स्मृति शेष-आप जैसे करोड़ों लोगों की तरह मैं भी मानता था कि वे दुनिया की सबसे सुंदर महिला थीं और हम सभी जानते हैं कि वे हमारे देश की सबसे बड़ी सुपरस्टार थीं और उन्होंने सिल्वर स्क्रीन पर 20 से ज्यादा साल तक राज किया.
लेकिन यह कहानी का सिर्फ एक हिस्सा है. उनकी मृत्यु के बाद तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं – वे कितनी खूबसूरत थीं, कितनी महान अभिनेत्री थीं और उनकी मृत्यु ने लोगों को कैसे प्रभावित किया है आदि आदि. लेकिन मेरे पास कहने के लिए इससे कुछ ज्यादा है क्योंकि मैंने अपनी दो फिल्मों – क्षणक्षणम और गोविंदा गोविंदा – के दौरान उन्हें करीब से देखा था. श्रीदेवी की जिंदगी इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि किसी सलेब्रिटी का निजी जीवन उससे कितना अलग हो सकता है जैसा वह बाहर से दिखता है.
कई लोगों के लिए श्रीदेवी की जिंदगी को आदर्श मानते थे – सुंदर चेहरा, प्रतिभा की धनी, दो सुंदर बेटियों वाला स्थिर सा पारिवारिक जीवन. बाहर से हर चीज ऐसी थी जिसके लिए लोग दुआएं मांगा करते हैं. लेकिन क्या श्रीदेवी वाकई खुश थीं और खुशी जीवन बिता रही थीं? मैं उनके जीवन के बारे में तब से जानता हूं जब उनसे पहली बार मिला था. मैंने खुद अपनी आंखों से देखा है कि कैसे उनके पिता की मृत्यु से पहले उनकी जिंदगी एक आजाद पंछी की तरह थी जो उसके बाद बिलकुल पिंजरे में कैद चिड़िया जैसी हो गई. इसकी वजह उनका कुछ ज्यादा ही ख्याल रखने वाली उनकी मां भी थीं.
उन दिनों अभिनेताओं को फिल्मों में काम करने के लिए अक्सर ब्लैक मनी में पेमेंट किया जाता था. उनके पिता इस धन को अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के पास रख देते थे.जैसे ही उनके पिता की मृत्यु हुए इनमें से लगभग सभी ने उन्हें धोखा दे दिया. बची-खुची कसर उनकी मां ने उनकी कमाई गलत जगह निवेश करके पूरी कर दी. इसका नतीजा यह हुआ कि जिस वक्त बोनी कपूर उनकी जिंदगी में आए उस वक्त तक वे पूरी तरह कंगाल हो चुकी थीं.उनकी मां दिमाग की गलत सर्जरी की वजह से मानसिक रोगी बन गई थीं औऱ इसी दौरान उनकी बहन श्रीलता ने उनके पड़ोसी के बेटे के साथ भागकर शादी कर ली थी. हालांकि मां ने मरने से पहले सारी संपत्ति श्रीदेवी के नाम कर दी थी लेकिन इसके खिलाफ उनकी बहन ने यह कहते हुए केस कर दिया था कि वसीयत पर साइन करते वक्त उनकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी.
तो जिस महिला को करोड़ों लोग चाहते थे वह एक समय इस दुनिया में बोनी कपूर को छोड़कर बिलकुल अकेली थी और कंगाल भी. इस दौरान बोनी की मां श्रीदेवी को घर तोड़ने वाला बता रही थीं. उनकी पहली पत्नी मोना के साथ श्रीदेवी ने जो किया था उसके लिए बोनी की मां ने एक फाइव स्टार होटल में उनके पेट में मुक्का तक मार दिया था.
