पुण्य तिथि पर विशेष-के. एम. करिअप्पा भारत के पहले सैन्य अधिकारी थे, जिन्हें ‘प्रथम कमाण्डर इन चीफ़ बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। के. एम. करिअप्पा ने जनरल के रूप में 15 जनवरी, 1949. को पद ग्रहण किया था। इसके बाद से ही 15 जनवरी को ‘सेना दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। के. एम. करिअप्पा भारत की राजपूत रेजीमेन्ट से सम्बद्ध थे। 1953 में के. एम. करिअप्पा सेवानिवृत्त हो गये थे, लेकिन फिर भी किसी न किसी रूप में उनका सहयोग भारतीय सेना को सदा प्राप्त होता रहा।
स्वतंत्र भारत की सेना के ‘प्रथम कमाण्डर इन चीफ़, फ़ील्ड मार्शल कोडंडेरा मडप्पा करिअप्पा, का जन्म 28 जनवरी, 1899 दक्षिण में कुर्ग के पास हुआ था। करिअप्पा को उनके कऱीबी लोग ‘चिम्मा नाम से भी पुकारते थे। इन्होंने अपनी औपचारिक शिक्षा ‘सेंट्रल हाई स्कूल, मडिकेरी से प्राप्त की थी। आगे की शिक्षा मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से पूरी की। अपने छात्र जीवन में करिअप्पा एक अच्छे खिलाड़ी के रूप में भी जाने जाते थे। वे हॉकी और टेनिस के माने हुए खिलाड़ी थे। संगीत सुनना भी इन्हें पसन्द था। शिक्षा पूरी करने के बाद ही प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) में उनका चयन सेना में हो गया।
अपनी अभूतपूर्व योग्यता और नेतृत्व के गुणों के कारण करिअप्पा बराबर प्रगति करते गए और अनेक उपलब्धियों को प्राप्त किया। सेना में कमीशन पाने वाले प्रथम भारतीयों में वे भी शामिल थे। अनेक मोर्चों पर उन्होंने भारतीय सेना का पूरी तरह से सफल नेतृत्व किया था। स्वतंत्रता से पहले ही ब्रिटिश सरकार ने उन्हें सेना में ‘डिप्टी चीफ़ ऑफ़ जनरल स्टाफ़ के पद पर नियुक्त कर दिया था। किसी भी भारतीय व्यक्ति के लिए यह एक बहुत बड़ा सम्मान था। भारत के स्वतंत्र होने पर 1949 में करिअप्पा को ‘कमाण्डर इन चीफ़ बनाया गया था। इस पद पर वे 1953 तक रहे। सेना से सेवानिवृत्त होने पर उन्होंने ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड में भारत के ‘हाई-कमिश्नर के पद पर भी काम किया। इस पद से सेवानिवृत्त होने पर भी करिअप्पा सार्वजनिक जीवन में सदा सक्रिय रहते थे। के. एम. करिअप्पा की शिक्षा, खेलकूद व अन्य कार्यों में बहुत रुचि थी। सेवानिवृत्त सैनिकों की समस्याओं का पता लगाकर उनके निवारण के लिए वे सदा प्रयत्नशील रहते थे। के. एम. करिअप्पा के सेवा के क्षेत्र में स्मरणीय योगदान के लिए 1979 में भारत सरकार ने उन्हें ‘फ़ील्ड मार्शल की मानद उपाधि देकर सम्मानित किया था। 15 मई, 1993 में के. एम. करिअप्पा का निधन 94 वर्ष की आयु में बैंगलौर (कर्नाटक) में हो गया।एजेन्सी।