पुण्य तिथि पर विशेष
नर्गिस दत्त हिन्दी सिनेमा की महान् अभिनेत्रियों में थीं । नर्गिस (फ़ातिमा रशीद) मशहूर गायिका जद्दनबाई की पुत्री थीं। कला नर्गिस को विरासत में मिली थी और सिर्फ छह साल की उम्र में नर्गिस ने फ़िल्म ‘तलाशे हक़’ (1935) से अभिनय की शुरुआत कर दी थी। मदर इंडिया में राधा की भूमिका के जरिए भारतीय नारी को एक नया और सशक्त रूप देने वाली नर्गिस हिंदी सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में से एक थीं, जिन्होंने लगभग 2 दशक लंबे फ़िल्मी सफर में दर्ज़नों यादगार एवं संवदेनशील भूमिकाएँ की और अपने सहज अभिनय से दर्शकों का मनोरंजन किया।
नर्गिस दत्त का जन्म फ़ातिमा अब्दुल रशीद के रूप में 1 जून, 1929 को कलकत्ता में हुआ था। हालांकि उनके जन्मस्थान को लेकर विवाद है, कुछ लोग उनका जन्म इलाहबाद में होना मानते है। नर्गिस के पिता उत्तमचंद मूलचंद, रावलपिंडी से ताल्लुक रखने वाले समृद्ध हिन्दू थे एवं माता जद्दनबाई, हिंदुस्तानी क्लासिकल गायिका थीं। उनके दो भाई, अख्तर व अनवर हुसैन थे। नर्गिस की माता भारतीय सिनेमा से सक्रियता से जुड़ी हुई थीं।
सिर्फ छह साल की उम्र में नर्गिस ने फ़िल्म ‘तलाशे हक़’ (1935) से अभिनय की शुरुआत कर दी थी। नर्गिस ने मदर इंडिया के अलावा आवारा, श्री 420, बरसात, अंदाज, लाजवंती, जोगन परदेशी, रात और दिन सहित दर्ज़नों कामयाब फ़िल्मों में बेहतरीन अभिनय किया। राजकपूर के साथ उनकी जोड़ी विशेष रूप से सराही गई और दोनों की जोड़ी को हिंदी फ़िल्मों की सर्वकालीन सफल जोड़ियों में से गिना जाता है।
1940 और 50 के दशक में नर्गिस ने कई फ़िल्मों में काम किया और 1957 में प्रदर्शित महबूब ख़ान की फ़िल्म ‘मदर इंडिया’ नर्गिस की सर्वाधिक चर्चित फ़िल्मों में रही। इस फ़िल्म को ऑस्कर के लिए नामित किया गया था। उनके कुछ प्रमुख फ़िल्में इस प्रकार हैं- मदर इंडिया, अंदाज़, अनहोनी, जोगन, आवारा, रात और दिन, अदालत, घर संसार, लाजवंती, परदेशी, चोरी चोरी।
नर्गिस को पद्मश्री सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले। इनमें फ़िल्मफेयर पुरस्कार के अलावा फ़िल्म ‘रात और दिन’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनय का राष्ट्रीय पुरस्कार शामिल है।1957 – फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार (फ़िल्म- मदर इंडिया) 1958 – कार्लोवी (अंतर्राष्ट्रीय फ़िल्म महोत्सव वरी) में सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के लिए पुरस्कार (फ़िल्म- मदर इंडिया) 1958 – पद्मश्री 1968 – राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री (फ़िल्म- रात और दिन)।
अभिनय से अलग होने के बाद नर्गिस सामाजिक कार्य में जुट गईं। नर्गिस ने पति सुनील दत्त के साथ अजंता आर्ट्स कल्चरल ट्रूप की स्थापना की। यह दल सीमाओं पर जाकर जवानों के मनोरंजन के लिए स्टेज शो करता था। इसके अलावा वे स्पास्टिक सोसाइटी से भी जुड़ी रहीं। बाद में नर्गिस को राज्यसभा के लिए भी नामित किया गया, लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकीं। इसी कार्यकाल के दौरान वे गंभीर रूप से बीमार हो गईं और 3 मई 1981 को कैंसर के कारण उनकी मौत हो गई।
नर्गिस की याद में 1982 में नर्गिस दत्त मेमोरियल कैंसर फाउंडेशन की स्थापना की गई। इस प्रकार निधन के बाद भी नर्गिस लोगों के दिल में बसी हुई हैं।एजेन्सी।