स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने योग साधकों को पर्यावरण संरक्षण एवं वृक्षारोपण कराया संकल्प
योग, मनुष्य को स्वस्थ, जाग्रत एवं जीवंत बनाता है – स्वामी चिदानन्द सरस्वती
ऋषिकेश। चीन से आये योग जिज्ञासुओं के दल ने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज से भेंट कर योग, ध्यान और भारतीय दर्शन के विषय में जानकारी प्राप्त की। साथ ही परमार्थ निकतन में संचालित ध्यान, आयुर्वेद, प्राणायाम, भारतीय संस्कृति, दर्शन, गीता व अध्यात्म पर होने वाले सत्संग में सहभाग किया।
योग जिज्ञासुओं के दल ने साध्वी आभा सरस्वती जी एवं योगाचार्य डाॅ इन्दू शर्मा जी के निर्देशन में योग एवं प्राणायाम की विभिन्न विधाओं को आत्मसात किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने योग साधकों को संदेश दिया कि ’’स्वयं के स्वास्थ्य से पहले प्रकृति के बारे में चिंतन करे क्योंकि बिना शुद्ध वायु के प्राणायाम करना सम्भव नहीं। उन्होने कहा प्रदूषित होता पर्यावरण हमें स्वस्थ एवं निरोग जीवन नहीं दे सकता अतः योग से प्राप्त ऊर्जा को पर्यावरण एवं जल के संरक्षण में लगाये।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि ’योग, मनुष्य को स्वस्थ, जाग्रत और जीवंत बनाता है। भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने योग को विश्व स्तर पर एक विशिष्ट पहचान दिलायी है अब योग को घर-घर पहुंचाना हम सभी का कर्तव्य है। योग बढ़ेगा तो पर्यटन भी बढ़ेगा इससे पलायन घटेगा; रोजगार बढ़ेगा, लोगों को स्थानीय स्तर पर आजीविका प्राप्त होगी। अतः अपने प्रयासों से योग के प्रभाव में वृद्धि करे। योग का प्रभाव बढ़ेगा तो हमारा राज्य स्वस्थ और समृद्ध बनेगा।
भारतीय योग का प्रभाव पूरे विश्व में है चीन में भी अनेक योग एवं ध्यान के केन्द्र निर्मित हो रहे है यह भारत के लिये सुखद है। स्वामी जी महाराज ने चीन से आये सभी योग साधकों को प्रयाग कुम्भ मेला और अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सहभाग हेतु आमंत्रित किया।
योग जिज्ञासुओं ने स्वामी जी महाराज के साथ विश्व के सभी लोगों को स्वच्छ जल की उपलब्धता होती रहे इसी भाव से वाटर ब्लेसिंग सेरेमनी में सहभाग किया।
स्वामी जी ने सभी को वृक्षारोपण, पर्यावरण एवं जल स्रोतों को संरक्षित एवं स्वच्छ रखने का संकल्प कराया तथा सभी को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
योग साधकों ने कहा कि योग एवं प्राणायाम के साथ परमार्थ गंगा आरती अत्यंत ऊर्जा प्रदान करने वाली है। आरती एवं संकीर्तन में हम इतने मग्न हो जाते है कि लगता है स्व से उपर उठकर परमात्मा में लीन हो गये हो सचमुच यह अत्यंत शान्ति दायक स्थान है।