सबरीना लाल साउथ दिल्ली के सुशिक्षित क्रिश्चन परिवार की शालीन महिला थीं। सबरीना का 17 अगस्त 2021 को ग्रीन पार्क श्मशान भूमि में अंतिम संस्कार कर दिया गया था। उसके फूलों को बुधवार 18 अगस्त 2021 को अपनी मां और बहन ‘शोना’ जेसिका लाल के साथ पृथ्वीराज रोड की यार्क सिमिटरी में दफन कर दिया जाएगा। इस तरह दोनों बहनें करीब 22 सालों के बाद फिर साथ हो गई हैं ।
सबरीना तब से मीडिया की सुर्खियों में आ गईं थीं जब उनकी बहन जेसिका लाल का मनु शर्मा ने कत्ल कर दिया था। जेसिका लाल के कातिल को सजा दिलवाने के लिए सबरीना लाल ने दिन-रात एक कर दी थी। वह कोर्ट के चक्कर लगाने से लेकर मीडिया से मिलती। सबरीना लाल की 15 अगस्त 2021 को मृत्यु हो गई। वह 54 साल की थीं। वह अस्वस्थ चल रही थीं।
कहने वाले तो कहते हैं कि अगर सबरीना लाल ना होती तो शायद उनकी बहन के कातिल को अपने किए की सजा नहीं मिलती। सबरीना और जेसिका लाल का परिवार सफदरजंग एन्क्लेव में रहा करता था। उनके पिता लाल साहब मल्टी नेशनल कंपनी में काम करते थे। लाल साहब की पत्नी माया लाल कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मेरी स्कूल में इंग्लिश पढ़ाती थीं। इसी में जेसिका लाल और सबरीना पढ़ीं। इनके पिता पंजाबी और मां बंगाल से थीं।
सबरीना लाल की जिंदगी अपनी बहन के मारे जाने के बाद बदल गई थी। उस घटना से सारा देश सन्न रह गया था। उसके बाद तो सबरीना लाल अपनी नौकरी वगैरह को लगभग छोड़कर पुलिस स्टेशनों और कोर्ट जाने लगी। उसके पिता या भाई रंजीत लाल ने मानो सारी जिम्मेदारी उसे दे दी थी ताकि वह अपनी बहन को इंसाफ दिला सके। सबरीना लाल ने इस जिम्मेदारी को बहुत कायदे से निभाया। एक झटके में सबरीना लाल चुलबुली लड़की से धीर-गंभीर महिला हो गई।
जेसिका और सबरीना स्कूल के दिनों में विश्वास से लबरेज थीं। पर जेसिका के चले जाने के बाद सबरीना का अपनी सफदरजंग एन्क्लेव की सहेलियों तक से मिलना- जुलना बंद सा हो गया। उसके जीवन का मकसद ही बदल गया। फिर उसने सफदरजंग एन्क्लेव क्लब में भी जाना बंद कर दिया। जेसिका और सबरीना शुरू से ही पढ़ने के साथ कमाने में यकीन करने वाली लड़कियों में से थीं। उन्हें लगता था कि वे अपने मां-बाप के ऊपर लंबे समय तक बोझ नहीं बन सकतीं। इसलिए उन्हें सफदरजंग एन्क्लेव में बहुत स्नेह और सम्मान से देखा जाता था।
सबरीना-जेसिका का परिवार लगभग तब से सफदरजंग एंक्लेव में रह रहा था जब ये एरिया बना था। इनके परिवार को सब जानते थे और इनका सबसे प्रेम था। सबरीना लाल और जेसिका अपने एरिया में स्वाधीनता दिवस और गणतंत्र दिवस के कार्यक्रमों में भाग लेतीं। देश भक्ति के गाने गातीं। लाल परिवार को अपनी बेटियों पर नाज था। कुछ साल पहले ये परिवार गुरुग्राम में शिफ्ट कर गया था।
जेसिका लाल की हत्या 30 अप्रैल1999 को हुई थी। जेसिका लाल के एपिटैफ ( समाधि लेख) में अंग्रेजी में जो लिखा है, उसका हिन्दी अनुवाद कुछ इस तरह से है, “जिसने अचानक से हमें दर्दनाक हालातों में बिलखता हुआ छोड़ दिया।”© विवेक शुक्ल