स्वप्निल संसार। लखनऊ । राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रदेश में विगत 8 महीनों में हुए सैंकड़ों इन्काउन्टर्स की घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस जारी किया गया है एवं उ0प्र0 में जबसे योगी सरकार सत्ता में आयी है तबसे अब तक पुलिस द्वारा किये गये इन्काउन्टर पर 6 सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया गया है जो कि किसी भी चुनी हुई लोकतांत्रिक सरकार के लिए बहुत ही शर्मनाक है।
प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि जिस प्रकार राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के बयान कि ‘‘या तो अपराधी जेल में होंगे या इन्काउन्टर में मारे जायेंगे’’ पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा गया है कि जिस प्रकार तमाम इन्काउन्टर्स को प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में कानून-व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त करने के लिए वाजिब कहा गया है पर भी ऐतराज किया गया है। आयोग ने अपनी नोटिस में चिन्ता व्यक्त की है कि अपराधी को सजा देना न्यायिक कार्य है और प्रदेश सरकार ने अपने पुलिस बल एवं अन्य बलों को इतना व्यापक अधिकार दे दिया है कि वह न्यायिक व्यवस्था से ऊपर उठकर खुद ही सजा देने पर उतर आया है। इस तरह की नीति अपनाया जाना किसी भी सभ्य समाज में उचित नहीं है। जिससे समाज में भय का वातावरण उत्पन्न हुआ है। क्योंकि यह न्यायिक प्रक्रिया से इतर कार्यवाही है। क्योंकि अपराधी को दण्डित करने का निर्णय न्यायपालिका का अधिकार क्षेत्र है। केवल आरोपित अपराधियों को इन्काउण्टर्स में मारा जाना न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार का हनन है।
प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दिया गया बयान ही स्वयं पुष्टि करता है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था अराजक तत्वों के हाथ में है। प्रदेश सरकार का शासन और पुलिस पर नियंत्रण खत्म हो गया है और पुलिस व्यवस्था पूरी तरह पंगु हो चुकी है। जिस प्रकार अपराधों में बेतहाशा वृद्धि हुई है उससे प्रदेश सरकार की इन्काउन्टर्स की कार्यवाही से कानून व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है बल्कि आम आदमी भय के माहौल में जीने के लिए मजबूर है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश सरकार की यह नीति संविधान और न्यायिक व्यवस्था का खुला मजाक है तथा संविधान और न्यायिक व्यवस्था पर करारा प्रहार भी है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय जनता पार्टी का न्यायपालिका और संविधान पर विश्वास नहीं है जो कि लोकतंत्र के लिए खतरनाक है।