भारतीय ट्रैक ऍण्ड फ़ील्ड की रानी ,उड़न परी पी.टी. उषा का जन्म 27 जून 1964 को केरल के कोझीकोड जिले में हुआ था। उषा ना सिर्फ देश में बल्कि दुनिया में जाना-माना नाम हैं। उन्होंने 12 साल की उम्र से ही एथलीट बनने का सपना देख लिया था। वो एशियाड खेलों से लेकर ओलंपिक तक में देश के लिए कई मेडल जीत चुकी हैं। इस समय वो साउथ रेलवे में एक ऑफिसर हैं।
1976 में केरल सरकार ने महिलाओं के लिए एक खेल विद्यालय खोला और उषा को अपने ज़िले का प्रतिनिधि चुना गया। भारतीय ट्रैक ऍण्ड फ़ील्ड की रानी माने जानी वाली पी.टी. उषा भारतीय खेलकूद में 1979 से हैं। वे भारत के अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ियों में से हैं। एथलीट के तौर पर जो मुकाम वो हासिल कर चुकी हैं, वो आज तक कोई महिला एथलीट नहीं हासिल कर सकी ।1980 के मास्को ओलम्पिक में उनकी शुरुआत ख़ास नहीं रही। पर एशियाड में 1982 के बाद से अब तक वो चमत्कार करती आई हैं। एक के बाद एक कर उन्होंने कई मेडल जीते हैं। 1982 के एशियाड खेलों में ही उन्होंने 100 मीटर और 200 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीते थे। नेशनल लेवल पर उन्होंने कई बार अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दोहराने के साथ 1984 के लांस एंजेल्स ओलंपिक खेलों में भी चौथा स्थान प्राप्त किया था।
1982 के नई दिल्ली एशियाड में उन्हें 100 मी व 200 मी में रजत पदक मिला, लेकिन एक वर्ष बाद कुवैत में एशियाई ट्रैक और फ़ील्ड प्रतियोगिता में एक नए एशियाई कीर्तिमान के साथ उन्होंने 400 मी में स्वर्ण पदक जीता। 1983-89 के बीच में उषा ने एटीऍफ़ खेलों में 13 स्वर्ण जीते। 1984 के लॉस ऍञ्जेलेस ओलम्पिक की 400 मी बाधा दौड़ के सेमी फ़ाइनल में वे प्रथम थीं, पर फ़ाइनल में पीछे रह गईं। 1986 में सियोल में हुए दसवें एशियाई खेलों में दौड़ कूद में, पी. टी. उषा ने 4 स्वर्ण व 1 रजत पदक जीते।उन्होंने जितनी भी दौड़ों में भाग लिया, सबमें नए एशियाई खेल कीर्तिमान बनाती गई। 1985 में जकार्ता में हुई एशियाई दौड-कूद प्रतियोगिता में उन्होंने 5 स्वर्ण पदक जीते। एक ही अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में छः स्वर्ण जीतना भी एक कीर्तिमान है। उषा ने अब तक 101 अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं। 1985 में उन्हें पद्म श्री व अर्जुन पुरस्कार दिया गया। अभी भी वो लगातार प्रैक्टिस ही कर रही हैं.