मुबारक साल गिरह
संजोग वॉल्टर..धर्मेन्द्र सिंह दयोल 8 दिसंबर,1935 लुधियाना के गाव साहनेवाल से हैं। लुधियाना रेलवे स्टेशन जहाँ वो रेलवे में क्लर्क थे, लगभग सवा सौ रुपये तनख्वाह थी,व्हीलर शाप से फिल्म फेयर मैगजीन खरीदते और हमेशा यही सोचते थे की एक दिन उनकी भी तस्वीर यहाँ होगी उन्ही दिनों फिल्म फेयर ने कांटेस्ट का एलान किया धर्मेन्द्र ने वो इश्तेहार देखा और भर कर कुछ फोटो के साथ भेज दिया कुछ महीनों के बाद फिल्म फेयर कांटेस्ट का नतीजा आया इसके विजेता धर्मेन्द्र थे। धर्मेन्द्र ने मेट्रिक तक ही तालीम पूरी की। स्कूल के वक्त से ही फिल्मों का इतना शौक था कि दिल्लगी (1949) फिल्म को 40 से भी ज्यादा बार देखा था उन्होंने। अक्सर क्लास में पहुँचने के बजाय सिनेमा हॉल में पहुँच जाया करते थे। । 19 साल की उम्र में ही शादी भी हो चुकी थी उनकी प्रकाश कौर के साथ।
पहली फिल्म में हीरोइन कुमकुम थीं। दिल भी तेरा हम भी तेरे 1960,से धर्मेन्द्र और अर्जुन हिंगोरानी का साथ शुरू हुआ जो कब क्यों और कहाँ 1970 कहानी किस्मत की 1973,खेल खिलाडी का 1977,कातिलों के कातिल 1981, करिश्मा कुदरत का 1985,सल्तनत 1986,कौन करे कुरबानी 1991,कैसे कहूँ प्यार के हैं 2003 तक रहा, धर्मेन्द्र की दूसरी फिल्म थी शोला और शबनम 1961 इस फिल्म की हेरोइन थी तरला इस फिल्म के गाने थे ष्जीत ही लेंगे बाजी,जाने क्या ढूँढती रहती,गीत लिखे थे कैफी आजमी ने और संगीतकार थे खय्याम,दोनों ही फिल्में चली नहीं संघर्ष के दौर में जुहू में एक छोटे से कमरे में रहते थे।
फिल्म फेयर कांटेस्ट विनर धर्मेन्द्र को कई नामी गिरामी निर्माताओं ने नापसंद कर दिया कुछ ने उन्हें फुटबाल खिलाडी बनने की सलाह भी दी, धर्मेन्द्र की मुलाकात हुई अर्जुन हिंगोरानी से हिंगोरानी ने अपनी फिल्म दिल भी तेरा हम भी तेरे के लिये उन्हें हीरो के रोल के लिए साइन कर लिया 51 रुपये साइनिंग एमाउंट देकर।
200 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है धर्मेंद्र ने, कुछ यादगार फिल्में हैं अनुपमा, मँझली दीदी, सत्यकाम, शोले, चुपके चुपके। धर्मेन्द्र अपने स्टंट सीन बिना डुप्लीकेट की मदद के खुद ही करते थे। चिनप्पा देवर की फिल्म मां में चीते के साथ फाइट की थी, अपने कैरियर के शुरू में, वह आम तौर पर रोमांटिक हीरो के रूप में नजर आते थे बाद में एक्शन हीरो के रूप में, उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत में कई प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ अभिनय किया. सूरत और सीरत 1962, बंदिनी 1963, अनपढ़ में माला सिन्हा 1962 पूजा के फूल 1964 शादी में सायरा बानो 1962 आई मिलन की बेला 1964 पद्मिनी तनुजा नूतन और मीना कुमारी के साथ मैं भी लड़की हूं 1964, काजल,पूर्णिमा 1965 फूल और पत्थर 1966 के अलावा शर्मिला