अमितशाह को राजनीति का चाणक्य यूं ही नहीं कहा जाता है। वे राजनीति इसी तरह की करते हैं जिससे उनका विरोधीं किसी भी तरह से अपना वार न कर सके। गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने 182 सीटों में 150 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रखा है। इसके लिए वे फार्मूला दर फार्मूला अपनाते हैं। पिछले महीनों में जब राज्य सभा के चुनाव होने वाले थे और श्री अमितशाह व स्मृति ईरानी गुजरात से ही राज्य सभा का चुनाव लड़ रहे थे, तब उनका लक्ष्य सिर्फ चुनाव को जीतना नहीं था बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस को तोड़ना था। भाजपा के पास इतने विधायक थे कि दोनों प्रत्याशी आसानी से जीत जाते लेकिन अमितशाह ने तत्कालीन कांग्रेस नेता शंकर सिंह बघेला के रिश्तेदार बलवंत सिंह राजपूत को प्रत्याशी के रूप में खड़ा करवाया और भाजपा का खुला समर्थन भी दिया। बलवंत सिंह राजपूत भले ही चुनाव हार गये लेकिन श्री शाह का मकसद जरूर सफल हो गया। कांग्रेस से शंकर सिंह बधेला समेत कई विधायक अलग हो गये। कई विधायक भाजपा में शामिल भी हो गये। अब एक नयी समस्या हार्दिक पटेल, जिग्नेश और अल्पेश ने खड़ी कर दी तो उसकी भी काट करने के लिए अमितशाह ने उनकी बिरादरी के प्रत्याशी उतार दिये हैं।
गुजरात विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का हार्दिक, जिग्नेश और अल्पेश फार्मूला तोड़ने के लिए भाजपा ने पहली सूची जारी की है और इसमें कांग्रेस के उन छह विधायकों को भी टिकट दिया गया है जिन्होंने राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा का समर्थन किया था। कांग्रेस के 14 विधायकों ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। भाजपा ने पहली सूची में भाजपा के एक मौजूदा विधायक का टिकट काटा है लेकिन पहली सूची में ही 12 पटेल उम्मीदवारों को टिकट दे दिया गया है। गोधरा कांड से चर्चित हुई गोधरा सीट पर कांग्रेस से भाजपा में शामिल विधायक सी के राउल जी भगवा लहराने का प्रयास कर रहे हैं। राज्य की 182 सीटों में से पहले चरण में 89 सीटों पर चुनाव होना है। इसलिए उनकी तैयारी पहले से की जा रही है। इन सीटों पर नौ दिसम्बर को ही मतदान होना है और उम्मीदवार इसकी तैयारी पहले से कर सकें, इसको ध्यान में रखा जा रहा है। दूसरे चरण की 93 सीटों पर 14 दिसम्बर को मतदान होना है, इसलिए वहां के लिए भी शीघ्र ही प्रत्याशी घोषित हो जाएंगे। भाजपा ने 70 उम्मीदवारों की सूची में मुख्यमंत्री विजय रूपानी और उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल समेत कई नेताओं ने नाम घोषित कर दिये हैं। इनमें 25 नाम दूसरे चरण के मतदान वाले इलाकों के है। भाजपा ने ज्यादातर वर्तमान विधायकों के टिकट बहाल कर दिये, ताकि पार्टी के अंदर असंतोष न फैले। इस प्रकार पहली सूची में 49 मौजूदा विधायक फिर से किस्मत आजमा रहे हैं। जातीय समीकरणों का भरपूर ध्यान रखा गया है। राज्य सभा चुनाव के दौरान भाजपा का साथ देने वाले कांग्रेस के 14 विधायकों में अभी सिर्फ पांच को मैदान में उतारा गया है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का सबसे बड़ा जिताऊ फार्मूला है दूसरे दलों से आने वालों को चुनाव लड़ाना। भाजपा का पुराना फार्मूला मौजूदा विधायको को टिकट बांटने का रहा है लेकिन अमित शाह का यह मास्टर स्ट्रोक है। यूपी और उत्तराखंड में यह फार्मूला काफी कामयाब रहा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा ने दूसरे दलों से आये नेताओं को बड़ी संख्या में टिकट दिये थे। यही फार्मूला उत्तराखंड में भी अपनाया गया था। इन प्रत्याशियों ने जीत भी हासिल की थी। इसलिए गुजरात में भी अमित शाह उस फार्मूले को अपना रहे