जयंती पर विशेष- शैलेश शर्मा । अभिनेता जलाल आगा की पैदाइश का साल 1946 हैं ,वे चरित्र अभिनेता आगा के पुत्र थे आप फ़िल्म एन्ड टेलीविज़न ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट पुणे से प्रशिक्षित अभिनेता थे ,वे (अब स्व) माधवराव सिंधिया के बालसखा थे। आज की पीढ़ी के लिए उनकी पहचान सुपर हिट फिल्म ” शोले” में हिट गीत “महबूबा ओ महबूबा” का डांस सीक्वेंस है जिसमें काम करने केलिए फ़िल्म के निर्देशक रमेश सिप्पी को कई कई दिन इंतज़ार करना पड़ा था। जलाल आगा को फिल्मों में लाने का श्रेय दिलीप कुमार को है हुआ कुछ यूँ था जलाल आगा के वालिद आगा जो दिलीप साहब के दोस्त थे सो जलाल आगा का दिलीप साहब के यहाँ आना जाना होता था एक बार जब दिलीप साहब की नज़र जलाल पर पड़ी तब उनकी उम्र महज़ चार या पाँच साल की थी उन दिनों दिलीप साहब की फ़िल्म “मुगल ए आज़म” बन रही थी और फ़िल्म के निर्देशक को ऐसे बाल कलाकार की ज़रूरत थी जो “सलीम” याने दिलीप साहब के बचपन का रोल कर सके तब उन्होंने अपने मित्र आगा से अपनी ख्वाहिश का इज़हार किया तो आगा साहब ने फौरन मना कर दिया क्योंकि वे नहीं चाहते थे उनका बेटा फिल्मी चकाचौध में पड़े। पिता का इनकार देख दिलीप साहब ने इसका तोड़ निकाला और उन्होंने आगा से कहा कि वे कुछ बच्चों को पिकनिक पर ले जाना चाहते हैं, आगा ने इसकी अनुमति दे दी और तब दिलीप साहब पुत्र जलाल को तीन दिन के लिए बाहर ले गए और इन तीन दिनों में उन्होंने जलाल आगा से फ़िल्म “मुगल ए आज़म” में शहज़ादे सलीम का बचपन का किरदार करवा दिया,पिता को जब इसकी खबर मिली तो वे बहुत नाराज हुए लेकिन बाद में फ़िल्म रिलीज़ होने पर उन्होंने पुत्र का फ़िल्म में अभिनय देखा तो उनकी आंखों में आँसू आ गए।
जलाल आगा आर्थिक तंगी से गुजरने लगे। यहां तक कि बच्चों से मिलने के लिए उन्हें काफी हाथ-पैर मारने पड़ते थे। वह एक-एक पैसा संभाल कर जोड़ते थे, जिससे कि वह जर्मनी जाकर बच्चों से मिल सके। 5 मार्च 1995 को उनका हार्ट अटैक से निधन हो गया। वह 49 साल के थे। उनके निधन के बाद उनकी बहन शहनाज ने इंटरव्यू में बताया था कि जलाल की खुशी के लिए उनके दोस्तों ने पार्टी रखी थी। लेकिन जलाल ने कहा था कि पहले कल तो आने दो, लेकिन जलाल कि जिंदगी में वो कल कभी नहीं आया। उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था।