वर्तमान समय ‘कंज्यूमर्स-मार्केट का है अर्थात ग्राहक की मांग पर हर वस्तु सहजता से सुलभ है। किन्तु बिजली इसका अपवाद है। पैसे खर्च करने पर भी बिजली उपलब्ध नहीं है। आपूर्ति और मांग में लगभग 1ः2 का अंतर है। यह स्थिति किसी एक प्रदेश में ही नहीं है-औसत रूप से सारे देश में यही समीकरण है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि बिजली को स्टोर करके नहीं रखा जा सकता। बिजली तुरंत उत्पादित होती है। पारेषण एवं वितरण लाइनों के लंबे जाल से ट्रांसफारर्मस के माध्यम से वोल्टेज बदलती हुई, उपभोक्ता तक पलक झपकते पहुंचती है, तुरंत उपयोग कर ली जाती है। यही कारण है कि पीकिंग अवर्स अर्थात शाम एवं सुबह के वे घंटे, जब बिजली की मांग सबसे ज्यादा होती है, मांग एवं आपूर्ति के बड़े अंतर के घंटे होते हैं। आज प्रत्यक्ष-परोक्ष रूप से हमारे जीवन में लगभग प्रत्येक स्तर पर हम बिजली पर निर्भर हो चुके हैं। बिजली ऊर्जा का वह प्रकार है, जो सहजता से, बिना प्रदूषण फैलाये, त्वरित रूप से एवं अपेक्षाकृत सस्ते में सुलभ होता है, इसीलिए प्रकाश के लिये, मनोरंजन के लिए, शीतलीकरण के लिये। ऊष्मा के लिये, सिंचाई के लिये, उद्योग-कारखानों की मशीनों के संचालन के लिये हर कोई बिजली का उपयोग करना चाहता है। जिन देशों मंे पर्याप्त मात्रा मंे बिजली उपलब्ध है, वहां प्रति व्यक्ति बिजली की औसत खपत को प्रगति का मापदण्ड माना जाता है। दुर्भाग्य से हमारे देश में यह स्थिति अभी दूर है। केन्द्र सरकार ने सन् 2019 तक सबके लिये पर्याप्त बिजली की योजना बनाई, पर आर्थिक संसाधनों की कमी के चलते हमें नई विद्युत उत्पादन इकाइयों की स्थापना हेतु विश्वबैंक, एशियन विकास बैंक आदि विदेशी संस्थाओं का मुंह देखना पड़ रहा है, जिसके चलते इन संस्थाओं के दबाव में विद्युत मण्डलों के पारम्परिक लोक हितैषी स्वरूप में आमूल परिवर्तन करते हुये, इन्हें आत्मनिर्भर लाभ कमाने वाली कंपनी में बदला जा रहा है। यही कारण है कि विगत थोड़े समय में मुफ्त बिजली देना बन्द करने एवं बिजली की दरों में अपेक्षाकृत तीव्र वृद्धि जैसे दुष्परिणाम समाज को भुगतने पड़ रहे हैं। वर्तमान में बिजली के बिलांे में जो वृद्धि हुई है एवं बिजली की उपलब्धता मंे जो कठिनाई है, उसके चलते बिजली की बचत समय की मांग है। मितव्ययता का महत्व हम सबको भलीभांति समझना होगा। बिजली की समुचित बचत के द्वारा न केवल हम अपने बिल में कमी ला सकते हैं वरन् सामाजिक एवं राष्ट्रीय हित में, उपयोग के सही बिन्दु पर बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहयोग भी कर सकते हैं, क्योंकि बूँद-बँूद से ही घड़ा भरता है, यह एक शाश्वत सत्य है। विद्युत की कमी के वर्तमान समय में केवल बिजली बिल भुगतान करने की शर्त पर हम बिजली के दुरुपयोग के अधिकारी नहीं बन जाते। क्योंकि सच तो यह है कि जिस दर पर हमंे बिजली आपूर्ति हो रही है, वह बिजली उत्पादन, पारेषण एवं वितरण में वर्षों से किये गये, अथक परिश्रम एवं असीमित व्यय की तुलना में उत्पादन की वास्तविक लागत से कम होती है।