टैगोर, मुमताज, आशा पारेख, लीना चंदावरकर रेखा, जीनत अमान हेमा मालिनी के साथ जोड़ी बनी हेमा मालिनी, के साथ तुम हंसी में राजा जानी, सीता औरअनपढ़ (1962), बंदिनी (1963) तथा सूरत और सीरत (1963) से उनकी पहचान बनी,आई मिलन की बेला 1964 में वो विलंन बने हीरो थे राजेन्द्र कुमार हिरोइन थी सायरा बानू निर्माता जे ओम प्रकाश ने अपनी अगली फिल्म आये दिन बहार के 1966 और आया सावन झूम के 1969 आस पास 1981 में उन्हें हीरो लिया । धर्मेन्द्र पर उनकी हीरोइन हमेशा मेहरवान रही 1966 में ओ.पी. रल्हन की फिल्म फूल और पत्थर जो उस साल की सबसे बड़ी हिट फिल्म साबित हुई, फूल और पत्थर से धर्मेन्द्र ने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।
धर्मेन्द्र ने 200 से भी अधिक फिल्मों में काम किया है । धर्मेंद्र ने, कुछ यादगार फिल्में हैं अनुपमा, मँझली दीदी, सत्यकाम, शोले, चुपके चुपके। धर्मेन्द्र अपने स्टंट सीन बिना डुप्लीकेट की मदद के खुद ही करते थे। बिमल रॉय मोहन कुमार, यश चोपड़ा राज खोसला, रमेश सिप्पी, अर्जुन हिंगोरानी अनिल शर्मा और राजकुमार संतोषी रघुनाथ झालानी के साथ जुड़े,हिंदी फिल्मों के अलावा उन्होंने कई पंजाबी फिल्मों में एक्टिंग की,कई लोगों की मदद फिल्मी दुनिया में उन्होंने की,पर उन पर यह दाग भी है उनकी मदद करने वाली मीना कुमारी की मदद उन्होंने नहीं की जब मीना कुमारी को उनकी मदद की जरूरत थी ।चिनप्पा देवर की फिल्म मां में चीते के साथ फाइट की थी, अपने कैरियर के शुरू में, वह आम तौर पर रोमांटिक हीरो के रूप में नजर आते थे बाद में एक्शन हीरो के रूप में,उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत में कई प्रमुख अभिनेत्रियों के साथ अभिनय किया. सूरत और सीरत 1962, बंदिनी 1963, अनपढ़ में माला सिन्हा 1962 पूजा के फूल 1964 शादी में सायरा बानो 1962 आई मिलन की बेला 1964 पद्मिनी तनुजा नूतन और मीना कुमारी के साथ मैं भी लड़की हूं 1964, काजल,पूर्णिमा 1965 फूल और पत्थर 1966 के अलावा शर्मिला टैगोर, मुमताज, आशा पारेख, लीना चंदावरकर रेखा, जीनत अमान हेमा मालिनी के साथ जोड़ी बनी हेमा मालिनी, के साथ तुम हंसी में राजा जानी, सीता और गीता, शराफत, जुगनू, दोस्त, चरस, मां चाचा भतीजा आजाद प्रतिज्ञा शोले.प्रतिज्ञा चरस,आजाद,आसपास. धर्मेंद्र की सबसे यादगार फिल्म थी हृषिकेश मुखर्जी के साथ सत्यकाम। 247 से भी ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग करने वाले ‘ही मेंन’ धर्मेन्द्र को कभी उनकी एक्टिंग के लिए फिल्म फेयर अवार्ड नहीं मिला 1997 में जब उन्हें फिल्म फेयर लाईफ टाइम Achievement Award मिला तो वो बहुत संजीदा हो गये थे फिल्म फेयर से अपने रिश्ते को उन्होंने जाहिर कर दिया था, दूसरा अवार्ड IIFA Lifetime Achievement Award 2007 में उन्हें मिला था।