प्रेशर कुकर का आविष्कार डेनिस पापिन ने किया था। फ्रांसीसी भौतिकशास्त्री थे, इनका जन्म: 22 अगस्त 1647, ब्लोइस, फ़्रान्स में हुआ था। । प्रेशर कुकर का आविष्कार करने के बाद इसका नाम स्टीम डाइजेस्टर रखा गया था और इस अविष्कर को पूरा करने के बाद डेनिस ने डाइजेस्टर को लंदन की रॉयल सोसाइटी के प्रदर्शनी में सबके सामने इंट्रोड्यूज किया था। उसके बाद सभी को इस आविष्कार के बारे में पता चला और इनका ये आविष्कार सफल साबित हुआ।
इसे इस्तेमाल करना आसान भी नहीं था और इसके लिए ख़ास तरह की भट्टी की भी जरुरत पड़ती थी, लिहाजा इसे लंबे समय तक ज्यादातर होटलों व इंडस्ट्रिज में ही इस्तेमाल किया जाता रहा। लोगों के घरों तक पहुँचने के लिए इसे बीसवीं सदी तक इंतज़ार करना पडा । 1915 में पहली बार इस उपकरण के लिए ‘ प्रेशर कुकर’ शब्द का इस्तेमाल किया गया । अमेरिका के न्यूयोंर्क में 1939 में आयोजित वैश्विक मेले में अल्फ्रेड विशलर ने पहली बार ऐसा एलुमिनियम प्रेशर कुकर प्रदर्शित किया, जिसका आकार घरों में खाना बनाने वाली देगजी या पतीली जैसा था। इसे आधुनिक कुकर का शुरूआती रूप मान सकते हैं । यह मॉडल जल्द घर-घर में लोकप्रिय हो गया।
प्रेशर कुकर के हर जगह अलग अलग नाम सुनने को मिलेगा और इसके प्रकार भी 17 वीं सदी के बाद अलग अलग बनने लगे।
सिंगल पर्पस प्रेशर कुकर:- इस प्रेशर कुकर में सिर्फ साधारण तरीके से खाना बनाने का कार्य ही होता था और हाई प्रेशर और हीट से खाना पकाया जाता था। पहले और दूसरे जेनरेशन के प्रेशर कुकर सिंगल पर्पस प्रेशर कुकर कहलाते है। आज भी इस प्रेशर कुकर का इस्तेमाल घर में किया जाता है।
मल्टी पर्पस प्रेशर कुकर:- मल्टी पर्पस कुकर का उपयोग तीसरे जेनरेशन द्वारा किया जाने लगा, यह कुकर मुख रूप से इलेक्ट्रिसिटी द्वारा चलती है। इस कुकर की ये खासियत है को आप अपने द्वारा इसमें खाना पकाने के समय को सेट कर सकते है और इसमें आपको अलग अलग प्रकार के ऑप्शन भी दिए जाते है। नॉर्मल प्रेशर कुकर के मुकाबले आप इसमें खाना जल्दी या धीरे भी पका सकते है।
प्रेशर कुकर भारत में 20 वीं शताब्दी तक आ गया था और इसका उपयोग धीरे धीरे भारत में फैलने लगा। आज हर घर में प्रेशर कुकर का इस्तेमाल होता है। स्टीम डायजेस्टर के अग्रणी आविष्कार, प्रेशर कुकर और भाप इंजन की खोज के लिए जाने जाते हैं। डेनिस पापिन का और निधन 26 अगस्त 1713 को लंदन में हुआ था।एजेन्सी।