वसुंधरा राजे के फरमान पर सियासत
सरकार कोई काम किस भावना से कर रही है, इसको विपक्षी दल देखने की जरूरत नहीं समझते हैं। राजस्थान में वसुंधरा राजे की सरकार ने अपने राज्य में अल्प संख्यकों के रोजगार में होने के आंकड़े बनाने के लिए अस्पतालों में मुस्लिम कर्मचारियों की गणना करायी तो विपक्षी दल कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति शुरू कर दी। इस प्रकार मुसलमानों के प्रतिनिधि भी सवाल उठाने लगे लेकिन बाद में उन्हें जब पता चला कि यह गणना मुसलमानों के हित में करायी जा रही है क्योंकि मुसलमानों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए न्यायमूर्ति सच्चर ने जो सिफारिशें की थीं, उनपर राजस्थान सरकार को अमल करना है।
राजस्थान सरकार ने प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर जिला अस्पतालों तक के कर्मचारियों में मुस्लिम कर्मचारियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिये। सरकार के निर्देशों पर जैसे ही अमल शुरू हुआ उसी समय कांग्रेस समेत अन्य संगठनों ने भी मुस्लिम कर्मियों की सूची बनाये जाने का विरोध किया। बवाल बढ़ने के बाद प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने साफ-साफ कहा कि यह कार्य किसी दुर्भावना से नहीं किया जा रहा है बल्कि मुसलमानों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति सुधारने के लिए सच्चर कमेटी ने जो सिफारिशें की हैं, उनको लागू करने का प्रयास केन्द्र सरकार कर रही है। इसी के तहत केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से निर्देश दिये गये है। केन्द्र सरकार के निर्देश का पालन किया जा रहा है। प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त निदेशक बी एल सैनी ने 9 दिसम्बर को इसी के तहत सभी जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों को परिपत्र भेजकर मुस्लिम कर्मचारियों की गिनती कर सूची बनाने के निर्देश दिये।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अर्चना शर्मा का कहना है कि केवल मुस्लिम कर्मचारियों की गिनती किस कारण की जा रही है। इसी प्रकार अल्प संख्यक कल्याण संघ के अध्यक्ष रज्जाक भाटी ने भी इस तरह की सूची बनाये जाने पर आपत्ति दर्ज करायी है। उन्होंने कहा सभी कर्मचारियों की सूची बनायी जाए, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि किस धर्म सम्प्रदाय के कितने -कितने कर्मचारी हैं। राज्य के प्रमुख चिकित्सा सचिव बीनू गुप्ता ने भी सफाई दी है लेकिन इस पर राजनीति अभी नहीं थमी है। (हिफी)
चौहान सरकार ने लिये अहम फैसले
मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार इन दिनो कई महत्वपूर्ण फैसले ले रही है। प्रदेश में अगले साल होने वाले विधान सभा चुनावों से भी इन फैसलों को जोड़ा जा रहा है। पिछले महीने प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में चित्रकूट विधान सभा का उपचुनाव भाजपा हार गयी थी, इससे भाजपा सरकार के जनाधार कम होने का आरोप लगाया गया था। इसलिए श्री चौहान उन सभी क्षेत्रों की नाराजगी दूर कर देना चाहते हैं, जहां से शिकायतें मिल रही हैं।
इसी क्रम में गतदिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी। इस बैठक में सबसे ज्यादा राहत बिजली वितरण कम्पनियों को दी गयी है। मध्यप्रदेश सरकार का दावा है कि राज्य में 24 घंटे बिजली आपूर्ति हो रही है लेकिन बिजली वितरण कंपनियां आर्थिक संकट में है। इसीलिए बिजली वितरण कंपनियों को दो हजार करोड़ रूपये का शार्टटर्म लोन लेना पड़ा है। इतने बड़े धन की गारंटी राज्य सरकार लेगी। इस गारंटी के एवज में सरकार अपना शुल्क भी कम करने को तैयार हो गयी है अर्थात शार्टटर्म लोन की गारंटी पर सरकार एक प्रतिशत शुल्क लेती है लेकिन बिजलीवितरण कंपनियों के लिए इसे आधा कर दिया गया हैं
चौहान की सरकार तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने के लिए भी कदम उठा रही है। राज्य में दलहनी फसलों का उत्पादन ज्यादा होता है, अब तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा। सरकार किसानों की तिलहन उपज को उचित दामों पर खरीदेगी, जैसी दलहनों के लिए नीति घोषित की गयी है। कैबिनेट की बैठक में मांझी जाति की उपजातियों को संरक्षण देने संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गयी है। इसके साथ ही सहायक परिवहन अधिकारियों के 13 पदों को पदोन्नति से भरने का निर्णय लिया गया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए सरकार ने बड़ा फैसला किया है और प्रदेश के सभी 51 जिला अस्पतालों में ट्रामासेंटर स्थापित होंगे ताकि आपातकालीन मरीजों को जिलास्तर पर ही राहत दी जा सके। इसके लिए 3571 पदों को भरने की स्वीकृति भी कैबिनेट की बैठक में दी गयी है। विभिन्न कार्यों के लिए कैबिनेट में 113 करोड़ रूपये को भी मंजूरी दी गयी है। (हिफी)
तेलंगाना में चरम पंथियों पर शिकंजा
देश के सबसे नए राज्य तेलंगाना में भी चरमपंथियों ने सिर उठाना शुरू कर दिया था। मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों से ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। इसी का नतीजा यह रहा कि जबरन वसूली और हिंसा में शामिल एक नवगठित समूह ‘जनशक्ति’ के आठ सदस्यों को पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार ये चरमपंथी पहले नक्सलियों के समूह से जुड़े थे। इसके बाद इन लोगों ने अपना अलग ग्रुप बना लिया जिसे सीपीआई (एमएल) चंद्र पुल्ला रेड्डी बाटा नाम दिया गया। इस समूह का गठन इसी वर्ष 24 जुलाई को किया गया था। समूह के सदस्यों ने राज्य के भद्राद्री कोठागुडम जिले के गांवों में लूटपाट शुरू कर दी। हथियारवंद गिरोह के सदस्य जयशंकर भूपल पल्ली, महबूबा बाद, कोठागुडम और खम्माभ जिलों में अपनी गतिविधियों से लोगों का जीना हराम किये थे इन लोगों ने कारोबारियों से जबरन वसूली करनी शुरू कर दी थी। इतना ही नहीं चरमपंथियों ने पर्चे बांटकर समाज में आतंक पैदा किया।
इस प्रकार सरकार का चिंतित होना स्वाभाविक था। पुलिस ने सख्ती बरती और गत तीन दिसम्बर को जयशंकर भूपल पल्ली जिले में तीन सशस्त्र चरमपंथियों को गिरफ्तार किया गया। उनके पास से बड़ी संख्या में हथियार भी बरामद हुए थे। इनसे मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की और जानकारी के आधार पर पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई की और चरमपंथियों के आतंक को पूरी तरह समाप्त करने की योजना बनायी। एक मुठभेड़ में आठ चरम पंथी मार गिराये हैं और अन्य लोगों की तलाश हो रही है। पुलिस की इस कार्रवाई से चरमपंथियों के जहां हौसले पस्त हुए, वहीं जनता राहत महसूस कर रही है। (हिफी)