजपा की अच्छी जीत हुई। यूपी में स्थानीय शहरी निकायों के परिणाम भी इसी बात को साबित करते हैं। जेटली ने कहा कि जीएसटी ने व्यापार और व्यवसाय करना सरल कर दिया है। हर व्यापारी के लिए आज पूरा देश बाजार है। उसे सामान की ढुलाई में समय की बचत होती है। इंस्पेक्टर से मुक्ति मिली है, रिटर्न आसान हुआ है और दरें भी तर्कसंगत तरीके से तय की गई हैं। उन्होंने गुजरात और उत्तर प्रदेश के जिन व्यापारिक केंद्रों का दौरा किया है, उन्हें यही फीडबैक मिला है।(हिफी)
मोबाइल को आधार से लिंक कराना आसान होगा
दूरसंचार विभाग ने विदेशी नागरिकों व प्रवासी भारतीयों के सिम कार्ड के फिर सत्यापन के लिए प्रक्रिया तय कर दी। विभाग ने दूरसंचार कंपनियों से कहा है कि वे इस नई प्रक्रिया को एक जनवरी 2018 तक लागू कर दें। दूरसंचार विभाग ने विदेशी नागरिकों के साथ साथ प्रवासी भारतीयों के सिम के पुनर्सत्यापन की प्रक्रिया तय कर दी। इसके साथ ही 70 साल से अधिक आयु वाले वरिष्ठ नागरिक जिनके पास आधार नहीं है तथा बायोमेट्रिक सत्यापन नहीं करवा पाने वालों के सिम के पुनर्सत्यापन की प्रक्रिया भी नियत कर दी है। विभाग ने इस बारे में आदेश जारी किया जिसमें सभी दूरसंचार कंपनियों से कहा है कि वे वैकल्पिक उपाय एक जनवरी 2018 से लागू कर दें। उद्योग मंडल सीओएआई ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि विभाग की नई प्रक्रिया से ग्राहकों को फायदा होगा लेकिन प्रवासी भारतीयों तथा वरिष्ठ नागरिकों के लिए बताई गई प्रक्रिया जटिल है। विभाग ने कहा कि कई बार नॉन रेजिडेंट इंडियंस (एनआरआई) और ओवरसीज इंडियंस और फॉरेन नेशनल्स को अपने मोबाइल नंबर से आधार लिंक कराने में दिक्कतें आने की बात सामने आई हैं। इन दिक्कतों की वजह यह है कि इन सब्सक्राइबर्स के पास आधार नहीं है और न ही वे 12 अंकों के इस नंबर के लिए नामांकन कराने के पात्र हैं। विभाग ने कहा कि आधार नहीं रखने वाले फॉरेन नेशनल्स अपने मोबाइल ऑपरेटर के रिटेल आउटलेट्स पर जाकर और अपने पासपोर्ट की डिटेल्स जमा करके ऐसा कर सकेंगे। डॉट ने ऑपरेटर्स को ऐसे टेलिकॉम सब्सक्राइबर्स के लिए भी आई.वी.आर.एस.-बेस्ड वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) अथेंटिकेशन के प्रोसिजर्स के बारे में भी बताया है, जिनके मोबाइल नंबर आधार के साथ रजिस्टर्ड हैं, वे आधार से लिंक कराने के वास्ते ओटीपी जनरेट करने के लिए 14546 को इंटरएक्टिव वॉयस रिस्पॉन्स सिस्टम (आई.वी.आर.एस.) हेल्पलाइन के तौर पर इस्तेमाल कर सकेंगे। (हिफी)
जापानी कार कम्पनी ने भारत पर किया मुकदमा
जापान की कार कम्पनी निसान ने भारत के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके करीब पांच हजार करोड़ रूपये का भुगतान मांगा है। जुलाई 2016 में निसान के वकीलों द्वारा भेजे गए नोटिस के बाद भारत सरकार, तमिलनाडु सरकार और निसान के अधिकारियों के बीच एक दर्जन से ज्यादा बार बैठक हुईं। इसके बाद कार बनाने वाली जापानी कंपनी निसान मोटर्स ने भारत के खिलाफ इंटरनेशनल आर्बिटरेशन में मामला दर्ज कराया है। इसके तहत कंपनी ने भारत पर स्टेट इन्सेंटिव के तौर पर करीब 5,000 करोड़ रुपए (770 मिलियन डॉलर) का भुगतान नहीं करने की बात कही है। पिछले साल कंपनी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कानूनी नोटिस भी भेजा था। इस नोटिस में तमिलनाडु सरकार से इन्सेंटिव के तौर पर बकाया पेमेंट की मांग की गई थी। कंपनी ने 2008 में तमिलनाडु सरकार के साथ समझौते के तहत राज्य में कार मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगाया था। निसान ने नोटिस में 2,900 करोड़ रुपए के अनपेड इन्सेंटिव और 2,100 करोड़ रुपए डेमेज, ब्याज आदि के रूप में मांगे हैं। नोटिस में कहा गया था कि राज्य के अधिकारियों से 2015 में बकाए के भुगतान के लिए बार-बार अनुरोध किया गया लेकिन राज्य के अधिकारियों ने इसे नजरअंदाज किया। यहां तक कि कंपनी के चेयरमैन कार्लोस घोस्न ने पिछले साल मार्च में पीएम नरेंद्र मोदी से मदद मांगी लेकिन इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला। जुलाई 2016 में निसान के वकीलों द्वारा भेजे गए नोटिस के बाद भारत सरकार, तमिलनाडु सरकार और निसान के अधिकारियों के बीच एक दर्जन से ज्यादा बार बैठक हुईं। भारत सरकार के अधिकारियों ने निसान को भरोसा दिया कि पेमेंट किया जाएगा और इसे कानूनी मामला नहीं बनाया जाना चाहिए, लेकिन अगस्त में निसान ने भारत सरकार को एक आर्बिटेटर नियुक्त करने की चेतावनी दी। पहली आर्बिटेशन सुनवाई दिसंबर के मध्य में होगी। वहीं तमिलनाडु सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार को उम्मीद थी कि इंटरनेशनल आर्बिटरेशन में जाए बिना विवाद का समाधान हो जाएगा। बकाया राशि को लेकर कोई दिक्कत नहीं थी और इस विवाद का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। पीएम मोदी के ऑफिस से इस मसले पर कोई जवाब नहीं मिला। (हिफी)