भारतीय विमान सेवाओं फ्लाईट 814 त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (काठमांडू, नेपाल) से इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (दिल्ली,) जाने वाली एक इंडियन एयरलाइंस एयरबस ए300 थी जिसका अपहरण कर लिया गया था। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन हरकत-उल-मुजाहिदीन द्वारा इसका अपहरण किया गया था।
लगभग 17:30 बजे आईएसटी पर भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश के तुरंत बाद सशस्त्र बंदूकधारियों ने विमान का अपहरण कर लिया था। अमृतसर, लाहौर और दुबई की धरती को छूने के बाद अपहरण कर्ताओं ने विमान को कंधार, अफगानिस्तान में उतरने के लिए मजबूर किया। अपहर्ताओं ने 176 यात्रियों में से 27 को दुबई में छोड़ दिया लेकिन एक को बुरी तरह चाकू से मारा और कई अन्य को घायल कर दिया।
अफगानिस्तान में तालिबान-हुकूमत के बारे में भारत की कम जानकारी ने भारतीय अधिकारियों और अपहर्ताओं के बीच वार्ताओं को मुश्किल बना दिया। तालिबान ने भारतीय विशेष सैन्य बलों द्वारा विमान पर धावा बोलने से रोकने की कोशिश में अपने सशस्त्र लड़ाकों को अपहृत विमान के पास तैनात कर दिया। अपहरण का यह सिलसिला सात दिनों तक चला और भारत द्वारा तीन इस्लामी आतंकवादियों – मुश्ताक अहमद जरगर, अहमद उमर सईद शेख़ (जिसे बाद में डेनियल पर्ल की हत्या के लिए गिरफ्तार कर लिया गया) और मौलाना मसूद अज़हर (जिसने बाद में जैश-ए-मुहम्मद की स्थापना की) को रिहा करने के बाद समाप्त हुआ।
भारतीय और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने अपहर्ताओं, अल-कायदा और तालिबान के बीच प्रामाणिक संबंध होने की रिपोर्ट दी। पांच अपहरणकर्ताओं और तीन रिहा किये गए आतंकवादियों को तालिबान द्वारा एक सुरक्षित मार्ग प्रदान किया गया। तालिबान द्वारा संदिग्ध भूमिका निभाये जाने की व्यापक रूप से निंदा की गयी थी और इसके बाद यह भारत एवं तालिबान के बीच संबंधों की समाप्ति का कारण बना।
विमान में 178 यात्री सवार थे जिनमें से ज्यादातर भारतीय नागरिक थे जो नेपाल में छुट्टी बिताने के बाद भारत वापस आ रहे थे।