दीपावली पर्व की श्रृंखला में कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा की जाती है। इस दिन घर के आंगन में अथवा छत पर गाय के गोबर से गाय, बैल, बछड़े, बछिया आदि बनाकर परिवार के सभी सदस्य, घर के उपयोगी चूल्हा, चक्की, ओखली आदि भी बनाये जाते हैं। सूर्य, चन्द्रमा, गौर आदि तो हमारे हर पर्व-त्योहार से जुड़े हैं। इन सभी की पूजा करके भोग लगाया जाता है। यह भोग विशेष रूप से खरीफ की फसल के मुख्य खाद्यान्न चावल के आटे से बनाया जाता है। दीपावली का त्योहार हमारे कृषि प्रधान देश में फसलों से जुड़ा है। फसल उगाने के लिए गोवंश का कितना योगदान रहता है, यह बात किसी से छिपी नहीं है। खेत को गाय के बछड़े जोतते हैं। गाय हमें दूध, दही, घी और मक्खन प्रदान करती है। द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने इसीलिए इंद्र की पूजा के स्थान पर गोवद्र्धन पर्वत की पूजा करायी थी। गोवद्र्धन पर्वत का नाम ही इसलिए पड़ा था क्योंकि उसके आसपास का क्षेत्र गोवंश के लिए हरी-हरी घास-चारा उपलब्ध कराता था और पशु पालन की सभी सुविधाएं एकत्र कराता था। इसलिए गोवद्र्धन पर्वत की पूजा कराकर भगवान कृष्ण ने गोवंश के महत्व को स्थापित किया था। गोवंश की आज भी हमारे लिये ही नहीं दुनिया भर में उपयोगिता है। वैज्ञानिक परीक्षणों से भी साबित हुआ है कि गाय का दूध सर्वोत्तम होता है। इसके मूत्र और गोबर को भी गुणकारी पाया गया है जिनसे कितनी ही औषधियां बनायी जा रही हैं। एलोपैथिक दवाइयां जहां बीमारी ठीक करने के साथ साइड इफेक्ट देती हैं और दूसरी परेशानियां भी पैदा करती हैं, वहीं गोमूत्र से बनी औषधियां निरापद होती हैं। भारत ही नहीं विदेशों में भी इसका उपयोग किया जा रहा है।
गोवंश हमारे देश के पर्यावरण, विज्ञान, आयुर्वेद, कृषि, अर्थ और समाज विकास का आधार बिंदु है। गाय प्रकृति का मानवीय सृष्टि के लिए अनुपम उपहार है, वह दुग्ध का भण्डार है, जैविक खाद, कीट नियंत्रकों का प्राकृतिक कारखाना है, बिना पूंजी के चलने वाला बिजली घर एवं पंचग्व्य औषधियों का अक्षय औषधालय है।
गाय के कुछ उपयोगी गुण निम्नवत हैं-
अभी हाल में अमेरिका ने गोमूत्र का पेटेंट नं- 64110059 दिया है। पेटेंट का शीर्षक है, फार्मास्युटिकल कम्पोजीशन कन्टेनिंग काऊ-यूरीन डिस्ब्टीलेट एण्ड एन एन्टीबायोटिक, एन्टीबायोटिक्स औषधियों तथा कैंसर-रोधी दवाओं की खुराक की मात्रा में पर्याप्त कमी करना उसका प्रत्यक्ष प्रभाव है जो जीवाणुओं को अधिक सशक्त करता है।
गाय के दूध से रेडियो विकिरण (एटॉमिक रेडिएशन) से रक्षा करने की सर्वाधिक शक्ति होती है। शिरोविच, रूसी वैज्ञानिक
गाय अपनी नि:श्वास में प्राण वायु ऑक्सीजन छोड़ती है। जर्मन कृषि वैज्ञानिक डा० जुलिशस व डा० बुक
गोदुग्ध में विद्यमान ‘सेरिब्रासाइस मस्तिष्क और स्मरण शक्ति के विकास में सहायक, स्ट्रानटाइन अणु विकारों का प्रतिरोधक, एम-डी-जीआई, प्रोटीन के कारण रक्त कोशिकाओं में कैंसर प्रवेश नहीं कर सकता। कॉरनेल वि.वि. के पशु विज्ञान विशेष प्रो. रोनाल्ड गोरायटे