इस पूरे समय के दौरान इंग्लिश-विंग्लिश की सफलता को छोड़ दें तो श्रीदेवी बहुत ही दुखी महिला का जीवन जी रही थीं. भविष्य को लेकर अनिश्तितता और जीवन के बुरे उतार-चढ़ावों ने उनके संवेदनशील दिमाग पर गहरा असर डाला था. इससे वे अंदर से बेहद अशांत हो गई थीं.वे बहुत से लोगों के लिए सबसे ज्यादा खूबसूरत महिला थीं लेकिन क्या वे भी ऐसा मानती थीं? हां, वे भी ऐसा मानती थीं. लेकिन सभी अभिनेत्रियों के लिए बढ़ती उम्र एक बहुत बुरे सपने की तरह होती है जो उनके लिए भी थी. उन्होंने कई सालों तक इससे बचने के लिए तमाम कॉस्मेटिक सर्जरी करवाईं जिसका असर उन पर साफ देखा जा सकता था.
वे किसी से ज्यादा बात नहीं करती थीं तो इसका कारण यह था कि उन्होंने अपने चारों तरफ एक साइकलॉजिकल घेरा बना लिया था. उनके अंदर क्या चल रहा था इसके बारे में वे किसी को बताना नहीं चाहती थीं. वे लोगों को अपनी असुरक्षाओं के बारे में बताने से डरा करती थीं.इसमें उनका कोई दोष नहीं था. उन्हें बहुत छोटी सी उम्र से ही प्रसिद्धि मिल गई थी और इसकी वजह से उन्हें कभी स्वतंत्र रहने, जो वे हो सकती थीं या होना चाहती थीं वैसा होने का मौका ही नहीं मिला था.वे न केवल कैमरे के सामने मेकअप करके कोई और बन जाती थीं बल्कि असली जिंदगी में भी वे हर वक्त एक तरह का साइकलॉजिकल मेकअप किये रहती थीं.
वे हमेशा अपने माता-पिता, पति और एक हद तक अपने बच्चों की इच्छाओं पर चलती रहीं. वे बाकी स्टार माता-पिताओं की तरह इस बात से डरा करती थीं कि उनके बच्चों को जनता स्वीकार करेगी या नहीं! श्रीदेवी असल में एक महिला के शरीर में कैद बच्चे जैसी थीं. वे इंसान के तौर पर बड़ी भोली थीं और अपने अनुभवों की वजह से शंकालु. ये दोनों चीजें एक साथ होना कोई अच्छी बात नहीं है. मैं आम तौर पर किसी के मरने के बाद यह नहीं कहता हूं कि भगवान आपको शांति दे. लेकिन उनके मामले में मैं हर हाल में यह कहना चाहता हूं क्योंकि मुझे पूरा विश्वास है कि अपने पूरे जीवन में वे पहली बार मरने के बाद ही सच में शांति की अवस्था में होंगीं.
उनके साथ अपने निजी अनुभव की वजह से मैं जानता हूं कि वे केवल तभी शांति की स्थिति में होती थीं जब कैमरे के सामने होती थीं, वह भी एक्शन और कट के दौरान. उस समय वे अपनी ही मायावी दुनिया में चली जाती थीं. इसीलिए मैं जानता हूं कि और मुझे विश्वास है कि अब वे कभी अशांत नहीं होंगीं क्योंकि वे उससे बहुत दूर चली गई हैं जो उन्हें बेहद कष्ट दे रहा था.मशहूर फिल्म निर्माता रामगोपाल वर्मा ने श्रीदेवी को श्रद्धांजलि देते हुए यह लेख अपने फेसबुक पेज पर अंग्रेजी (हिंदी अनुवाद सत्याग्रह ब्यूरो द्वारा) में 2018 में लिखा था। सोशल मिडिया से
श्रीदेवी का निधन 24 फरवरी 2018 को में दुबई में हुआ था। यह पहले घोषित किया गया था कि मौत का कारण दिल का दौरा है,बाद में दुबई पुलिस द्वारा जारी की गयी फोरेंसिक रिपोर्ट में बताया गया की कि इनकी मृत्यु होटल में बाथटब में दुर्घटनाग्रस्त रूप से डूबने से हुई है। उस समय, वह अपने पति बोनी कपूर और बेटी खुशी के साथ अपने भतीजे मोहित मारवा के संयुक्त अरब अमीरात में विवाह समारोह में थी। पहले अफवाहें फैली थी कि इनकी मृत्यु हो गयी और इसे इंटरनेट पर एक झूठी खबर माना था लेकिन इसके बाद इनके देवर संजय कपूर ने पुष्टि की कि यह सच है।एजेंसी।