जयंती पर विशेष
हिन्दी ही नहीं किसी भी भारतीय भाषा के सिनेमा के इतिहास में इतनी दबंग, इतनी निर्भीक, इतनी बहादुर, इतनी स्टंटबाज टारजन या रॉबिनहुड स्टॉइल की नायिका आज तक दूसरी नहीं हुई, जितनी नाडिया थी। जब नाडिया का हंटर चलता था, तो शेर जैसे दहाडऩे वाले खलनायक भीगी बिल्ली की तरह यहां-वहां छुपकर जान बचाते नजर आते थे। नाडिया ने हिंदुस्तानी सिनेमा के तीस और चालीस के दशक में एक दिलेर-जांबाज तारिका के रूप में ऐसा जीवटभरा प्रदर्शन किया कि उसने पारम्परिक भारतीय समाज की अनेक मान्यताओं को ध्वस्त कर दिया।
नाडिया का जन्म 8 जनवरी 1908 में पर्थ, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया हुआ था। मैरी एन इवान्स उर्फ फियरलेस नाडिया स्कॉटलैंड के मूल निवासी हर्बट इवांस की बेटी थी। माता ग्रीक मार्गरेट थी। बेटी का नाम मेरी रखा गया। एक अमेरिकी ज्योतिष की सलाह पर वह मेरी इवान्स से नाडिया हो गई। हर्बट ब्रिटिश सेना में थे और भारत आने के पहले वे ऑस्ट्रेलिया में रहते थे। मैरी महज एक साल की थीं जब उनके पिता के रेजिमेंट का ट्रांसफर बॉम्बे कर दिया गया।
1915 में प्रथम विश्व युद्ध के दौरान जर्मनों के हाथों उनके पिता की असामयिक मृत्यु के फलस्वरूप उनका परिवार पेशावर (अब पाकिस्तान) में जा बसा। उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा) में रहने के दौरान उन्होंने वह घुड़सवारी, शिकार, मछली पकड़ना और निशाना लगाना सीखा। 1928 में मेरी अपनी मां और भाई रॉबर्ट जोन्स, जिनके बारे में बहुत ज्यादा मालूमात नहीं है, के साथ बॉम्बे लौट आईं और यहाँ मैडम एस्ट्रोवा से बैले नृत्य सीखा।
नाडिया ने पहले पहल बॉम्बे के सेना और नौसेना दुकानों में बतौर सेल्सवुमन नौकरी की, फिर “एक बेहतर नौकरी पाने” हेतु शार्टहैंड व टाइपिंग भी सीखना चाहती थीं। एस्ट्रोवा की मंडली ब्रिटिश सैनिकों के लिये सैन्य ठिकानों पर और भारतीय राजघरानों और आम लोगों के लिये धूल भरे छोटे कस्बों और गांवों में प्रदर्शन करती फिरती। यहीं उन्होंने गुलाटी मारना (cartwheel) जैसे करतबों में महारत हासिल की, जो बाद में फिल्म के स्टंट करने में बेहद काम आई।
बैले सीखने के लिए वजन घटाया। कुछ समय झाको रशियन सर्कस में भी कलाबाजियां दिखाई। ब्रिटिश -भारतीय दर्शकों का मनोरंजन बैले के प्रदर्शन से करने लगी। एक शो में होमी वाडिया ने देखा, तो मंत्रमुग्ध हो गए। स्क्रीन टेस्ट के बाद वाडिया मूवीटोन के लिए नाडिया ऐसे अनुबंधित हुई कि होमी के ‘होम’ की मालकिन बनी।उन्होंने यहां पर घुड़सवारी, शिकार और शूटिंग जैसे हुनर सीखे.आरंभिक दो-तीन फिल्मों ‘देश दीपक’ और ‘नूर-ए-यमन’ में छोटे रोल करने के बाद जेबीएच वाडिया ने 1935 में फिल्म हंटरवाली की पटकथा लिखी।वाडिया ब्रदर्स ने अपना अलग ट्रेंड शुरू किया। यह अमेरिकन टार्जन मूवीज/वेस्टनर्स/काऊबॉय स्टाइल से प्रेरित था। इन्हें स्टंट फिल्मों का ऑनर दिया गया।
