दुष्यंत कुमार त्यागी हिंदी कवि और ग़ज़लकार थे। समकालीन हिन्दी कविता विशेषकर हिन्दी ग़ज़ल के क्षेत्र में जो लोकप्रियता दुष्यंत कुमार को मिली, वो दशकों बाद विरले किसी कवि को नसीब होती है। दुष्यंत एक कालजयी कवि हैं और ऐसे कवि समय काल में परिवर्तन हो जाने के बाद भी प्रासंगिक रहते हैं। दुष्यंत का लेखन का स्वर सड़क से संसद तक गूँजता है। इस कवि ने कविता, गीत, ग़ज़ल, काव्य, नाटक, कथा आदि सभी विधाओं में लेखन किया लेकिन गज़लों की अपार लोकप्रियता ने अन्य विधाओं को नेपथ्य में डाल दिया।
दुष्यंत कुमार का जन्म बिजनौर के ग्राम राजपुर नवादा में 1 सितम्बर, 1933 को हुआ था। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त करने के उपरांत कुछ दिन आकाशवाणी, भोपाल में असिस्टेंट प्रोड्यूसर रहे। इलाहाबाद में कमलेश्वर, मार्कण्डेय और दुष्यंत की दोस्ती बहुत लोकप्रिय थी। वास्तविक जीवन में दुष्यंत बहुत, सहज और मनमौजी व्यक्ति थे। कथाकार कमलेश्वर बाद में दुष्यंत के समधी भी हुए। दुष्यंत का पूरा नाम दुष्यंत कुमार त्यागी था। प्रारम्भ में दुष्यंत कुमार परदेशी के नाम से लेखन करते थे।
इन्होंने ‘एक कंठ विषपायी’, ‘सूर्य का स्वागत’, ‘आवाज़ों के घेरे’, ‘जलते हुए वन का बसंत’, ‘छोटे-छोटे सवाल’ और दूसरी गद्य तथा कविता की किताबों का सृजन किया। जिस समय दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील शायरों ताज भोपाली तथा क़ैफ़ भोपाली का ग़ज़लों की दुनिया पर राज था। हिन्दी में भी उस समय अज्ञेय तथा गजानन माधव मुक्तिबोध की कठिन कविताओं का बोलबाला था। उस समय आम आदमी के लिए नागार्जुन तथा धूमिल जैसे कुछ कवि ही बच गए थे। इस समय सिर्फ़ 42 वर्ष के जीवन में दुष्यंत कुमार ने अपार ख्याति अर्जित की।
दुष्यंत कुमार ने बॉलीवुड महानायक अमिताभ बच्चन को उनकी फिल्म ‘दीवार’ के बाद पत्र लिखकर उनके अभिनय की तारीफ की और कहा कि- “वह उनके ‘फैन’ हो गए हैं।” दुष्यंत कुमार का 1975 में निधन हो गया था और उसी साल उन्होंने यह पत्र अमिताभ को लिखा था। यह दुर्लभ पत्र हाल ही में उनकी पत्नी राजेश्वरी त्यागी ने उन्हीं के नाम से स्थापित संग्रहालय को हाल ही में सौंपा है। दुष्यंत कुमार और अमिताभ के पिता डॉ. हरिवंशराय बच्चन में गहरा प्रेम था। ‘दीवार’ फिल्म में उन्होंने अमिताभ की तुलना तब के सुपर स्टार्स शशि कपूर और शत्रुघ्न सिन्हा से भी की थी। हिन्दी के इस महान् साहित्यकार की धरोहरें ‘दुष्यंत कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय’ में सहेजी जा रही हैं। इन्हें देखकर ऐसा लगता है कि साहित्य का एक युग यहां पर जीवित है।
दुष्यंत कुमार ने अमिताभ को लिखे इस पत्र में कहा, ‘किसी फिल्म आर्टिस्ट को पहली बार खत लिख रहा हूं। वह भी ‘दीवार’ जैसी फिल्म देखकर, जो मानवीय करुणा और मनुष्य की सहज भावुकता का अंधाधुंध शोषण करती है।’ कवि और शायर ने अमिताभ को याद दिलाया, ‘तुम्हें याद नहीं होगा। इस नाम (दुष्यंत कुमार) का एक नौजवान इलाहाबाद में अक्सर बच्चन साहब के पास आया करता था, तब तुम बहुत छोटे थे। उसके बाद दिल्ली के विलिंगटन क्रेसेंट वाले मकान में आना-जाना लगा रहा। लेकिन तुम लोगों से संपर्क नहीं रहा। दरअसल, कभी ज़रूरत भी महसूस नहीं हुई। मैं तो बच्चनजी की रचनाओं को ही उनकी संतान माने हुए था।’ दुष्यंत कुमार ने लिखा, ‘मुझे क्या पता था कि उनकी एक संतान का कद इतना बड़ा हो जाएगा कि मैं उसे खत लिखूंगा और उसका प्रशंसक हो जाउंगा।’
दुष्यंत कुमार का निधन 30 दिसम्बर 1975 में सिर्फ़ 42 वर्ष की अवस्था में हो गया। दुष्यंत ने केवल देश के आम आदमी से ही हाथ नहीं मिलाया उस आदमी की भाषा को भी अपनाया और उसी के द्वारा अपने दौर का दुख-दर्द गाया।एजेन्सी।