रवीन्द्र जैन हिन्दी फ़िल्मों के जाने-माने संगीतकार और गीतकार थे। इन्होंने अपने फ़िल्मी सफ़र की शुरुआत फ़िल्म सौदागर से की थी जिसमें इन्होंने गीत भी लिखे थे और उनको स्वरबद्ध भी किया था। इन्हें 1985 में फ़िल्म राम तेरी गंगा मैली के लिए फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ संगीतकार पुरस्कार भी मिला है। 2015 में उनको पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारतीय टेलीविज़न के मील पत्थर कहे जाने वाले रामानंद सागर द्वारा निर्देशित धारावाहिक रामायण में भी उन्होंने ही संगीत दिया था जिससे कि वे भारत के घर घर में पहचाने जाने लगे।
1970 में भारतीय फिल्म संगीत में सचिनदेव बर्मन, मदन मोहन, शंकर-जयकिशन, कल्याणजी-आनंदजी, लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल और राहुलदेव बर्मन दिग्गज संगीतकारों का डंका बज रहा था। उनके निर्देशन में 1972 में पहली फिल्म रिलीज हुई- ‘कांच और हीरा’, जिसमें गीत के बोल थे- ‘नजर आती नहीं मंजिल’। यह फिल्म भी बॉक्स ऑफिस पर असफल रही लेकिन रवींद्र जैन ने हिम्मत नहीं हारी। अगले साल राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म ‘सौदागर’ से उन्होंने खुद को मुकद्दर का सिकंदर साबित कर दिखाया। ‘चोर मचाए शोर’ का संगीत लीक से हटकर श्रोताओं को नया ‘टेस्ट’ देने वाला था। इस फिल्म के लिए संगीत रचनाएं लेकर आए थे तब के नए संगीतकार रवींद्र जैन। इस फिल्म का गीत ‘ले जाएंगे..ले जाएंगे दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे…’ की लोकप्रियता आज तक बरकरार है। इसी फिल्म का एक अन्य ‘गीत घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं…’ किशोर कुमार के श्रेष्ठ गीतों में से एक है। वास्तव में रवींद्र जैन की प्रतिभा ने ही उन्हें भारतीय फिल्म संगीत के क्षेत्र में भारी प्रतिस्पर्धा के बीच ऊंचा मुकाम दिलाया।
रवीन्द्र जैन का जन्म 28 फरवरी 1944 में अलीगढ़ में हुआ था। वे सात भाई-बहन थे। जन्म से अंध होने पर भी हिम्मत पूर्वक कारकिर्दी की शुरूआत करने के बाद हिन्दी फ़िल्मों में मशहूर संगीतकार बन गये। उनके पिता ईन्द्रमणी जैन संस्कृत के बड़े पंडित और आयुर्वेदाचार्य थे। माता का नाम किरन जैन था। रवीन्द्र उनकी तीसरी संतान थे। वे बॉलीवुड का सफर शुरू करने से पहले जैन भजन गाते थे। हिन्दी फ़िल्मों में उनके गीत लोकप्रिय हुये है और उनको चाहने वाला बहुत बड़ा वर्ग है। रवीन्द्र के पुत्र का नाम आयुष्मान जैन है।
रवींन्द्र जैन के लोकप्रिय गीत
सजना है मुझे सजना के लिए (सौदागर-1973) हर हसीं चीज का मैं तलबगार हूं (सौदागर-1973) ले जाएंगे, ले जाएंगे, दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे (चोर मचाए शोर-1973) गीत गाता चल, ओ साथी गुनगुनाता चल (गीत गाता चल-1975) श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम (गीत गाता चल-1975) जब दीप जले आना (चितचोर-1976) ले तो आए हो हमें सपनों के गांव में (दुल्हन वही जो पिया मन भाए-1977) अंखियों के झरोखों से, मैंने जो देखा सांवरे (अंखियों के झरोखों से-1978) ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए (पति, पत्नी और वो-1978) एक राधा एक मीरा कौन दिशा में लेके (फिल्म नदियां के पार1982 ) (राम तेरी गंगा मैली-1985)सुन सायबा सुन, प्यार की धुन (राम तेरी गंगा मैली-1985)मुझे हक है (विवाह)।
9 अक्टूबर, 2015 को मुंबई में उनका निधन हो गया था । रविंद्र जैन को हिंदी सिनेमा जगत में कुछ सबसे खूबसूरत, कर्णप्रिय और भावपूर्ण गीतों के लिए उन्हें हमेशा जाना जाता रहेगा।एजेन्सी।