हंटर वाली नायिका प्रधान फिल्म थी। 1935 में आई फिल्म हंटरवाली नाडिया की सबसे पहली फिल्म थी जिसमें उन्हें बड़ी कामयाबी मिली. इसके बाद उनकी कई फिल्में आई जिनमें उन्हें एक के बाद एक सफतला मिलती गई.हंटरवाली मे स्टंट्स में अपने हाथ दिखाने के बाद तो उनकी हर फिल्म ही इस तरह की रहने लगी.हंटरवाली के अलावा नाडिया पहाड़ी कन्या, मिस फ्रंटियर मेल, डायमंड क्वीन, मुकाबला, शेर-ए-बगदाद जैसी कई फिल्मों में नजर आईं। उन्हें हिंदी फिल्मों में अपने कमाल के स्टंट्स के लिए जाना जाता है। वे जेम्स बॉन्ड पर बनी स्पूफ (मजाकिया) फिल्म ‘खिलाड़ी’ में भी नजर आई थीं. उन्होंने कई ऐसे स्टंट किए जिनमें उनकी जान को भी खतरा था लेकिन उन्होंने इसकी परवाह कभी नहीं की.नाडिया की फिल्में हमेशा सामाजिक मुद्दो पर आधारित रहती थी जिनमें वह अपने स्टंट खुद करना पसंद करती थी वो भी बिना किसी सुरक्षा उपायों के. पहाड़ो से छलांग लगाना, चलती ट्रेन से कूदना, शेरों से दोस्ती करना, ये सब नाडिया के स्टंट का ही एक हिस्सा थे जिनकी वजह से उन्हें स्टंट क्वीन कहा जाने लगा. नाडिया सचमुच में बहादुर थी, इसका प्रमाण फिल्म जंगल प्रिंसेस से मिलता है। इस फिल्म के एक सीन में वह चार शेरों से लड़ती है। हिंदी उच्चारण ठीक नहीं होने के बावजूद फिल्म पहाड़ी कन्या में नाडिया ने लम्बे संवाद बोले थे। मारधाड़ में माहिर नाडिया के सीने में भी औरत का दिल धड़कता था। फिल्म मौज में भावना प्रधान संवाद बोलकर उन्होंने दर्शकों को रुला दिया। नाडिया की आखिरी स्टंट फिल्म सरकस क्वीन थी। 1959 में उन्होंने अपने निर्माता-निर्देशक होमी वाडिया से शादी कर फिल्मों से संन्यास ले लिया। 1968 में खिलाड़ी फिल्म में छोटी भूमिका में वह आखिरी वार परदे पर आई थी।
1935 से 1968 तक नाडिया ने कुल 42 फ़िल्मों में काम किया। 1993 में जेबीएच के पोते रियाद विंसी वाडिया ने नाडिया के जीवन पर ‘फियरलेस: द हंटरवाली स्टोरी’ नाम से डाक्यूमेंटरी फिल्म बनाई। इसे जर्मन पत्रकार डोरोथी वेनर ने देखा। उन्होंने नाडिया के जीवन पर भारत आकर रिसर्च कर जर्मनी में किताब लिखी। फियरलेस नाडिया के शीर्षक से वह अंग्रेजी में अनूदित हो भारत आई थी। इस बहाने इस अद्भुत तारिका को फिर से याद किया गया। 2017 में फिल्म रंगून में कंगना रनौत का लुक नाडिया की पहली फिल्म हंटरवाली से इंस्पायर था. इस फिल्म में शाहिद ने नाडिया के पहले बॉयफ्रेंड का रोल निभाया था. वहीं सैफ अली खान ने नाडिया के पति होमी का रोल निभाया था. फीचर्ड इमेज इंडियन एक्सप्रेस से साभार