ज्वलंत प्रश्न है कि बिना अपनी सुख-सुविधाओं में कमी लाये, बिजली बचत के क्या तरीके अपनाये जायंें? इसके लिये हमें अपने बच्चों एवं परिवार के समस्त सदस्यों में बिजली बचत करने की प्रवृत्ति के संस्कार डालने चाहिये। बिजली के महत्व को लेकर बच्चों से खुलकर चर्चा करें। घर-दफ्तर में कमरे से निकलते ही पंखे, लाइट के स्विच बंद करना न भूलें। कमरों में दीवारों का रंग सफेद, हल्का नीला रखें, जिससे सूर्य के प्रकाश का अधिकाधिक उपयोग हो। कमरे की खिड़कियां खुली रखें। नौ वोल्ट की छोटी टयूब लाइट का इस्तेमाल प्रकाश हेतु करें। प्रकाश उपकरणों की धूल नियमित रूप से साफ करें। घर पर आई.एस.आई. द्वारा प्रमाणित विद्युत उपकरण ही प्रयुक्त करें, इससे सुरक्षा के साथ ही बिजली की बचत भी होती है। अन्य सस्ते उपकरणों से बिजली के झटके का डर बना रहता है एवं उनमें प्रयुक्त रजिस्टेंस आदि समुचित गुणवत्ता के न होने से ज्यादा बिजली ताप में बदलकर बेकार चली जाती है। वाशिंग मशीन, बिजली की प्रेस, मिक्सी आदि का उपयोग करते वक्त गृहणियों को एक बार में ही कई कपड़े एक साथ आइरन करने एवं धोने से भी बिजली की बचत होती है। घर पर फ्यूज बाक्स में सदैव उचित रेटिंग का फ्यूज ही डालना चाहिए एवं घर के विद्युत भार की सही जानकारी, अपने विद्युत कार्यालय में अवश्य देवें। यदि बिजली से बैटरी चार्ज करें तो ध्यान रखें कि उसमें उचित मात्रा में एसिड भरा हुआ हो। अर्थिंग अवश्य करें। हमारे किसान भाई भी अपने इस्तेमाल के पम्प एवं मोटर के सही रखरखाव से बिजली का बेहतर उपयोग और बिल में बचत कर सकते हैं। मोटर का साफ्ट यदि बिल्कुल सीधा हो, बियरिंग भी कम घिसती है और समूचा पावर ट्रांसफर होकर उपयोग में आता है। थ्रीफेज सप्लाई में इंडीकेटर के रूप में हमारे किसान भाई ज्यादा वोल्टेज के बल्ब लगाते हैं, जरूरत है कि वे केवल जीरो वाट के बल्ब ही इस्तेमाल करें। पी.वी.सी. पाइप लाइन के उपयोग से घर्षण कम होता है, और बिजली की बचत होती है। फुटबाल्ब ऐसे लगायें जो केवल आवश्यक अवरोध ही उत्पन्न करे।पानी कितनी गहराई से खींचना है, और कितनी ऊंचाई पर पहुंचना है, इसे ध्यान में रखकर मानक अश्वशक्ति का पम्प ही प्रयोग करें। अनेक बार किसान भाई बेवजह अधिक अश्वशक्ति की मशीनें उपयोग करते हैं, जो बिजली का अपव्यय करती हैं।वितरण पाइप में गैर जरूरी मोड़ और ऊर्जा नष्ट करते हैंे, पाइप लाइन यथासंभव सीधी रखी जानी चाहिये। पम्प सैट के साथ कैपेसिटर का प्रयोग अवश्य करना चाहिये, इससे वोल्टेज के उतार-चढ़ाव से उपकरण का बचाव होता है। पम्प मोटर की आइलिंग व सर्विसिंग नियमित रूप से करानी चाहिये।शाम के पीकिंग अवर्स में जिनके पास भी इन्वेटर्स एवं जनरेटर्स हैं, उन्हें उनका उपयोग कर ऊर्जा-योग अवश्य करना चाहिये, इससे सिस्टम पर लोड कम पड़ेगा और हम बिजली की बचत भी कर पायेंगे। इन्वर्टर्स की बैटरी नियमित रूप से डिस्चार्ज भी होती रहेगी। अपने वातानुकूलन यंत्र इस समय बंद रखें। उद्योग जगत को उच्च वोल्टेज पर विद्युत प्रदाय हेतु विद्युत कंपनी विशेष यत्न करती हैं, उद्योग जगत का कर्तव्य भी है कि वे बिजली का सही उपयोग करें और बिजली बचत में सहयोग करें।अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत जैसे सोलर सैल, एलइडी बल्ब-ट्यूबलाइट, सोलर कूकर एवं सोलर हीटर का उपयोग, बायोगैस संयंत्रों का उपयोग जितना ज्यादा किया जावे उतना अच्छा है। ताप विद्युत का उत्पादन नैसर्गिक कोयले एवं तेल भंडारों के उपयोग से हो रहा है। ताप विद्युत के उत्पादन से राख एवं धुयें का पर्यावरण प्रदूषण भी फैलता है, तो दूसरी ओर जल विद्युत के उत्पादन में बड़ी मात्रा में जमीन डूब में आकर बेकार हो जाती है, अतः अपनी भावी पीढ़ी के लिये नैसर्गिक संसाधनों की रक्षा करने के अपने दायित्व को निभाने हेतु भी हमें, बिजली का न्यूनतम, अत्यावश्यक उपयोग ही करना चाहिये तथा बिजली की बचत करना चाहिये। (हिफी)
