पुण्य तिथि पर विशेष
भूपिंदर सिंह पटियाला का जन्म 12 अक्तूबर 1891 को मोती बाग पैलेस, पटियाला में हुआ था। पिता महाराजा राजिंदर सिंह की मौत के बाद राज्य के शासक बनें भूपिंदर सिंह ने 38 वर्षों तक राज किया। इनका नाम आपने भी सुन रखा है, लेकिन आपको याद नहीं आ रहा होगा। ये वो महाराजा हैं जिन्होंने अपनी रॉल्स रॉयज से शहर का कचरा उठवाया था। सिख परिवार परिवार में पैदा हुए इस शासक के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने 10 से अधिक बार शादी की थी। एक अनुमान के अनुसार महाराजा भूपिंदर सिंह 88 बच्चों के पिता थे। महाराजा भूपिंदर सिहं की 10 अधिकृत रानियों सहित कुल 365 रानियां थीं। इनकी पत्नी महारानी बख्तावर कौर इतनी सुंदर थीं कि उनको क्वीन मैरी की उपाधि प्राप्त थी। इन 365 रानियों के लिए पटियाला में भव्य महल बनाए गए थे। महाराजा पटियाला के महल में रोजाना 365 लालटेनें जलाई जाती थीं। जिस पर उनकी 365 रानियों में से हर रानी का हर लालटेन पर नाम लिखा होता था। जो लालटेन सुबह पहले बुझती थी महाराजा उस लालटेन पर लिखे रानी के नाम को पढ़ते थे और फिर उसी के साथ रात गुजारते थे।पटियाला के इन महाराजा की गतिविधियों का जिक्र महाराजा भूपिंदर सिंह के दीवान जरमनी दास ने अपनी किताब ‘महाराजा’ में किया है। महाराजा भूपिंदर सिंह ने पटियाला में ‘लीला-भवन’ या रंगरलियों का महल बनवाया था, जहां केवल निर्वस्त्र लोगों को एंट्री मिलती थी। यह महल पटियाला शहर में भूपेन्दर नगर जाने वाली सड़क पर बारहदरी बाग़ के करीब बना हआ है। इस महल का जिक्र उनके दीवान ने ‘महाराजा’ में किया है। इनके पास विश्व प्रसिद्ध ‘पटियाला हार’ था, जिसे प्रसिद्ध ब्रांड कार्टियर एसए द्वारा निर्मित किया गया था।
पटियाला पैग भी दुनिया को महाराजा भूपिंदर सिंह की ही देन है। पटियाला पैग(120 ML) हर कोई सहन नहीं कर सकता, क्योंकि पटियाला पैग में शराब की मात्रा स्मॉल और लार्ज पैग से ज्यादा होती है।
1920 में अंबाला छावनी में डगलस एकादश के विरूद्ध खेलते हुए महाराजा ने 242 रनों की लंबी पारी खेली। इस पारी में उन्होंने 16 छक्के और 14 चौके लगाए। अपनी विशाल पारी से महाराजा इतने खुश थे कि उन्होंने स्वयं ही गिलासों में व्हिस्की डाल कर पार्टी की शुरुआत कर दी। गिलास में शराब की मात्रा करीब दुगनी थी। जब कर्नल डगलस को चीयर्स कहने के लिए गिलास दी गई तो उन्होंने उत्सुकतावश महाराजा से उस पैग के बारे में पूछा। महाराजा हंसते हुए बोले, ‘आप पटियाला में हैं मेरे मेहमान, टोस्ट के साथ ‘पटियाला पैग’ से कम कुछ भी नहीं चलेगा।’ फिर दोनों ने हंसते हुए शोरगुल के बीच एक ही घूंट में अपना गिलास खाली कर दिया। तब से विभिन्न आयोजनों पर हर शाही मेहमान को पटियाला पैग अनिवार्य रूप से परोसे जाने की परंपरा शुरू हुई।भूपिंदर सिंह पटियाला का देहांत 23 मार्च 1938 को हुआ था