प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दलितों को जोडऩे का प्रयास कर रहे हैं, वहीं भाजपा के कुछ नेता इस तरह से बयानबाजी करते हैं जिससे दलित भड़क जाते हैं। मध्य प्रदेश की महिला एवं बाल विकास मंत्री अर्चना चिटनीस ने अखिल भारतीय बाल्मीकि महासभा के राष्ट्रीय अधिवेशन में महर्षि बाल्मीकि के बारे में विवादित बयान दे दिया। इस पर बाल्मीकि समाज के नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया। मंत्री अर्चना चिटनीस को जब अपनी गलती का अहसास हुआ तो उन्होंने माफी मांगी लेकिन इसे सियासी मुद्दा भी बनाया जा सकता है।
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कार्यक्रम में मंत्री अर्चना चिटनीस मुख्य अतिथि थीं। मंत्री चिटनीस ने कहा कि बाल्मीकि सारे भारत के हैं। अंग्रेजों ने हिन्दुओं को मुसलमानों से, क्षत्रियों को ब्राह्मणों से, सवर्णों को अनुसूचित जाति से दूर करने के बहुत सारे रास्ते अपनाए और इतिहास को गलत तरीके से मोड़ दिया। चिटनीस ने कहा कि जिस समय बाल्मीकि हुए, उस समय भारत में जाति प्रथा नहीं थी लेकिन इतिहास जो लिखा गया, वो भारत को कमतर बताने के लिए लिखा गया। इसी इतिहास को दुरुस्त करने के संदर्भ में महिला एवं बाल विकास मंत्री ने महर्षि बाल्मीकि के बारे में भी आपत्तिजनक बात कह दी। हालांकि बाद में उन्होंने इसके लिए माफी मांगी और कहा कि यदि मेरे कहने में एकाध शब्द ठीक नहीं उपयोग में आया तो मैं हृदय की गहराइयों से यही कहूंगी कि मैं छोटी हूं, उनकी बहन हूं, मैं उनकी स्नेहिल हूं। मैं एक बार नहीं हजार बार क्षमा मांगूंगी।
इसके बाद भी बाल्मीकि समाज का गुस्सा शांत नहीं हुआ। कार्यक्रम में नई दिल्ली से आये एडीशनल सेक्रेट्री गवर्नमेंट आफ इण्डिया डा. ओपी शुक्ला ने कहा कि मंत्री द्वारा हमारे भगवान के संबंध में गलत शब्द उपयोग किये गये हैं। हम इसका जमकर विरोध करते हैं। महर्षि बाल्मीकि हमारे लिए भगवान हैं। हमारे भगवान के लिए कोई गलत शब्द इस्तेमाल करेगा तो समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। अखिल भारतीय बाल्मीकि महासभा के प्रदेश महासचिव देवीदास चावरिया ने भी मंत्री चिटनीस के शब्दों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि बाल्मीकि समाज अब इतना अनपढ़ नहीं रह गया है। मंत्री चिटनीस ने जो बातें कहीं, उससे हमारे समाज के लोगों को ठेस पहुंची है और बाल्मीकि समाज समय आने पर इस संबंध में निर्णय करेगा। इसके राजनीतिक अर्थ भी लगाये जाते हैं। (हिफी)