जयन्ती पर विशेष। डॉ ख्वाजा अब्दुल हमीद (1898 – 1972 ) स्वतंत्रता सेनानी एवं राष्ट्रवादी तथा साम्राज्यवाद विरोधी जिन्होंने 1935 में दवा कंपनी सिप्ला की स्थापना की ।
ख्वाजा अब्दुल हमीद का जन्म 31 अक्टूबर 1898 अलीगढ़ में हुआ था। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि तथा (1924 – 27 ) के मध्य जर्मनी की हम्बोल्ट बर्लिन विश्वविद्यालय से एमए और पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।
स्नातक की पढ़ाई के दौरान उन्होंने खिलाफत आंदोलन के चलते यूनिवर्सिटी में हड़ताल कर दी। जिस वजह से उन्हें यूनिवर्सिटी से बाहर निकाल दिया गया था। फिर वह अलीगढ़ आए और मुस्लिम राष्ट्रवादियों के साथ मिलकर ” जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ” की शुरुआत की और इसी में केमिस्ट्री पढ़ाने लगे।
1927 में पढ़ाई के दौरान जर्मनी में यहुदी लड़की लुंबा डर्कजंसका से विवाह रचाया। 1928 में आपने भारत वापस आकर गुलाम भारत में अंग्रेजी दवा की पहली फेक्ट्री लगाने का कार्य शुरू किया। जो 1935 में बम्बई अब मुम्बई में ” केमिकल इण्डस्ट्रियल एंड फार्मास्युटिकल लेबोरेट्रीज़ ” के नाम से बनकर तैयार हुई।
ब्रिटिश शासन एवं स्वतंत्रता आंदोलनो के दौरान सिप्ला की नींव रखकर डॉ हामिद ने दिन रात मेहनत करके स्वास्थ्य क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने कार्य किया। 22 सितंबर 1937 में जब सिप्ला का पहला प्रोडक्ट मार्केट में पहुंचा तो विश्व मीडिया ने भारतीय प्रतिभा की जमकर तारीफ की।
1937 में उन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी का सदस्य चुना गया। जब महात्मा गांधी ने अपनी दवा सहित सभी ब्रिटिश उत्पादों का बहिष्कार करने का निर्णय किया और सिप्ला संस्थापक को आवश्यक दवाएं बनाने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद कम्पनी निरन्तर ऊंचाइयों के आसमान छू रही है। 1960 में डॉ ख्वाजा अब्दुल हमीद के बड़े पुत्र यूसुफ हमीद ने कंपनी का दामोदार संभाला।
23 जून 1972 को महान् स्वतंत्रता सेनानी एवं वैज्ञानिक डॉ ख्वाजा अब्दुल हमीद की लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। वर्तमान में सिप्ला को भारत एवं विश्व के कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। सिप्ला भारत के अमीरों की शीर्ष सूची में शामिल हैं। उनके परिजन मानव जीवन के स्वास्थ्य क्षेत्र की सेवा में लगे हुए हैं। एजेन्सी।