जन्म दिवस विशेष। 74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश के सर्वोच्च पुरस्कारों पद्म अवॉर्ड का एलान किया गया था । इनमें पार्श्व गायिका सुमन कल्याणपुर का नाम भी शामिल है। सुमन कल्याणपुर ने हिंदी, मराठी, असमिया, गुजराती, कन्नड़, मैथिली, भोजपुरी, राजस्थानी, बंगाली, ओडिया और पंजाबी के अलावा अन्य कई भाषाओं में भी फ़िल्मों के लिए गाने रिकॉर्ड किए हैं। सुमन कल्याणपुर को मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, मुकेश, गीता दत्त, आशा भोसले, हेमंत कुमार, तलत महमूद, किशोर कुमार, मन्ना डे, महेंद्र कपूर और शमशाद बेगम, के साथ हिंदी फ़िल्म संगीत के सुनहरे युग के लोकप्रिय गायकों में जाना जाता है। सुमन कल्याणपुर ने कुल 857 हिंदी गाने गाए हैं।
सुमन कल्याणपुर ( सुमन हेम्मडी) का जन्म 28 जनवरी 1937 को तब के पूर्वी बंगाल के शहर ढाका में हुआ था। सुमन कल्याणपुर के पिता शंकर राव हेम्मडी मैंगलोर के सारस्वत ब्राह्मण परिवार से थे। हेम्मडी, उडुपी जिले, कर्नाटक के कुंडापुर तालुक में गाँव है। उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में शीर्ष पद पर कार्य किया और बहुत लंबे समय तक ढाका में तैनात रहे। पिता और माता सीता हेम्मडी के अलावा परिवार में 5 बेटियाँ और एक बेटा था, जिसमें सुमन अपने भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी। 1943 में, उनका परिवार बम्बई अब मुंबई आ गया, जहाँ उन्होंने अपना संगीत प्रशिक्षण प्राप्त किया।
इनकी हिन्दी फ़िल्म संगीत में दशा दोधारी चाकू की तरह रही है, जो दोनों ओर से चीजों को काटता है। अपनी अच्छी आवाज के बावजूद सुमन को फ़िल्मों में संगीतकारों ने अधिक अवसर इसलिए नहीं दिए क्योंकि उनकी आवाज हूबहू लता से मिलती थी। जब बाज़ार में ओरिजिनल आवाज उपलब्ध हो, तो डुप्लिकेट को कोई क्यों कर मौका देने लगे। सुमन का फ़िल्मों में आगमन भी ऐसे दौर में हुआ, जब लता के खनकते कलदार सिक्के चलते थे। कोई संगीतकार लता के विरुद्ध सुमन से गवाने की हिमाकत कैसे कर सकता था। इसलिए सुमन चुपचाप हमेशा दूसरी कतार में खड़ी रहकर अपने नियति को दबे होंठ ताउम्र स्वीकारती रही। उन्हें लता का क्लोन बना दिया गया।
एक समय एचएमवी ने 50 प्रेम-गीतों के चार कैसेट्स जारी किए थे। उनमें अधिकतम सात गीत सुमन द्वारा गाए हुए थे। किशोर, रफी, तलत, मन्ना डे, गीता दत्त, हेमंत कुमार सब उनके पीछे थे। कैसेट कवर पर सबके फोटो छापे गए मगर सुमन का फोटो एक कैसेट पर भी नहीं था। यह कुछ उसी तरह की घटना है कि जायज टिकट के बावजूद बस कण्डक्टर मुसाफिर को सरे राह उतार दे। सुमन के पार्श्वगायन के करियर में सत्तर के दशक में बसंती बयार ने शीतल हवा के झोंकों से उन्हें शांति प्रदान की थी। गीतों की रायल्टी को लेकर रफी-लता में मनमुटाव चल रहा था। दोनों ने साथ गाना छोड़ दिया था। सुमन को इस दशक में 170 फ़िल्मों में गाने का मौका मिला। इस दौर में सुमन के उम्दा गीत सामने आए। जैसे- दिल एक मंदिर है (दिल एक मंदिर), अगर तेरी जलवानुमाई न होती (बेटी-बेटे), तुमने पुकारा और हम चले आए (राजकुमार), अजहुं न आए बालमा सावन बीता जाए (सांझ और सबेरा) तथा आजकल तेरे मेरे प्यार के चर्चे हर जुबान पर (ब्रह्मचारी), लेकिन बाद में रफी-लता में समझौता होते ही पुरानी स्थिति लौट आई।
करीब 28 साल के अपने करियर में सुमन कल्याणपुर ने न सिर्फ पार्श्वगायन के क्षेत्र में अपना एक सम्मानजनक स्थान बनाया बल्कि रसरंग (नासिक) का ‘फाल्के पुरस्कार’ (1961), सुर सिंगार संसद का ‘मियां तानसेन पुरस्कार’ (1965 और 1970), आदि हासिल किए। महिपाल शर्मा।