18वीं सदी के उत्तराद्रर्ध तक तोता-मैना व शीत-बसंत जैसे कथानकों को अपदस्थ कर बाबू देवकीनंदन खत्री के हंगामी तिलस्मी उपन्यास हिंदी के पाठकों का एक बड़ा वर्ग तैयार कर चुके थे। बात साफ थी कि चं... Read more
18वीं सदी के उत्तराद्रर्ध तक तोता-मैना व शीत-बसंत जैसे कथानकों को अपदस्थ कर बाबू देवकीनंदन खत्री के हंगामी तिलस्मी उपन्यास हिंदी के पाठकों का एक बड़ा वर्ग तैयार कर चुके थे। बात साफ थी कि चं... Read more
18वीं सदी के उत्तराद्रर्ध तक तोता-मैना व शीत-बसंत जैसे कथानकों को अपदस्थ कर बाबू देवकीनंदन खत्री के हंगामी तिलस्मी उपन्यास हिंदी के पाठकों का एक बड़ा वर्ग तैयार कर चुके थे। बात साफ थी कि चं... Read more
एजेंसी। 18वीं सदी के उत्तराद्रर्ध तक तोता-मैना व शीत-बसंत जैसे कथानकों को अपदस्थ कर बाबू देवकीनंदन खत्री के हंगामी तिलस्मी उपन्यास हिंदी के पाठकों का एक बड़ा वर्ग तैयार कर चुके थे। बात साफ थ... Read more