मुबारक साल गिरह। भैरप्पा सरोजा देवी जिन्हें उनके लोकप्रिय नाम बी.सरोजा देवी (7 जनवरी 1938) से जाना जाता है, अभिनेत्री हैं जिन्होंने कन्नड़, तमिल, तेलुगु और हिन्दी फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने छह दशकों में लगभग 200 फिल्मों में अभिनय किया है। उन्हें “अभिनय सरस्वती” और “कन्नड़थु पिंगिली” नामों से भी पुकारा जाता है।
सरोजा देवी को, 17 साल की उम्र में, उनकी पहली फिल्म ‘महाकवि कालीदास’ (1955) जो कि कन्नड़ भाषा की में बनी थी, में काम करने का अवसर मिला। तेलुगु सिनेमा में, उन्होंने पांडुरंगा महात्म्य (1959) के साथ अपनी शुरुआत की, और 1970 के दशक के अंत तक कई सफल फिल्मों में अभिनय किया। उनकी पहली तमिल फिल्म नादोदी मन्नान (1958) थी जिसने उन्हें तमिल सिनेमा की शीर्ष अभिनेत्रियों में बना दिया। सरोजा देवी की पहली हिन्दी फिल्म पैगाम (1959) थी जिसमे उन्होने दिलीप कुमार के साथ अभिनय किया था। 1967 में अपनी शादी के बाद भी वो लगातर अभिनय में सक्रिय रहीं। पैगाम के अलावा उन्होने कई अन्य हिंदी फिल्मों में भी अभिनय किया।
सरोजा देवी 1955-1978 तक केवल 23 वर्षों की अवधि में मुख्य नायिका के रूप में 154 फिल्में करने वाली एकमात्र भारतीय फिल्म नायिका बनीं। उनके पास मुख्य नायिका के रूप में लगातार सबसे अधिक फिल्में करने वाली अभिनेत्री होने का विश्व रिकॉर्ड है – 161 1955-1984 तक की फ़िल्में, बिना सहायक भूमिकाएँ निभाए। 1969 में सरोजा देवी को, भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री और 1992 में तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म भूषण, प्रदान किया गया। बैंगलोर विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की मानद उपाधि और तमिलनाडु से कलीममणि पुरस्कार से भी इन्हें सम्मानित किया गया है।
सरोजा देवी ने 1967 में अपनी निर्धारित शादी से पहले साइन की गई फिल्मों को पूरा करने के बाद फिल्मों से संन्यास लेने और 1968 के बाद कोई फिल्म नहीं करने के बारे में सोचा था। लेकिन जब 1969 में वह आराधना के प्रीमियर में शामिल होने के लिए बंम्बई अब मुंबई आईं, तो उन्हें एमजीआर और दिलीप कुमार ने सलाह दी कि फिल्मों में अभिनय जारी रखें। सरोजा देवी ने 1984 तक मुख्य नायिका के रूप में काम किया। उनकी 161 फिल्मों में 147 को बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थीं । एजेन्सी