World Lung Day 2023: विश्व स्वास्थ्य संगठन और फोरम आफ इंटरनेशनल रेस्पिरेटरी सोसाइटीज के द्वारा 25 सितंबर को विश्व फेफड़ा दिवस मनाया जाता है। विश्व फेफड़ा दिवस का प्रमुख उद्देश्य फेफड़ों के स्वास्थ्य के प्रति दुनिया भर में जागरूकता फैलाना है। कोरोना महामारी ने हमारे फेफड़ों पर सबसे ज्यादा असर किया है। इसी वजह से इस बार की थीम-लंग हेल्थ फार आल, यानी सबके फेफड़ों का स्वास्थ्य ठीक रहे, रखी गयी है। विश्व फेफड़ा दिवस 2022 का लक्ष्य श्वसन संबंधी बीमारियों के बोझ को कम करना, सबके फेफड़ों की देख भाल, बीमारी की स्थिति का शीघ्र पता लगाना और श्वास रोगियों का उपचार समान रूप से विश्व के सभी देशों में मिलना है। टी.बी., अस्थमा, सीओपीडी, निमोनिया तथा फेफड़ों का कैंसर ये पांच प्रमुख श्वसन रोग हैं। वायु प्रदूषण, धूमपान और जलवायु परिवर्तन इन बीमारियों के बढऩे में अहम भूमिका निभा रहा है।
वायु प्रदूषण को अब दुनिया का सबसे बड़ा पर्यावरणीय स्वास्थ्य खतरा माना जाता है, जो हर साल दुनिया भर में 70 लाख मौतों का कारण बनता है। वायु प्रदूषण के कारण भारत में प्रतिवर्ष 17 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। वायु प्रदूषण की अनुमानित दैनिक आर्थिक लागत आठ अरब डालर या सकल विश्व उत्पाद का तीन से चार फीसद आंकी गई है।
विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानी दिल्ली रही, जिसमें पिछले साल की तुलना में 15 फीसद प्रदूषण बढ़ा। वर्ष 2021 में सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले विश्व के 50 शहरों में से 35 शहर भारत के हैं (100 में से 63 शहर भारत के हैं)। मई 2022 में प्रकाशित डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार तंबाकू और सिगरेट बनाने के लिए 60 करोड़ पेड़ पौधे प्रतिवर्ष काट दिये जाते हैं। सबसे भयावह तो यह है की अब तक लगभग 150 करोड़ हेक्टेयर जंगल तम्बाकू की वजह से खत्म हो चुके हैं। इसके साथ ही तम्बाकू, बीड़ी और सिगरेट बनाने में 2200 करोड़ लीटर पानी का नुकसान होता है, जबकि लगभग 2 करोड़ लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है।
धूम्रपान से 84 करोड़ टन कार्बनडाई आक्साइड निकलती है, जिसकी वजह से ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। हमारे देश में लगभग 12 करोड़ लोग धूमपान करते हैं। जब कोई धूम्रपान करता है तो उसका 30 फीसद धुआं धूम्रपान करने वाले व्यक्ति के फेफड़े में पहुंचकर नुकसान पहुंचाता है, जबकि शेष 70 फीसद धुआं आस-पास के व्यक्तियों के फेफड़ो में जा कर नुकसान पहुंचाता है, जिसे परोक्ष धूमपान या पैसिव स्मोकिंग कहते है, जो कि सक्रिय धूम्रपान या एक्टिव स्मोकिंग के बराबर ही नुकसानदायक है। इसके साथ ही धूम्रपान का धुआं वतावरण को भी प्रदूषित करता है।
हमारा श्वसन तंत्र पर्यावरण में मौजूद विभिन्न प्रकार के हानिकारक एजेंटों या प्रदूषकों के संपर्क में आने से लगातार प्रभावित होता है। अनुमान के हिसाब से दुनिया भर में कम से कम दो अरब लोग बायोमास ईंधन के दहन से उत्पन्न जहरीलें धुऐं के सम्पर्क में आते है। लगभग सात अरब से अधिक लोग प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। भारत में प्रधानमंत्री द्वारा संचालित उज्जवला योजना से बायोमास ईंधन में कमी आ रही है, जिसके कारण खास तौर पर महिलाओं के फेफड़े के स्वास्थ्य सुधार में कारगर हो रही है।
इसलिए आज हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम अपने पर्यावरण को साफ सुथरा रखें। हम किसी भी समारोह में फूलों का गुलदस्ता उपहार स्वरूप देते हैं उसकी जगह पर पेड़-पौधे देने चाहिए। किसी का जन्म दिवस हो, सालगिरह हो या अन्य कोई उत्सव हो हमें पेड़-पोधे लगाने चाहिए। सांस लेने के लिए 350 से 500 लीटर आक्सीजन की जरूरत हमें प्रतिदिन पड़ती है। 65 वर्ष की उम्र तक हम लगभग पांच करोड़ की आक्सीजन इन पेड़ पौधों से नि:शुल्क ले लेते है। अत: हमें इनका आभारी होना चाहिए और इनके प्रति कृतज्ञता रखतें हुए अधिक से अधिक पेड़ पौधें लगाने चाहिए तथा जो पेड़ पौधे हमारे आस पास लगे है उनकी सुरक्षा देख भाल करनी चाहिए। टीकाकरण हमें हमारी बीमारियों से प्रतिरक्षा देता है।
अत: न्यूमोकोकस, कोविड-19, परटुसिस आदि का टीका चिकित्सक की सलाह पर समय से लगवाना चाहिए। भीड़- भाड़ एवं वायुप्रदूषण वाले क्षेत्र में मास्क का प्रयोग करें। मास्क के उपयोग से कोरोना का तो बचाव होता ही है, साथ ही साथ टी.बी., निमोनिया जैसी घातक बीमारियों एवं वायु प्रदूषण से भी बचाव होता है। आवागमन हेतु हमें पैदल चलना चाहिए, साईकिल का उपयोग करना चाहिए, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, इलेक्ट्रिक कार का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा धूमपान, अल्कोहल का सेवन या अन्य नशे से परहेज करना चाहिए। शाकाहारी भोजन, मौसमी फल एवं सब्जियों का अधिकाधिक प्रयोग अपने भोजन में करें। फेफड़ों को स्वस्थ्य एवं मजबूत करने के लिए स्टीम लेनी चाहिए तथा योग, प्रणायाम एवं कसरत करना चाहिए।साभार