पुण्य तिथि पर विशेष।
स्वप्निल संसार। मनोरमा दक्षिण भारतीय सिनेमा की सुप्रसिद्ध हास्य अभिनेत्री एवं गायिका थीं। उन्होंने 1500 से अधिक तमिल, तेलुगु, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में काम किया था। मनोरमा ने फिल्मों में अपने अभिनय से दर्शकों का खूब प्यार पाया और थान्गावेलु, थेंगाई श्रीनिवासन, छो और नागेश सरीखे दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया। 1000 फिल्में पूरी होने के साथ ही उनका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हो गया। 2002 में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
मनोरमा का जन्म 26 मई, 1937 को तंजावुर जिले के राजमन्नारगुड़ी शहर में हुआ था। बचपन में उनका नाम गोपी शांता था। प्रशंसक उन्हें प्यार से ‘’ बुलाते हैं। उनके परिवार में अभिनेता-गायक बेटे बूप्ति हैं।
मनोरमा को ऐतिहासिक हास्य अभिनेत्री के स्तर पर पहुंचने और दक्षिण भारत में घर-घर में पहचाना जाने वाला नाम बनने में 50 साल लगे। उन्होंने अपना कॅरियर बतौर स्ट्रीट गायिका शुरू किया था। वह कभी-कभी रंगमंच कर्मियों के लिए भी गाती थीं। ऐसे ही एक शो के दौरान उनका नाम मनोरमा पड़ गया और वह मंच पर अभिनय करने को मजबूर हो गईं, क्योंकि उस समय अभिनेत्री ने अपनी भूमिका निभाने से इंकार कर दिया था। जल्द ही वह एस. एस. राजेंद्रन की ‘नाटक मंद्रम’ से जुड़ गईं और यहीं उन पर गीतकार कन्नदासन की निगाह पड़ी, जिन्होंने उन्हें तमिल फिल्म ‘मलयित्ता मंगै’ (1958) में लिया।
मनोरमा को शुरुआत में एक हास्य अभिनेत्री की भूमिका निभाने में झिझक हुई, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। मनोरमा ने फिल्मों में अपनी जोशीली प्रस्तुति के जरिए दर्शकों से खूब प्यार पाया और थान्गावेलु, थेंगाई श्रीनिवासन, छो और नागेश सरीखे दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया। 1963 में उन्होंने तमिल फिल्म ‘कुंजुम कुमारी’ से मुख्य अभिनेत्री के रूप में अपनी पारी शुरू की। दो साल बाद वह ए. पी. नागराजन द्वारा निर्देशित तमिल फिल्म ‘थिरुविलायादल’ और एक साल बाद दोबारा नागराजन द्वारा निर्देशित फिल्म ‘सरस्वती सबथम’ में आईं।
नागराजन ने 1968 में तमिल फिल्म ‘थिल्लाना मोहनम्बल’ में मनोरमा के अभिनय कौशल का बखूबी प्रयोग किया और उनकी ‘जिल जिल रमामणि’ की भूमिका ने उनका स्टार का दर्जा बुलंद किया। मनोरमा ने एक साक्षात्कार में कहा था, “जिल जिल एक ऐसी भूमिका है, जिससे मुझे प्यार हो गया। बीते वर्षों में मैं इसकी मुरीद हो गई हूं। यह बहुत खास है, क्योंकि इसे आज भी हर कोई याद करता है।” मनोरमा की गायकी से पहली मुलाकात संगीत निर्देशक एम. ए. कुमार ने कराई। तमिल फिल्म ‘मगले उ समथु’ (1964) में उन्होंने पार्श्व गायिका ए. आर. एस्वरी के साथ मिलकर ‘तथा तथा पीढी कुडू’ गाना गाया। उन्होंने करीब 60 फिल्मों में गाने गाए। उनकी समकालीन अभिनेत्रियों में से कोई भी ऐसा नहीं कर सकीं। उनकी सर्वश्रेष्ठ तमिल फिल्मों में ‘अंबे वा’, ‘एथिर निचल’, ‘गलत्ता कल्याणम’, ‘चित्तूकुरुवी’, ‘दुर्गा देवी’, ‘अन्नलक्ष्मी’ और ‘इमायम’ सहित अन्य शामिल हैं। वहीं, तेलुगू में उन्होंने ‘रिक्शावोदु’, ‘कृष्णार्जुन’ और ‘सुबोधयम’ फिल्मों में अभिनय किया। 1974 में वह हिंदी फिल्मों के मशहूर हास्य अभिनेता महमूद के साथ ‘कुंवारा बाप’ फिल्म में आईं, जिसमें उन्होंने अपने संवाद खुद डब किए। उनकी आखिरी फिल्म सूर्या अभिनीत ‘सिंघम 2 थी।
सम्मान एवं पुरस्कार
1989 ‘पुढ़ी पाडुै राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ सह अभिनेत्री) 1995 फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड साउथ 2002 पद्मश्री 2013 तमिलनाडु सिनेमा कलायनमंडम पुरस्कार (पसंदीदा फिल्म स्टार)। 78 वर्षीय मनोरमा का निधन 10 अक्टूबर, 2015 को चेन्नई में दिल का दौरा पड़ने से हुआ था। एजेन्सी। फोटो सोशल मिडिया से