1 अप्रैल 1941 को बम्बई अब मुंबई में जन्मे अजित लक्ष्मण वाडेकर ने भारत की अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए 1966 से 1974 तक क्रिकेट खेला था. उन्होंने प्रथम श्रेणी करियर की शुरुआत 1958 में ही कर दी थी. अजीत वाडेकर की कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज भी जीती. अजीत वाडेकर को भारत सरकार ने 1967 में अर्जुन अवॉर्ड और 1972 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया.
अजीत वाडेकर ने भारत के लिए 37 टेस्ट, 2 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं. उन्होंने इस दौरान 37 टेस्ट मैचों में 1 शतक और 14 अर्धशतकों की मदद से 2113 रन और 2 वनडे में एक पचासे की बदौलत 73 रन बनाए. उनके खाते में 237 प्रथम श्रेणी मैच भी है, जिसमें उन्होंने 15,380 रन बनाए.
अपने पिता की इच्छा पूरी करते हुए गणित विषय लेकर इंजीनियर बने लेकिन क्रिकेट के लिए अपने लगाव को कम नहीं कर पाए और आखिरकार क्रिकेट को अपना लक्ष्य बनाकर भारतीय क्रिकेट के महान सितारे बने। अजित लक्ष्मण वाडेकर, इस नाम को सुनते ही याद आती है ऐसे खिलाड़ी की, जिसने अपना नाम भारतीय क्रिकेट में सुनहरे शब्दों में लिख दिया। 1971 के दौरान वेस्टइंडीज और इंग्लैंड के विरुद्ध यादगार जीत दिलाने वाली कप्तानी के लिए उनका नाम हमेशा याद किया जाता रहा है।
अजित वाडेकर का जन्म 1 अप्रेल 1941 को मुंबई में हुआ उन्होने 1958-59 में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पदार्पण किया और अपने लाजवाब प्रदर्शन की बदौलत भारत की राष्ट्रीय टीम में जगह निश्चित की और वेस्टइंडीज के खिलाफ अपने घरेलू मैदान पर अपने टेस्ट करियर का आगाज किया। उन्होंने अपना पहला टेस्ट मैच दिसंबर 1966 में खेला और 1977 तक टीम के लिए कुल 37 टेस्ट मैच खेले । घरेलू क्रिकेट में काफी अच्छे प्रदर्शन के बाद भी वाडेकर को राष्ट्रीय टीम में अपना स्थान बनाने में समय लगा, लेकिन एक बार टीम में आने के बाद वे लगातार सात सालों तक टीम के आधार स्तंभ बने रहे। अजित दाएँ हाथ के आक्रामक बल्लेबाज रहे है टेस्ट पदार्पण के कुछ समय बाद ही वे भारतीय टीम के अहम खिलाड़ी बन गए। वे नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने उतरते थे। अच्छे बल्लेबाज होने के साथ ही वे स्लिप के बेहतरीन खिलाड़ी भी थे। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 237 मैचों में 1538 रन बनाए, जिसमें 36 शतक शामिल थे। साथ ही स्लिप के माहिर खिलाड़ी होने की वजह से उन्होंने करीब 271 कैच लपके थे। वे असाधारण खिलाड़ी थे और प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनका प्रदर्शन लगातार निखरता रहा।
अजित ने मुंबई रणजी के कप्तान बने और बाद में राष्ट्रीय टीम की कमान 1971 में संभाली। इस टीम में सुनील गावस्कर, एम एल जयसिंहा, गुंड्डप्पा विश्वनाथ , आबिद अली, फारूख इंजीनियर, बिशन सिंह बेदी, एएस प्रसन्ना, भागवत चन्द्राकर महान खिलाड़ी मौजूद थे। वे सफल कप्तान साबित हुए। इस टीम ने वेस्टइंडीज और इंग्लैंड दौरे पर मेजबान टीम को उनके ही घर में टेस्ट सिरीज में 1-0 से हराया। 1971 में ही अजित की कप्तानी में भारतीय टीम ने वेस्टइंडीज को 5 मैचों में हराया और उसके बाद इंग्लैंड को लगातार 3 मैचों में हराकर कर एक यादगार जीत दर्ज की। इसके बाद वाडेकर की कप्तानी में भारतीय टीम ने 1972-73 में इंग्लैंड की टीम को 5 मैचों की सिरीज में 2-1 से हराया। लेकिन यही टीम जब 1974 में इंग्लैंड दौरे पर गई तो सभी 5 मैच हार गई। इस हार को समर ऑफ 42 भी कहा जाता है। यह नाम इसे भारतीय टीम के सिरीज के दौरान लॉर्ड्स के मैदान पर सबसे कम रन बनाने पर मिला था। एक समय अपने चरम पर रहे अजित को इस हार के लिए काफी विरोध का सामना करना पड़ा और आखिर में उन्होंने कप्तानी छोड़ दी साथ ही प्रथम श्रेणी क्रिकेट से भी संन्यास ले लिया। उसके बाद उन्होंने भारतीय टीम के लिए दूसरी पारी की शुरुआत की और 1990 के दौरान टीम के मैनेजर बने। इस समय भारतीय टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन थे। अजित वाडेकर उन कुछ खास क्रिकेट खिलाड़ियों में हैं, जिन्होंने देश के लिए खिलाड़ी, कप्तान, कोच, मैनेजर और चेयरमैन की भूमिका निभाते हुए भारतीय क्रिकेट को शिखर पर लाने में अपना योगदान दिया। उनके पहले लाला अमरनाथ और चंदू बोर्डे ने यह जिम्मेदारी निभाई है।
पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान और पूर्व चीफ सेलेक्टर अजीत वाडेकर का उनका निधन 15 अगस्त 2018 को मुंबई में हुआ था। वह 77 साल के थे। अजीत वाडेकर पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। एजेन्सी