स्वपनिल संसार। एजेंसी।
येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने को लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आज अपने भाषण में अहम घोषणा कर सकते हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि डोनाल्ड ट्रंप बुधवार को अपने भाषण में येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता दे सकते हैं। साथ ही गृह विभाग को इस बारे में निर्देश दे सकते हैं कि तेल अवीव स्थित अमेरिकी दूतावास को पवित्र शहर ले जाने की प्रक्रिया को शुरू किया जाए।
अधिकारियों ने कहा कि येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देना एक ऐतिहासिक और वास्तविक है। अधिकारियों का कहना है कि इजरायल की ज्यादातर सरकारी एजेंसियां और पार्लियामेंट तेलअवीव के बजाय येरूशलम में ही हैं।
अधिकारियों का कहना है कि एंबेसी को तेल अवीव से येरूशलम ले जाना एक लंबी प्रक्रिया है और ट्रंप ने पूरा किए जाने पर जोर दिया था, हालांकि ये तुरंत नहीं होने जा रहा है।
अमेरिका के लिए अच्छा होगा राष्ट्रपति ट्रम्प का फैसला
व्हाइट हाउस का कहना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप बुधवार को इस बारे में घोषणा करेंगे। व्हाइट हाउस की प्रवक्ता साराह हकाबी सैंडर्स ने कहा कि प्रेसिडेंट अपने प्लान को लेकर मजबूत सोच रखते हैं। सैंडर्स ने कहा कि राष्ट्रपति की घोषणा अमेरिका के लिए बेहतर फैसला साबित होगी।
वहीं येरूशलम स्थित अमेरिकी कांसुलेट ने अपने कर्मचारियों और उनकी फैमिली को निजी स्तर पर येरूशलम के पुराने शहर की यात्रा न करने की सलाह दी है। अमेरिकी अधिकारियों को आशंका है कि येरूशलम को लेकर अमेरिकी घोषणा से तनाव भड़क सकता है।
फिलिस्तीन के कई समूहों ने अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की येरूशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने को लेकर विरोध प्रदर्शन की धमकी दी है। अमेरिका की योजना अपनी एंबेसी को तेल अवीव से येरूशलम ले जाने की है। इस संबंध में ट्रंप बुधवार को घोषणा कर सकते हैं।
क्यों है विवाद
दरअसल इस्राइल और फिलिस्तीन दोनों देश इसे अपनी राजधानी बताते हैं। ट्रंप इस फैसले पर विचार कर ही रहे थे उसी दौरान पश्चिम एशिया समेत दुनियाभर के नेताओं ने दशकों पुरानी अमेरिकी नीति से विचलन को लेकर सार्वजनिक चेतावनी जारी की थी।
इस्राइल के रक्षा मंत्री एविग्डोर लिबरमान ने ट्रंप से कहा था कि वह इस ऐतिहासिक अवसर को हाथों से जाने ना दें। तुर्की के उप प्रधानमंत्री बेकिर बोजदाग ने कहा था कि अगर येरुशलम का दर्जा बदला जाता है और एक और कदम इस दिशा में उठाया जाता है तो यह बड़ी तबाही होगी। इससे क्षेत्र में संवदेनशील शांति प्रक्रिया पूरी तरह नष्ट हो जाएगी और नया विवाद, नए संघर्ष बढ़ेंगे और नए सिरे से अशांति फैल जाएगी।