आज भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी की 153वीं जयंती है। इस अवसर पर गूगल ने एक बेहद शानदार ढंग से उन्हें याद किया है। गूगल ने आनंदी गोपाल जोशी के ऊपर डूडल बनाया है। जिसमें वह साड़ी पहने और गले में स्टेथोस्कोप डाले हुए दिख रही हैं और हाथ में डिग्री नुमा कागज पकड़ रखा है।
आनंदीबाई जोशी पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने डॉक्टरी की डिग्री ली थी। जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, ऐसे में विदेश जाकर डॉक्टरी की डिग्री हासिल करना अपने-आप में एक मिसाल है। उनका विवाह नौ साल की अल्पायु में उनसे करीब 20 साल बड़े गोपालराव से हो गया था। जब 14 साल की उम्र में वे माँ बनीं और उनकी एकमात्र संतान की मृत्यु 10 दिनों में ही गई तो उन्हें बहुत बड़ा आघात लगा। अपनी संतान को खो देने के बाद उन्होंने यह प्रण किया कि वह एक दिन डॉक्टर बनेंगी और ऐसी असमय मौत को रोकने का प्रयास करेंगी। उनके पति गोपालराव ने भी उनको भरपूर सहयोग दिया और उनकी हौसलाअफजाई की।
आनंदीबाई जोशी का जन्म मराठी परिवार में 31 मार्च, 1865 को कल्याण,में हुआ था। माता-पिता ने उनका नाम यमुना रखा। उनका परिवार रूढ़िवादी मराठी परिवार था, जो केवल संस्कृत पढ़ना जानता था। उनके पिता ज़मींदार थे। ब्रिटिश शासकों द्वारा महाराष्ट्र में ज़मींदारी प्रथा समाप्त किए जाने के बाद उनके परिवार की स्थिति बेहद खराब हो गई। वे किसी तरह अपना गुजर-बसर कर रहे थे। ऐसे ही परिवार में जन्मी आनंदी गोपाल उर्फ यमुना का विवाह नौ वर्ष की उम्र में ही उनसे 20 वर्ष बड़े विधुर से कर दिया गया। हिंदू समाज के रिवाज़ के अनुसार विवाह के बाद उनका नाम यमुना से बदल कर आनंदी रख दिया गया और वे आनंदीबाई जोशी नाम से जानी जाने लगीं।
आनंदीबाई जोशी का व्यक्तित्व महिलाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है। उन्होंने 1886 में अपने सपने को साकार रूप दिया। जब उन्होंने यह निर्णय लिया था, उनकी समाज में काफी आलोचना हुई थी कि शादीशुदा हिंदू स्त्री विदेश (पेनिसिल्वेनिया) जाकर डॉक्टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई दृढ़निश्चयी महिला थीं और उन्होंने आलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की। यही वजह है कि उन्हें पहली भारतीय महिला डॉक्टर होने का गौरव प्राप्त हुआ। डिग्री पूरी करने के बाद जब आनंदीबाई भारत वापस लौटीं तो उनका स्वास्थ्य बिगढने लगा और बाईस वर्ष 26 फ़रवरी 1887) की अल्पायु में ही उनकी मृत्यु हो गई। यह सच है कि आनंदीबाई ने जिस उद्देश्य से डॉक्टरी की डिग्री ली थी, उसमें वे पूरी तरह सफल नहीं हो पाईंं, परन्तु उन्होंने समाज में वह स्थान प्राप्त किया, जो आज भी एक मिसाल है।एजेन्सी।