शहरों से निकलने वाले कचरे पर गाय गोबर के घोल को डालने से दुर्गन्ध पैदा नहीं होती, कचरा खाद के रूप में परिवर्तित हो जाता है।
डा० कांति रसेन सर्राफ
गाय के दूध में वैज्ञानिकों के मतानुसार 8 प्रकार के प्रोटीन, 6 प्रकार के विटामिन, 21 प्रकार के अमिनी एसिड,11 प्रकार के चर्बीयुक्त एसिड, 24 प्रकार के फास्फोरस यौगिक एवं २ प्रकार की शर्करा होती है।
गोदुग्ध में मनुष्य के शरीर में समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति करने की क्षमता है। उसमें 4.9 प्रतिशत शक्कर, 3.7 प्रतिशत घी, ११ प्रतिशत नाना प्रकार के एसिड, 3.6 प्रतिशत प्रोटीन है जिसमें यूसन, ग्यूकेटिन एसिड, टिरोसनी, अमोनिया फास्फोरस आदि 21 पदार्थ पाए जाते हैं।
गाय के शरीर से गूगल की गंध बहती है जो प्रदूषण नष्ट करती है। गोदुग्ध एवं गोघृत से कोलेस्ट्रील नहीं बढ़ता।
समस्त दुधारू चतुष्पाद प्राणियों में गाय ही एक ऐसा प्राणी है जिसकी बड़ी आंत 180 फीट लंबी होती है, इसकी विश्ेाषता यह है कि उससे दूध में कैरोटीन नामक पदार्थ बनता है। कैरोटीन शरीर में पहुंचकर विटामिन ए तैयार करता है जो नेत्र ज्योति के लिए आवश्यक है।
गाय की रीढ़ में ‘सूर्यकेतु८ नामक नाड़ी होती है जो सूर्य के प्रकाश में क्रियाशील होती है। इसलिए गाय सूर्य के प्रकाश में रहना पसंद करती है। नाड़ी के क्रियाशील होने पर वह पीले रंग का पदार्थ छोड़ती है अत: गाय का दूध पीले रंग (स्वर्ण के रंग) का होता है। यह कैरोटीन तत्व सर्वरोग नाशक, सर्वाविष विनाशक होता है।
गाय के घी को चावल के साथ मिलाकर जलाने पर अत्यंत महत्वपूर्ण गैस जैसे-इथीलीन ऑक्साइड, प्रोपलीन ऑक्साइड, फार्मल्डीहाईड इत्यादि बनती है। इथीलीन ऑक्साइड गैस, जीवाणु रोधक होती है। वैज्ञानिक प्रोपलीन ऑक्साइड गैस को कृत्रिम वर्षा का आधार मानते हैं।
गोमूत्र में 24 रसायन और गोबर में १६ खनिज तत्व होते हैं। लाभ के उपरांत लोहे, कैल्शियम, फास्फोरस और अन्य मिनरल्स (खनिज) कार्बोलिक एसिड, पोटाश और लैक्टोज नामक तत्व मिलते हैं। गोबर में नाइट्रोजन, फासफोरस, पोटैशियम, आयरन, जिंक, मग्नीज, कॉपर, बोरोन, मोलीब्डनम आदि तत्व पाए जाते हैं जिन तत्वों के कारण गोमूत्र गोचर से विविध प्रकार की औषधियां बनती हैं।
गोबर से उत्तम जैविक खाद बनाए जाते हैं। जैविक, नाडेप-कम्पोस्ट, केंचुआ, अणु (सींग), समाधि खाद प्रमुख हैं।
गोमूत्र से २४ प्रकार के कीट नियंत्रक भी बनाए जाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन रिपोर्ट के अनुसार रासायनिक खाद व कीटनाशक के प्रयोग से उत्पन्न अन्न, फल, जल, सब्जियों के कारण मां के स्तर के दूध में अंतर्राष्ट्रीय मानक के21 गुणा विष आ गया है।
पंचगव्य आयुर्वेद व गोवंश आधारित कृषि तंत्र को व्यवहार में लाने से देश के संपूर्ण गांवों में रोजगार मिल सकेगा। इससे पर्यावरण व जनस्वास्थ्य भी पूर्ण सुरक्षित रहेगा। इतने उपयोगी पशु की पूजा करने की परम्परा भारतीय मनीषियों ने इसीलिए डाली है ताकि लोग गोवंश का पालन करें। (हिफी)