भारत सरकार ने सामाजिक सुधार के कामों में योगदान के लिए कुलसुम सयानी को 1959 में पद्मश्री से सम्मानित किया। ‘रहबर’ पत्रिका के संपादक के तौर पर उन्हें बहुत प्रतिष्ठा और सम्मान मिला। लेकिन वृद्धावस्था ने उन्हें 1960 में रहबर को बंद करने के लिए मजबूर कर दिया। लेकिन उन्होंने समाज से साक्षरता मिटाने के मिशन को हमेशा जारी रखा। 1969 में नेहरू साक्षरता अवार्ड से भी नवाज़ा गया। 27 मई 1987 में उनका देहांत हो गया और पूरी ज़िंदगी सामाजिक उत्थान के लिए लगी रहनेवाली कुलसुम ने हमेशा के लिए के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया।
