जयन्ती पर विशेष। एजेन्सी। मिलखा सिंह धावक थे, जिन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें “फ्लाइंग सिक्ख” उपनाम दिया गया था। वे भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में से एक थे। वे एक राजपूूूत सिख (राठौड़) परिवार से थे। भारत सरकार ने 1959 में उन्हें पद्म श्री की उपाधि से भी सम्मानित किया।
मिलखा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को गोविन्दपुर (जो अब पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त में पड़ता है) में सिख जाट परिवार में हुआ था। विभाजन के बाद की अफ़रा तफ़री में मिलखा सिंह ने अपने माँ-बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन से पाकिस्तान से भारत आए। ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठानी।
मिल्खा सिंह सेना में भर्ती होने की कोशिश करते रहे और अंततः 1952 में वह सेना की विद्युत मैकेनिकल इंजीनियरिंग शाखा में शामिल होने में सफल हो गये। एक बार सशस्त्र बल के उनके कोच हवलदार गुरुदेव सिंह ने उन्हें दौड़ के लिए प्रेरित कर दिया, तब से वह अपना अभ्यास कड़ी मेहनत के साथ करने लगे। वह 1956 में पटियाला में हुए राष्ट्रीय खेलों के समय से सुर्खियों में आये।
होनहार धावक के तौर पर ख्याति प्राप्त करने के बाद उन्होंने 200 मीटर और 400 मीटर की दौड़े सफलतापूर्वक की और इस प्रकार भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे 400 मीटर के विश्व कीर्तिमान धारक भी रहे। कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा। इसी समय पर उन्हें पाकिस्तान में दौड़ने का न्यौता मिला, लेकिन बचपन की घटनाओं की वजह से वे वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन न जाने पर राजनैतिक उथल पुथल के डर से उन्हें जाने को कहा गया। उन्होंने दौड़ने का न्यौता स्वीकार लिया। दौड़ में मिलखा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को ध्वस्त कर दिया और आसानी से जीत गए। अधिकांशतः मुस्लिम दर्शक इतने प्रभावित हुए कि पूरी तरह बुर्कानशीन औरतों ने भी इस महान धावक को गुज़रते देखने के लिए अपने नक़ाब उतार लिए थे, तभी से उन्हें फ़्लाइंग सिख की उपाधि मिली।
सेवानिवृत्ति के बाद मिलखा सिंह खेल निर्देशक, पंजाब के पद पर थे। मिलखा सिंह ने बाद में खेल से सन्यास ले लिया और भारत सरकार के साथ खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू किया। वे चंडीगढ़ में रहते थे। जाने-माने फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने 2013 में इन पर भाग मिल्खा भाग फिल्म बनायी। ये फिल्म बहुत चर्चित रही। ‘फ्लाइंग सिक्ख’ के उपनाम से चर्चित मिलखा सिंह देश में होने वाले विविध तरह के खेल आयोजनों में शिरकत करते रहते थे। हैदराबाद में 30 नवंबर,2014 को हुए 10 किलोमीटर के जियो मैराथन-2014 को उन्होंने झंड़ा दिखाकर रवाना किया।
मिलखा सिंह ने 18 जून, 2021 को चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे कोविड-19 से ग्रस्त थे। 13 जून, 2021 को उनकी पत्नी का देहान्त भी कोविड से ही हुआ था। उनके पुत्र जीव मिलखा सिंह गोल्फ़ के खिलाड़ी हैं।
खेल कूद रिकॉर्ड, पुरस्कार
1958 के एशियाई खेलों में 200 मीटर व ४400 मी में स्वर्ण पदक जीते। 1958 के राष्ट्रमण्डल खेलों में स्वर्ण पदक जीता। 1958 के एशियाई खेलों की 400 मीटर रेस में – प्रथम1958 के एशियाई खेलों की 200 मीटर रेस में – प्रथम 1959 में – पद्मश्री पुरस्कार 1962 के एशियाई खेलों की 400 मीटर दौड़ में – प्रथम 1962 के एशियाई खेलों की 4*400 रिले रेस में – प्रथम 1964 के कलकत्ता राष्ट्रीय खेलों की 400 मीटर रेस में – द्वितीय