है। श्री शाह ने युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर और दलित नेता जिग्नेश मेवानी की तिकड़ी का सामना करने के लिए पहली बार 14 पटेलों को टिकट बांट दिया है। उत्तर गुजरात की रणनीति के तहत चैधरी और ठाकोर बिरादरी को भी भाजपा से जोड़ने की कोशिश की गयी है। इन बिरादरियांे में प्रमुख नेताओं को उम्मीदवारों की पहली ही सूची में जगह दे दी गयी है। इतना ही नहीं हार्दिक पटेल के करीबियों को अमितशाह तोड़ने में सफल हो रहे हैं। अभी हाल ही में हार्दिक के एक साथी ने भाजपा का दामन थामा है। हार्दिक पटेल के साथी पाटीदार अमानत आंदोलन के नेता चिराग पटेल को श्री अमित शाह अपने खेमे में लाने में कामयाब हो गये है। इसी तरह जिग्नेश मेवानी और अल्पेश ठाकोर की बिरादरी के कई लोगों को भाजपा ने उम्मीदवार बनाकर उनकी विरादरी के वोटों का बंटवारा करने में सफलता प्राप्त कर ली है।
भाजपा ने राज्य के किसानों पर अपनी पकड़ मजबूत करने का भी भरपूर प्रयास किया है। भाजपा किसान मोर्चा भाजपा सरकार के किसान हितैषी कार्यों को दूर दराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने के लिए 20 नवम्बर से राज्य भर में अभियान चलाएगा। इसके तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार और विजय रूपानी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार की किसान कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। इसके जरिये भाजपा राज्य के किसानों के असंतोष को कम कर रही है। भाजपा राज्य में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की 25 रैलियां भी करवाने की योजना बनाये है। इसके साथ ही कई रोड शो किये जाएंगे। किसानों के साथ व्यापारियों को भी साधने की श्री अमितशाह ने रणनीति बनायी है। कुछ दिन पहले ही यह बात सामने आयी थी कि व्यापारियों ने एक राजनीतिक दल के कहने पर किस तरह से अपने कर्मचारियों को बोनस देने से मना किया और बताया कि जीएसटी से कामधंधा ही नहीं हो रहा है, तभी अमितशाह ने गुजरात में रहकर व्यापारियों को समझाया और कर्मचारियों को बोनस आदि दिलवा दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी जीएसटी के बारे में व्यापारियों को कई बार समझाया है। भाजपा ने इस बार 50 वोटर पर एक पन्ना प्रमुख की तैनाती की है। राज्य में पन्ना का कारोबार बड़ी संख्या मंे होता है और यह भी एक बड़ा वोट बैंक हैं।
इस प्रकार मुख्यमंत्री विजय रूपानी अपनी पारंपरिक सीट राजकोट पश्चिम से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल मेहसाणा से चुनाव लड़ेंगे। भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख जीतू भाई बधानी भाव नगर पश्चिम से उम्मीदवार घोषित किये जा चुके हैं। हालांकि बधानी ने पहले चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया था। एक आश्चर्य यह भी है कि पाटीदार अनामत आंदोलन समिति के दो सदस्य वरूण पटेल व रेशमा पटेल को उम्मीदवारों की पहली सूची में जगह क्येां नहीं दी गयी। रेशमा पटेल ने भाजपा में शामिल होते हुए कहा था कि हमारी लड़ाई समाज को न्याय दिलाने के लिए थी नकि कांग्रेस को जिताने की । इसी प्रकार वरूण पटेल ने कहा था, हम ने सरकार और मुख्यमंत्री के सामने अपनी मांगें रख दी है, भाजपा ने उन्हें पूरा करने का भरोसा दिलाया है। बहरहाल, अभी भाजपा की दूसरी सूची जारी होना है और राजनीति के चाणक्य से ऐसी कोई चूक होने की संभावना नहीं है। गुजरात के गौरव, किसानांे की समस्या और जातिगत सभीकरणों से विपक्ष की धार कम करने का श्री अमित शाह ने बड़ी होशियारी से प्रयास किया है और अपनी पार्टी के नेताओं का असंतोष भी नहीं उभरने दिया। इस प्रकार का राजनीतिक कौशल विरले ही नेताओं में होता है। (हिफी)